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कोसी प्रमंडल (बिहार) से प्रकाशित इस प्रथम दैनिक ई. अखबार में आपका स्वागत है,भारत एवं विश्व भर में फैले यहाँ के तमाम लोगों के लिए यहाँ की सूचना का एक सशक्त माध्यम हम बनें, यही प्रयास है हमारा, आपका सहयोग आपेक्षित है... - सम्पादक

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मंगलवार

कवि सोमदेव को प्रबोध साहित्य सम्मान।

                        - सम्मान स्वरूप एक लाख की राशि और स्मारक।


मैथिली के प्रतिष्ठित कवि 76 वर्षीय सोमदेव को वर्ष 2011 के लिए प्रबोध सहित्य सम्मान दिए जाने की धोषणा स्वास्ति फाउन्डेशन की ओर से की गयी है। ज्ञातव्य है कि आचार्य सोमदेव इसके पूर्व साहित्य अकादमी द्वारा भी सम्मानित हो चुके हैं। चानोदाइ, होटल अनारकली (उपन्यास), चैरेवेति, काल ध्वनि, लाल एशिया, मेघदूत, सहस्त्रमुखी चैक पर, सोम सतसई जैसे काव्यग्रंथों के रचयिता सोमदेव साठ वर्षों से अनवरत साहित्य सेवा में रत हैं।
  1955 में मिथिला विश्वविधालय, दरभंगा से हिन्दी विभाग के उपाचार्य पद से निवृत होकर साहित्य साधना में निमग्न हैं। प्रबोध साहित्य सम्मान के रूप में उन्हें 19 फरवरी को पटना स्थित कालीदास रंगशाला में 1 लाख नगद और प्रतीक चिन्ह दिया जायेगा।
 प्रबोध सम्मान
प्रबोध सम्मान 2004- श्रीमति लिली रे (1933-) /प्रबोध सम्मान 2005- श्री महेन्द्र मलंगिया (1946-) /प्रबोध सम्मान 2006- श्री गोविन्द झा (1923-) /प्रबोध सम्मान 2007- श्री मायानन्द मिश्र (1934-) /प्रबोध सम्मान 2008- श्री मोहन भारद्वाज (1943-) /प्रबोध सम्मान 2009- श्री राजमोहन झा (1934-) /प्रबोध सम्मान 2010- श्री जीवकान्त (1936-) /प्रबोध सम्मान 2011- श्री सोमदेव (1934-)

गुरुवार

मौत से जूझ रहे हैं साहित्यकार तारानन्दन तरुण


कोसी अंचल के वयोवृद्ध साहित्यकार तथा ‘क्षणदा’ त्रैमासिक पत्रिका के प्रधान सम्पादक  भारती भूषण तारानन्दन ‘तरूण’ लगभग एक माह से अस्वस्थता की अवस्था में सिलीगुड़ी (पं.बंगाल) के क्लिनिक में पड़े-पड़े जीवन और मौत से जूझ रहें हैं। कमरे में फिसलकर गिर जाने के कारण पांव की हड्डी टूट  गई जिसका सफल आपरेशन तो सिलीगुड़ी में हुआ  बावजूद  इसके अशक्तता के कारण बिस्तर से उठने तथा चलने-फिरने से लाचार हैं। उनकी महत्वपूर्ण काव्य-पुस्तक ‘रेत के हासिए पर’ है। इस वयोवृद्ध साहित्यकार के लिए 
‘क्षणदा’ परिवार उनके शीघ्र स्वस्थ्य होने की कामना करता है। 
-सुबोध कुमार सुधाकर, सम्पादकः क्षणदा (त्रैमासिक)
प्रभा प्रकाशन, त्रिवेणीगंज, जिला-सुपौल,
 दूरभाषः 06477 220126 मो0: 9430633647

सोमवार

भ्रष्टाचारियों को सरेआम मिले मौत की सजा : बाबा रामदेव | कोसी क्षेत्र कल आ रहे हैं बाबा !



 योगगुरु बाबा रामदेव ने अमेरिका को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि वो विश्व की 5 बड़ी संस्थाओं पर एकाधिकार जमा पूरी दुनिया पर दादागिरी कर रहा है। उन्होंने कहा कि विदेशी चाचा व स्वदेशी चाचा मिलकर भारतीय लोकतंत्र का गला घोंट रहे हैं। बाबा आज बिहार के मधुबनी जिले में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। योगगुरु ने कहा कि देश की शीर्ष सत्ता पर बैठे लोग विदेशी षड्यंत्र के शिकार हो गए हैं। इसी कारण भारत जैसे महान देश में इतने घपले-घोटालों की ख़बरें आ रही हैं। बाबा ने भ्रष्टाचारियों को सजा-ए-मौत देने की अपनी बात भी दुहराई। कहा, कई देशो में सरेआम भ्रष्टाचारियों को मौत दी जाती है। यहां भी ऐसे नियम बनने चाहियें और उसका सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। Source: भास्कर न्यूज़.  
 स्वामी रामदेव कल  से कोसी क्षेत्र की यात्रा पर सहरसा पहुंच रहे हैं। वे सहरसा एवं सुपौल के कई सभाओं को सम्बोधित करेंगे...।

शनिवार

‘अंगप्रदेश की प्रतिनिधि हिन्दी कविताएं’



ह अंगप्रदेश के 22 कवियों की कविताओं का संकलन है। ये कवि हिन्दी काव्य-जगत में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं । संग्रह के माध्यम से संपादक चन्द्रप्रकाश जगप्रिय ने विशाल अंग क्षेत्र के कवियों की संवेदनाओं और वैचारिकता की बतौर एक चादर बुन दिया है। अंग-भूमि से ही हिन्दी कविता की नींव सरहपाद ने डाली थी। वे हिन्दी के पहले कवि थे। रामधारी सिंह दिनकर, रामेश्वर झा द्विजेन्द्र, श्यामसुन्दर घोष, मधुकर गंगाधर, और कुमार विमल आदि अंग क्षेत्र से कालजयी कृतियों के सृजनकर्ता रहे हैं। इनके ऐतिहासिक योगदान से हिन्दी साहित्य समलंकृत हुआ है। इस संग्रह में जिन बाइस कवियों को सम्मलित किया गया है वे हैं - डा. नंद किशोर, डा. कुमार विमल, डा. दिनेश्वर प्रसाद, डा. मनमोहन मिश्र, डा. सकलदेव शर्मा, विनय अश्म, हेना चक्रवर्ती, डा. विद्या रानी, डा. मृदुला शुक्ला, उत्तम पीयूष, अरविन्द श्रीवास्तव, डा. आभा पूर्वे, डा. मधुसूदन साहा, साथी सुरेश ‘सूर्य’, माधुरी जायसवाल, जनार्दन यादव, मीना शिखा, डा. मनाजिर आशिक हरगानवी, डा. अमरेन्द्र, नवीन निकुंज, दिगम्बर प्रसाद सिंह और चन्द्रप्रकाश जगप्रिय हैं।
 पुस्तक अंग क्षेत्र के सामर्थ समकालीन काव्य-लेखन का आइना दिखाता है। साज-सज्जा स्तरीय है। संग्रह में लेखक का परिचय नहीं है तो क्या हुआ सम्पादक का संक्षिप्त परिचय दो पृष्ठों में अवश्य दिख जाता है। 

संपादकः चन्द्रप्रकाश जगप्रिय, पुलिस उपाधीक्षक, 
23ए/60 आफिसर्स फ्लैट, बेली रोड, पटना-1 मो. 09973880362
पुस्तक प्राप्ति हेतु - 09939451323 

कथाकार बच्चा यादव एवं कवि-लेखक भूपेन्द्र मधेपुरी के लिए स्वास्थ्य लाभ की कामना


धर कोसी क्षेत्र से दो दुखद खबरें सामने आयी हैं। कोसी क्षेत्र के चर्चित कथाकार बच्चा यादव (पूर्णिया) सड़क दुर्धटना में बुरी तरह घायल होकर सिलीगुड़ी अस्पताल में भर्ती हैं, वे ‘कोमा’ में चल रहे हैं। बच्चा यादव जी के सम्पादन में ‘कथा कोसी’ कहानी संग्रह ‘मुहिम’ त्रैमासिक पत्र का प्रकाशन हुआ है। उनकी रचनाएं जनसत्ता-सबरंग, समकालीन जनमत, अक्षर पर्व, परिकथा आदि पत्रिकाओं एवं आकाशवाणी से प्रसारित होती रही हैं।
दूसरी ओर कौशिकी क्षेत्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन के सचिव डा. भूपेन्द्र  मधेपुरी हृदय रोग से पीडित होकर पटना के जीवक अस्पताल में भर्ती हैं। उनका ‘बायपास सर्जरी’ किया गया है। डा़ मधेपुरी के ‘छोटा लक्ष्य, बड़ा अपराध’, ‘दृष्टिकोण’ एवं ‘बूंद-बूंद सच एक सागर का’ चर्चित ग्रंथ हैं।
सम्प्रति कोसी क्षेत्र इन दोनो कलमकारों के स्वस्थ होने की कामना कर रहा है।

मंगलवार

मैथिली कथा गोष्ठी ‘सगर राति दीप जरय’ का 72 वाँ आयोजन


मैथिली की त्रैमासिक कथा गोष्ठी ‘सगर राति दीप जरय’ का 72 वाँ आयोजन 4 दिसम्बर 2010 को सुपौल के व्यपार संध में होगा । इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्तर के मैथिली कथाकार अपनी-अपनी कहानियों का पाठ करेंगे एवं विद्वान समीक्षकों द्वारा इनकी कहानियों पर चर्चा-परिचर्चा की जायेगी।
 ‘विप्लव फाउण्डेशन’ एवं प्रलेस सुपौल के संयुक्त बैनर तले आयोजित यह कथा गोष्ठी रात भर चलेगी। ज्ञातव्य है कि प्रत्येक तीन माह पर आयोजित होने वाली यह गोष्ठी 1990 से प्रारम्भ हो कर पिछले 20 वर्षों से अनवरत आयोजित हो रही है और इस प्रकार यह आयोजन भारतीय भाषा साहित्य में एक इतिहास रच रही है। इस आयोजन में भारत एवं दूसरे देशों के रचनाकारों की भी सहभागिता होती है। 72 वें आयोजन के संयोजक - अरविन्द ठाकुर ने बताया कि सुपौल में इस कथा गोष्ठी का चौथा आयोजन है इसमें मैथिली भाषा के सम्मानित कथाकार अपनी कथा का पाठ करेंगे एवं विद्वान समालोचकों द्वारा पठित कथा पर चर्चा-परिचर्चा की जायेगी। इस अवसर पर पुस्तक-पत्रिकाओं की प्रदर्शनी एवं लाकार्पण का भी आयोजन है। कार्यक्रम संयोजक- अरविन्द ठाकुर, सुपौल, मोबाइल- 09431091548

शनिवार

अफसरों ने दिलाया नीतीश को जनादेश : लवली आनंद


पूर्व सांसद कांग्रेस नेत्री लवली आनंद ने नीतीश सरकार को मिले जनादेश को अफसरों की करामात करार देते हुए कहा कि आलमनगर विधानसभा से चुनाव में हुई उनकी हार मतदान में बरती गयी धांधली का नतीजा है। वे इस धांधली के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटायेंगी। श्रीमती आनंद ने कहा कि चुनाव पूर्व से ही आलमनगर में अधिकारियों का रवैया पक्षपातपूर्ण रहा। चुनाव के दौरान उन लोगों को हेलीकाप्टर उतारने के लिए चयनित सभा स्थलों की सूची दी गयी थी, लेकिन जदयू राष्ट्रीय अध्यक्ष का हेलीकाप्टर कई अचयनित स्थलों पर उतरने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
श्रीमती आनंद शनिवार को गंगजला स्थित अपने आवास पर संवाददाता को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि 70 आलमनगर विस क्षेत्र में किसी भी उम्मीदवार या उसके चुनाव अभिकत्र्ता को चुनाव पूर्व इवीएम का सीयू (कंट्रोल यूनिट) और बीयू (बैलेट यूनिट) नंबर उपलब्ध नहीं कराया गया, जबकि नियमत: निर्वाची पदाधिकारी पर्यवेक्षक की उपस्थिति में सिलींग के बाद बूथों पर भेजे जाने वाले सीयू और बीयू नंबर की सूची उपलब्ध कराना चाहिए। इसके अलावा मतदान बार पोलिंग एजेंटों के मांग के बाद भी पीठासीन पदाधिकारियों द्वारा फार्म सी नहीं दिया गया और एजेन्ट द्वारा जोर देने पर सादा कागज पर मतदान का डिटेल्स लिखकर दिया जाना भी चुनाव में हुए धांधली को दर्शाता है। इतना ही नहीं स्ट्रांग रूम के दरवाजे पर प्रत्याशियों द्वारा हस्ताक्षरित कागज का फटा रहना, इवीएम के सील का टूटा होना व इवीएम पर पीठासीन व एजेन्टों के अलग-अलग हस्ताक्षर यह जताता है कि यह जनादेश अफसरों की करामात है। उन्होंने कहा कि आलमनगर में उनकी जीत सुनिश्चित थी लेकिन जिस प्रत्याशी ने आज तक के चुनाव में 42 हजार वोट नहीं लाया था, उसे 42 हजार मतों से विजयी बना दिया गया। वे इसके खिलाफ कोर्ट जाएंगी। इस मौके पर पूर्व मुखिया बीरेन्द्र सिंह, सहरसा से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे नीरज गुप्ता मौजूद थे।                                                        जागरण प्रतिनिधि, सहरसा.

गुरुवार

कोसी क्षेत्र में बाहुबली क्षत्रपों के दुर्ग ढहे, दबंगों का सूपड़ा साफ !



 राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को मिले ऐतिहासिक जनादेश में कोसी क्षेत्र की भागीदारी भी दमदार रही। इस अभूतपुर्व सफलता के बीच कोसी क्षेत्र के दबंगों को मुह की खानी पड़ी। कांग्रेस के दबंग द्वय पप्पु यादव और आनन्द मोहन की पत्नियों को मतदाताओं ने खारिज कर दिया। बिहारीगंज से रंजीत रंजन (कांग्रेस) 11885 मत प्राप्त कर तीसरे स्थान पर रही। आलमनगर से लवली आनंद (कांग्रेस) 22622 मत प्राप्त किये जबकि वहीं से नरेन्द्र ना. यादव (जदयू) 64967 मत से जीत का सेहरा बांधा। कोसी क्षेत्र से एक अन्य चर्चित शख्सियत कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष महबूब अली कैसर की सिमरी बख्तियारपुर में शर्मनाक हार हुई। राहुल गांधी का तिलस्म बुरी तरह पिटा, कैसर दूसरे स्थान पर रहे। वहां भी जदयू के डा. अरुण कुमार ने 57,980 मत प्राप्त कर विजय श्री प्राप्त किया।      

बुधवार

फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ के नाम फारबिसगंज कालेज



बी.एन. मंडल विश्वविधालय, मधेपुरा के कुलपति डा. आर.पी. श्रीवास्तव द्वारा विश्वविधालय परिसर में कालजयी रचनाकार एवं कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ पर दो दिवसीय ( 26 व 27 नवम्बर ) राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित किये जाने के बावत कौशिकी क्षेत्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन, मधेपुरा के अध्यक्ष हरिशंकर श्रीवास्तव ‘शलभ’ एवं सम्मेलन के सचिव डा. भूपेन्द्र नारायण यादव ‘मधेपुरी’ सहित साहित्यकार डा. विनय कुमार चैधरी, डा. सिद्धेश्वर काश्यप, डा. श्यामल किशोर यादव, डा. शान्ति यादव, डा. आलोक कुमार, दशरथ प्रसाद सिंह, गिरिधर चांद, उल्लास मुखर्जी, राजू भैया, सियाराम यादव ‘मयंक’, इंदुबाला सिन्हा आदि ने कुलपति डा. श्रीवास्तव के प्रति आभार व्यक्त किया एवं शुभकामनाएं दी।
सम्मेलन के सचिव डा. मधेपुरी ने कुलपति महोदय से विनम्रतापूर्वक अनुरोध किया कि रेणु जी जैसे कालजयी रचनाकार के नाम को फारबिसगंज काॅलेज के साथ जोड़ कर ऐसे अवसर पर सम्मानित किया जाना सर्वथा उचित होगा। डा. मधेपुरी ने विश्वविधालय सिंडिकेट के पूर्व निर्णय का खुलासा करते हुए कहा कि 4 मई 1999 के सिंडिकेट की बैठक में तत्कालीन कुलपति डा. जयकृष्ण प्रसाद यादव की अध्यक्षता में स्थानीय कौशिकी क्षेत्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन के सचिव डा. मधेपुरी द्वारा नामाकरण के बावत सम्मेलन में पारित प्रस्ताव को तत्कालीन अभिषद सदस्य डा. आर.एन. मंडल से निवेदन कर अभिषद के समक्ष उपस्थापित किया गया था। विचारोपरान्त सर्वसम्मत निर्णय लेते हुए सिंडिकेट ने फारबिसगंज काॅलेज का नाम ‘फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ फारविसगंज कालेज’ रखने का निर्णय लिया था। ऐसे सर्वसम्मत निर्णय के कार्यान्वयन का इससे बेहतर अवसर और क्या हो सकता है ?

मंगलवार

जलद घिरे आकाश - सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक



ह सुबोध कुमार सुधाकर (सं.- क्षणदा) की त्वरित प्रकाशित पुस्तक है। इसमें 25 भिन्न-भिन्न शीर्षकों में दोहा विधा में लिखी गयी कविताएँ है कवि सुबोध कोसी अंचल के एक वरिष्ठ गीतकार हैं और इनके अनेक गीत ग्रंथ प्रकाशित होकर पाठकों में समादृत हो चुके हैं।
कवि की विपुल सांस्कृतिक चेतना के प्रतीक हैं ‘जलद घिरे आकाश’ के दोहे।इनमें मानवीय जीवन के नवीन मूल्यों की लाक्षणिक भाषा में अभिव्यक्ति हुई है। इनमें व्यक्त आध्यात्मिक अनुभूति, मानवतावादी विचारधारा तथा वैयक्तिक चिंतन और मार्मिक अनुभूति, प्रकृति का मानवीकरण तथा सौंदर्य चित्रण पाठकों को सहज ही आकर्षित कर लेते है। कवि की निजी अनुभूतियों का व्यक्तीकरण जहाँ- जहाँ प्रकृति के माध्यम से किया गया है वह बड़ा ही सजीव, सटीक और सार्थक है। इस दोहाकार ने प्रकृति की प्रत्येक विस्मयोत्पादक छवि को सामान्य पाठकों के लिए सरल, सुगम्य एवं सुबोध बना दिया है। इन दोहों में केवल प्रकृति का सौन्दर्य ही नहीं है- तीखा व्यंग्य है, युगबोध भी है और युगधर्म हुंकारता है। - हरिशंकर श्रीवास्तव ‘शलभ’ 

सम्पर्कः- सुबोध कुमार ‘सुधाकर’
संपादकः ‘क्षणदा’ (त्रैमासिक),
प्रभा प्रकाशन, त्रिवेणीगंज - 852139़, सुपौल (बिहार)
मोबाइल- 09430633647. फोन- 06477 220126

रविवार

स्वामी रामदेव 7- 8 दिसम्बर को कोसी प्रमंडल में करेंगे सभाएं



योग गुरू बाबा रामदेव 7-8 दिसम्बर को कोसी क्षेत्र में कई समारोहों को 
सम्बोधित करेंगे। पतंजलि योग समिति एवं भारत स्वाभिमान न्यास इकाई के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रमों की सूचना देते हुए जिलाध्यक्ष चन्द्रश्वरी प्रसाद ने बताया कि स्वामी जी के आगमन की सूचना जन-जन तक पहुँचाने के लिए प्रचार-रथ से सहरसा के विभिन्न प्रखण्डों में सम्पर्क अभियान चलाया जा रहा है, यह भ्रमण जिले के 450 गांव में किया जा रहा है।
स्वामी रामदेव 7 दिसम्बर की सुबह 5.00 से 7.30 तक सहरसा के पटेल मैदान में शिविर को सम्बोधित करेंगे, 8.00 बजे के पश्चात कार्यकर्ताओं एवं पत्रकारों को सम्बोधित करेंगे। दोपहर 1.30 बजे सौर प्रखण्ड के अन्दौली ग्राम, जिसे समिति द्वारा आदर्श ग्राम धोषित किया गया है वहाँ स्वामी जी का व्याख्यान होगा साथ ही बैजनाथपुर में जनसभा को सम्बोधित करेंगे।
8 दिसम्बर को सुपौल जिला के सुखपुर गांव में योग शिविर के पश्चात नुनुपट्टी, बलहा, परसरमा एवं मलहनी में जनसभा को संबोधित करते हुए सुपौल जाएंगे। 


शुक्रवार

रेलवे की उदासीनता से यात्री हलकान


कोसी क्षेत्र को शेष बिहार व देश से जोड़ने वाली प्रमुख सड़क सेतु ‘डुमरी पुल’ पर वाहनों का परिचालन बंद हो जाने तथा कोसी प्रमंडलीय मुख्यालय के सहरसा जं. पर ट्रेनों की संख्या नगण्य होने से क्षेत्र के यात्री परेशान हैं। पर्व-त्योहार में यात्रियों की बढ़ी भीड़ ने मुश्किलें और भी बढ़ा दी है। स्मरण रहे कि मधेपुरा और सुपौल जिले से बाहर निकलने का एकमात्र रास्ता सहरसा हो कर गुजरता है। तीन जिलों की बड़ी आबादी के लिए 24 घंटों में मात्र दो ट्रेनें हैं जो राजधानी पटना के लिए खुलती है, सुबह 5.10 में कोसी एक्सप्रेस और दोपहर 12. 50 में इन्टरसिटी एक्स. जिनमें भेड.-बकरियों की तरह लदकर यात्री सफर तय करते हैं साथ ही ट्रेन की लेटलतीफी का आलम यह है कि मात्र 218 किलोमीटर दूर पटना पहुँचने में 8 घंटे से अधिक का वक्त लगता है, ऐसे में रोगी-मरीज व आकस्मिक दुर्धटना के शिकार व्यक्ति इलाज के अभाव में असमय दम तोड़ने को अभिशप्त होते हैं।
मधेपुरा के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता डा. भूपेन्द्र नारायण यादव ‘मधेपुरी’ ने बताया कि मधेपुरा के महान मतदाताओं की बदौलत लालू प्रसाद 2004 से 2009 तक रेलमंत्री रहकर अपनी कथित उपलब्धियों का डंका पीटते रहे, उसी मधेपुरा की जनता तरस रही है कि उन्हें कोई ऐसी ट्रेन नसीब होती जिससे यहाँ के लोग सीधे पटना पहुँच पाते। मुरलीगंज का रास्ता अब भी अवरूद्ध है, लालू के पुनः मुख्यमंत्री बनने पर रेल की तरह बिहार चमकाने की बात बिल्कुल धोखा है। कोसी क्षेत्र में रेल विकास रुके रहने से आम जनता क्षुब्ध है, आक्रोशित है।

जल विहीन मत्स्यगंधा में छठ व्रतियों को परेशानी



हरसा के प्रमुख पर्यटन सह धार्मिक स्थल मत्स्यगंधा स्थित झील साफ-सफाई और रख रखाव के अभाव में महज एक बड़े गड्ढे में तब्दील हो कर रह गयी है। कमोवेश सहरसा के सभी तालाब एवं पोखरों में गंदगी और कूड़े भरते जा रहे हैं। मत्स्य विभाग और प्रशासनिक उदासीनता का आलम यह है कि व्यवहार न्यायालय के सामने एवं विकास आयुक्त कार्यालय के पीछे स्थित मत्स्य विभाग के तालाब के आसपास जंगल-झाड़, मल-मूत्र बिखड़े पड़े हैं, तालाब में पानी का आभाव है। शहर के मुख्य जलाशयों में - शंकर चौक (मंदिर परिसर) स्थित तालाब, मसोमात पोखर, गांधी पथ स्थित तालाब, पासवान टोला और बस्ती स्थित तालाबों के घाट पर आमजन अपने स्तर से सफाई और सजावट की व्यवस्था कर रहे हैं।

मंगलवार

राजद के झांसे में नहीं आने का सुझाव - डा. रवि



धेपुरा के पूर्व सांसद एवं वर्तमान में विधान सभा से जदयू प्रत्याशी डा. रमेन्द्र कुमार यादव ‘रवि’ ने कहा कि बिहार की जनता चाहती है कि बिहार में विकास पुरुष नीतीश कुमार और सुशील मोदी की सरकार पुनः बने और बचे हुए कार्यों को मुस्तैदी से पूरा करे। राजद के अनर्गल प्रलाप को खारिज करते हुए डा. रवि ने कहा कि अधजल गगरी छलकत जाय, भरी गगरिया चुप्पे जाय । 
इस अवसर पर डा. योगेन्द्र प्रसाद यादव, डा. मधेपुरी, रमण कुमार सिंह आदि उपस्थित थे।

मधेपुरा में मनायी गई देश के बारहवें राष्ट्रपति डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की 79 वीं जन्म जयन्ती।

डा. ए.पी.जे अब्दुल कलाम को अपनी पुस्तक ‘स्वप्न, स्वप्न, स्वप्न’ की पांडुलिपि भेंट करते डा.भूपेन्द्र ‘मधेपुरी’ एवं डा. अरुण कुमार
तिवारी।

धेपुरा के ‘वृन्दावन’ परिसर में भारत के बारहवें राष्ट्रपति डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की 79 वीं जन्म जयन्ती मनायी गई। इस अवसर पर उपस्थित वरिष्ट साहित्यकार एवं कौशिकी क्षेत्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अघ्यक्ष हरिशंकर श्रीवास्तव ‘शलभ’ ने कहा कि भारत में अक्टूबर एतिहासिक महत्व का महीना है, क्योकि इसी महीने में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं ‘जय जवान, जय किसान’ के उद्धोषक प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर को हुआ। और वैज्ञानिक द्वव भारत के बारहवें राष्ट्रपति भारत रत्न डा.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर एवं महान वैज्ञानिक डा. होमी जहांगीर भाभा का जन्म दिन 30 अक्टूबर को। ऐसे महापुरुषों को स्मरण कर उन्होंने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
डा. भूपेन्द्र नारायण यादव ‘मधेपुरी’ ने भारत रत्न डा. ए.पी.जे अब्दुल कलाम से अपने अविस्मरणीय मुलाकात को याद किया तथा उनकी लंबी आयु की कामना की।

गुरुवार

शरद-नीतीश की चुनावी सभा में डा. मधेपुरी का काव्य पाठ

शरद-नीतीश की चुनावी सभा में डा. मधेपुरी का काव्य पाठ

घैलाड़ (मधेपुरा) जदयू प्रत्याशी डा.रमेन्द्र कुमार यादव ‘रवि’ के पक्ष में प्रचार करने आये बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार का विकास न तो चालीस वर्षों के शासनकाल में कांग्रेस ने ही किया है और न अपने पन्द्रह वर्षों के शासनकाल में पति-पत्नी ने हीं। उन्होंने एनडीए के पांच वर्षों के शासन काल में हुए विकास कार्यक्रमों को रेखांकित किया।
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि नीतीश कुमार अपने जीवन को सार्वजनिक बनाकर समाज के आमलोगों के लिए जीते मरते हैं। वहीं दूसरी तरफ विरोधी लोग परिवार - तंत्र को मजबूत करने में लगे हैं। उन्होंने सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं- सायकिल योजना, पोशाक योजना, दशरथ मांझी कौशल योजना, हुनर योजना... आदि की जानकारी दी तथा अपराधमुक्त के बाद भ्रष्टाचार मुक्त बिहार बनाने का वादा किया। डा. रवि के पक्ष में आयोजित इस सभा में मधेपुरा के वरिष्ट साहित्यकार डा. भूपेन्द्र नारायण यादव ‘मधेपुरी’ ने अपने ओजपूर्ण काव्यपाठ से जनसमूह में नयी चेतना का संचार किया । स्वयं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इनके काव्य पाठ को सुनकर प्रफ्फुलित दिखे। मंच पर जदयू के डा. रवि, राज्यसभा सदस्य श्री अली अनवर, विधान पार्षद विजय कुमार वर्मा एवं उप प्रमुख सियाशरण यादव तथा अन्य वक्ता उपस्थित थे।


मंगलवार

बिहार बीजेपी से पांच बागी निष्कासित


हरसा बीजेपी के विधायक संजीव कुमार झा सहित पांच बागी को बीजेपी आला कमान ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण निष्कासित कर दिया। वे हैं- अवध बिहारी सिंह, महेन्द्र मंडल, श्यामदेव पासवान, अजय झा और संजीव कुमार झा। स्मरण रहे कि संजीव कुमार झा सहरसा से बीजेपी के विधायक रहे हैं, जिन्हे इस विधानसभा चुनाव में पार्टी ने टिकट नहीं दिया; फलस्वरूप उन्होंने बागी प्रत्याशी बन अपनी उम्मीदवारी सुनिश्चित की और पार्टी प्रत्याशी आलोक रंजन के विरूद्ध चुनाव में अपनी दावेदारी पेश की सूत्रों की माने तो संजीव झा को पार्टी के वरिष्ट नेता अश्विनी चैबे का करीबी माना जाता है। जो सुशील मोदी के लिए नागवार था। 


शुक्रवार

बिहार में बीजेपी का संकट गहराया, अश्विनी चौबे का कोर कमिटी से इस्तीफा......

बिहार प्रदेश बीजेपी को एक और झटका देते हुए अश्विनी चौबे ने बीजेपी कोर कमिटी से अपना इस्तीफा दे दिया। इसके पूर्व पार्टी अध्यक्ष पद से डा. सी पी ठाकुर ने इस्तीफा देकर प्रदेश भाजपा के समक्ष पहले ही मुश्किल खड़ा कर दी थी।  प्रदेश भाजपा में उठा-पटक का यह क्लाइमेक्स चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर अपने-अपने ‘चहेते’ को टिकट नहीं मिलने से हुआ । जहाँ प्रदेश अध्यक्ष डा. सी पी ठाकुर अपने पुत्र को टिकट दिलाना चाहते थे वहीं श्री चौबे के भी कई अपने चहेते थे, टिकट बंटवारे में सुशील मोदी की ‘तानाशाही’ के खिलाफ बगावत की सुगबुगाहट टिकटों  की पहली सूची जारी होते ही शुरू हो चुकी थी, पार्टी के कई पुराने कार्यकर्ता व विधायकों को टिकट नहीं दिये जाने से नाराज वरिष्ट नेता अश्विनी चौबे ने सीधे तौर पर टिकट बंटवारे में मोदी की मनमानी, हठ तथा कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का आरोप लगाया। स्मरण हो कि कोसी क्षेत्र में सहरसा के बीजेपी विधायक संजीव कुमार झा सहित कई ऐसे नाम रहे है जिन्हें चौबे गुट का समझा जाता था उन्हें पार्टी टिकट नहीं मिलने से भी श्री चौबे का गुस्सा फूटा।
    भागलपुर से विधायक रहे अश्विनी चौबे की छवि बीजेपी के जनाधार वाले पुराने कद्दावर नेता की रही है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी में चल रहे इस घमासान से बीजेपी की लुटिया तो डूबेगी ही..... .. एनडीए की सेहत के लिए भी यह खतरे की घंटी है !

4 सितंबर को सहरसा में राहुल गांधी फूकेंगे चुनावी बिगुल




पिछले कई चुनावों में बिहार और कोसी क्षेत्र में कांग्रेस की हुई मिट्टी पलीद से पार्टी को उबारने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव राहुल गांधी 4 सितंबर को सहरसा के पटेल ग्राउण्ड में जनसभा को संबोधित करेंगे। कार्यकर्ताओं का मानना है कि राहुल के आगमन से कोसी - कांग्रेस में जान आयेगी, बिहार में कांग्रेस का चुनावी आगाज होगा और यहाँ की बेहाल जनता लालू के जंगलराज और नीतीश के लूटराज से मुक्त हो सकेगी । स्मरणीय है कि बिहार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष चैधरी महबूब अली कैसर भी इसी इलाके से आते हैं तथा पूर्व सांसद आनन्द मोहन एवं लवली आनन्द द्वारा तमाम अटकलों को निरस्त कर कांग्रेस में बने रहने से कांग्रेस का जनाधार बढ़ सकता है। पूर्व सांसद पप्पू यादव व रंजीता रंजन आदि के सहयोग से कांग्रेस अपने खोए हुए जनाधार को पुनः स्थापित कर सकती है। ज्ञातव्य है कि 1984 के बाद कोसी क्षेत्र और बिहार में कांग्रेस का जो पतन का सिलसिला चला उससे पार्टी आज तक उबर नहीं पायी है। फिलहाल राहुल के आगमन से विहार सहित कोसी क्षेत्र में कांग्रेस का हौसला परवान पर है। 

------तुम ही सो गये दास्ताँ कहते कहते। गज़लकार वसन्त नहीं रहे....


गीत एवं गज़ल के चर्चित हस्ताक्षर - वसन्त (मुरलीगंज) इस दुनिया में अब  नहीं रहे- यह कहते ही जुबान लड़खड़ा जाती है....अपने गज़ल और गीतों से मंच पर छा जाने वाले वसंत इस तरह अचानक लुप्त हो जायेगा, अविश्वसनीय लगता है। कोसी क्षेत्र की पहचान के रूप में वसन्त ने बिहार एवं अन्य प्रान्तो में अपने फन से बेहद शोहरत कमाया, देश की चर्वित पत्रिकाओं ने उनके गीत और गज़ल को ससम्मान प्रकाशित किया। कोसी क्षेत्र से प्रकाशित पहला साप्ताहिक ‘कोसी टाइम्स’ का उन्होंने प्रकाशन एवं संपादन किया।


वरिष्ठ कवि व गीतकार सत्यनारायण (पटना) का मानना है कि - वसन्त की गज़लों में अहसास की तपिश है, एक मासूम-सा मिज़ाज है और वे धड़कते  भी हैं.......।  उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए वरिष्ठ साहित्यकार तथा कौशिकी क्षेत्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्षय श्री हरिशंकर श्रीवास्तव ‘शलभ’ ने कहा कि वसन्त नवगीत से गज़ल के क्षेत्र में आये थे, यही कारण है कि नवगीत की रागचेतना और उसकी विम्बधर्मिता समग्र रूप में इनकी गज़लों में दिखती है। डा. भूपेन्द्र’ मधेपुरी का मानना है कि वसन्त के गजलों में नवगीत के मुहावरे, उसकी शब्दावली और उनकी आन्तरिक बुनावट बहुत ही आकर्षक है कवि धीर प्रशांत का मानना हे कि बसन्त की गज़लों में उर्जा’ है और अंतरंगता । चर्चित कवि शहंशाह आलम ने वसन्त को कोसी का खिला हुआ एक अलौकिक पुष्प कहा। गजलकार अनिरूद्ध सिन्हा  एव अरविन्द श्रीवास्तव ने अपने अश्रुपूरित नयनों से उन्हें नमन किया।   उनकी चर्चित कृति ‘एक गज़ल बनजारन औरकुर्सियों का व्याकरण’ एक धरोहर है हमारे बीच।
पिछले दिनों दैनिक ‘हिन्दुस्तान’ में प्रकाशित उनकी एक गज़ल को देखें -

लगने लगा है बिस्तर बाहर दलान में 
बूढ़े के लिए अब नहीं कमरा मकान में।

प्रस्तुत है उनकी पुस्तक ‘एक गज़ल बंजारन’ की पहली गज़ल-

पहले पन्ने में राजा का हाथ खून से सना लिखा है
मनमानी की इस किताब में आगे दुख दुगुना लिखा है

इससे भी पहले अंधों ने अपनों को बांटी रेवड़ियां
भैया तेरी मेरी किस्मत में केवल झुनझुना लिखा है

अपनी कुदरत को बचपन से फाकामस्ती की आदत है
कई दिनों से चौके  की पेशानी पर बस चना लिखा है

इस सियासती बाजीगर को शायद यह मालूम नहीं कि
टूट गया शहजोर फैलकर जब भी हद से तना लिखा है

ज़र्द धूप का टुकड़ा आकर बोल गया कल पत्तों से यूं
चन्द रोज है और कुहासा इसको होना फना लिखा है

एक रोज नेकी ने सोचा मिलें जरा फिर इन्सानों से
देखा हर धर के दरवाजे अन्दर आना मना लिखा है

पत्थर फेंक रहे लोगों का सुनते हैं तू सरपरस्त है
तेरा धर तो खास तौर से शीशे का बना लिखा है । 

‘जनशब्द’ एवं ‘कोसी खबर’ परिवार कवि वसन्त की निम्न पंक्तियों को स्मरण कर उन्हें श्रद्धा निवेदित करता है -
थे नहीं उतने बुरे दिल के वसन्त जी
उठी जब मैयत कहा सबने वसन्त जी
क्या गये जो रूठ कर हमसे वसन्त जी
फिर नहीं हमको दिये रब ने वसन्त जी

तस्वीर में (दायें से बाये) काव्यपाठ करते वसन्त, अरविन्द श्रीवास्तव, हरिशंकर श्रीवास्तव ‘शलभ’, आदित्य, डा. मनमोहन सिंह (पंजाबी शायर एवं आरक्षी अधीक्षक ) .डा भूपेन्द्र नारायण यादव ‘मधेपुरी’ एवं दशरथ सिंह।

मंगलवार

बिहार विधान पार्षद विजय कुमार वर्मा का नागरिक अभिनन्दन 29 जून को


 नता दल यू. के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बिहार विधान पार्षद के रूप में विजय कुमार वर्मा को दुबारा विधान पार्षद मनोनीत किये जाने के उपलक्ष्य में 29 जून 2010 को उनके मधेपुरा आगमन पर जिला नगर निवासी व जिला एनडीए की ओर से आयोजित समारोह में उनका नागरिक अभिनन्दन किया जाएगा। यह सूचना शरद यादव के चुनाव प्रभारी रहे डा. भूपेन्द्र नारायण यादव ‘मधेपुरी’. ने दी।
 ज्ञातव्य है कि श्री वर्मा जे.पी. की सम्पूर्ण क्रांति में मधेपुरा का नेतृत्व कर जेल गये और यातनाओं को झेला था।

बुधवार

इस तरह मनाया गया मधेपुरा का 30 वाँ स्थापना दिवस



9 मई 2010 रविवार को बी.एन मंडल स्टेडियम में तीन दिवसीय रंगांरंग कार्यक्रम, कवि सम्मेलन, मुशायरा, वाद-विवाद, सांस्कृतिक कार्यक्रम, परिचर्चा एवं विभिन्न खेलों के आयोजन के साथ पाँच किलोमीटर का विकास दौड.-जिसका नेतृत्व मधेपुरा के जिला पदाधिकारी डा. वीरेन्द्र प्रसाद यादव कर रहे थे। यह बी.एन. मंडल विश्वविधालय- भूपेन्द्र चौक, सुभाष चौक, कर्पूरी चौक से मुड.कर कौशिकी क्षेत्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन होते हुए पंचमुखी चौक से आगे सरकारी विभागों के 25 आकषर्क स्टालों से सजे स्टेडियम में जाकर समाप्त हुआ।
उद्धाटन सत्र में बिहार सरकार के राजस्व मंत्री श्री नरेन्द्र ना. यादव एवं कृषि मंत्री रेणु कुमारी कुशवाहा सहित जिला पदाधिकरी डा. वीरेन्द्र प्र. यादव, आरक्षी अधीक्षक वरुण कुमार सिन्हा एवं अन्य गणमान्य लोगों द्वारा 30 दीप प्रज्ज्वलित कर मधेपुरा जिला का 30 वाँ स्थापना दिवस उद्धाटित किया गया।
इस अवसर पर मधेपुरा के आतीत को यादगार बनाये रखने के लिए स्मारिका ‘स्पंदन’ का विमोचन किया गया, जिसमें मधेपुरा के लिए कुर्बानियाँ देने वाले तथा समाज के लिए जीवन अर्पित करने वाले अपने पुरखों को कलमवद्ध करने का काम किया डा. भूपेन्द्र नारायण यादव ‘मधेपुरी’ जिन्होंने राष्ट्रीय उद्याम चरित्र वाले नायक बाबू रासविहारी मंडल सहित भुवनेश्वरी, कमलेश्वरी, विन्ध्येश्वरी, शिवनन्दन, भूपेन्द्र सहित उच्य न्यायालय में मधेपुरा को गौरवान्वित करने वाले न्यायमूर्ति आर.पी. मंडल, न्यायमूर्ति एस. सी मुखर्जी एवं न्यायमूर्ति के. के. मंडल को भी अपनी लेखनी में सवारने का काम किया है। वहीं केदार कानन ने शहीद चुलाहय, एवं बाजासाव व अन्य स्वतंत्रता सेनानी महताव लाल , यदुनाथ, पुलकित, बाबू जी लाल दास, कार्तिक प्र. सिंह सहित विभिन्न साहित्यकारों, इतिहासकारों को याद कर लिपिवद्ध किया है। स्मारिका ‘स्पंदन’ पठनीय एवं संग्रहणीय है।

रविवार

मधेपुरा मना रहा है अपना स्थापना दिवस


कोसी अंचल का यह सर्वाधिक पुराना अनुमंडल, जिसका गठन 3 सितम्बर 1845 ई. को हुआ था, 9 मई 1981 को जिला का रूप ग्रहण किया था। कोसी  की विभीषिका को झेल कर उठ खड़ा होने वाला यह जनपद प्रगति के लिए किसी ‘पीर’ की प्रतीक्षा में है, जबकि लालू, शरद और पप्पू यादव जैसे चर्चित चेहरे  इस संसदीय क्षेत्र की कमान सम्भाल चुके हैं। यहाँ प्रसिद्ध समाजवादी नेता भूपेन्द्र नारायण मंडल के नाम से एक विश्वविधालय है जिसका कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण कोसी और पूर्णिया प्रमंडल है। मधेपुरा में कई ऐसे राजनेता पैदा हुए, जिन्होंने राष्ट्र को नई दिशा प्रदान की। इन नेताओं में सर्वश्री रास बिहारी लाल मंडल, शिवनन्दन प्र. मंडल, भूपेन्द्र ना. मंडल और बिन्ध्येश्वरी प्रसाद मंडल हैं। कोसी क्षेत्र की सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था मे इनका नाम बड़े  ही सम्मान से लिये जाते हैं। मधेपुरा के स्थापना - दिवस पर हम केन्द्र और राज्य सरकार से इस जनपद के विकास में पुरजोर भागीदारी की उम्मीद करते हैं।

मंगलवार

पूर्व सांसद आर.पी. यादव का निधन


73 वर्ष की आयु में मधेपुरा के पूर्व सांसद राजेन्द्र प्रसाद यादव का निधन दिल्ली के एम्स में हो गया, वे लीवर कैंसर से पीड़ित थे। उन्होंने कांग्रेस से अपनी राजनीति आरम्भ की थी तथा तीन बार मधेपुरा से सांसद निर्वाचित हुए थे। 1967 में वे बीपी मंडल जैसे कद्दावर नेता को हरा कर सांसद बने। पुनः 1977 एवं 1980 में डा. रमेन्द्र कुमार यादव ‘रवि’ को पराजित कर अपनी राजनीति-फलक का विस्तार किया। वे निधन पूर्व तक जद यू. के सम्मानित नेता रहे।

मंगलवार

दिल्ली मे बिहार उत्सव

अगर आप बिहार के बारे में ज्यादा जानना चाहते हैं तो दिल्ली के प्रगति मैदान में चले आईये। यहां आपको बिहार की पिछले चार साल की विकास यात्रा की पूरी जानकारी मिलेगी। केवल यही नहीं राज्य की पिछले ९७ वर्षों की लंबी यात्रा के साथ बिहार की स्वर्णिम एतिहासिक धरोहारों सहित यहां की विभिन्न हस्त और शिल्प कलाओं से भी रूबरू हो सकेंगे।

आप बिहार के विश्व प्रसिद्ध लिट्टी चोखा या दूसरे व्यंजनों का स्वाद लेना चाहते हैं तो आपको इसके लिए कहीं और जाने की जरूरत नहीं है। इसकी व्यवस्था भी उत्सव मंडप के बाहर ही की गई है। इसकी व्यवस्था पटना में स्थित होटल मौर्य शेरेटन द्वारा की गई है। यहां आने वाले दर्शक विभिन्न वस्तुओं की खरीदारी भी कर सकते हैं। वह भी एक दम सही दामों पर। नई दिल्ली के प्रगति मैदान में सोमवार से १५ दिवसीय बिहार उत्सव शुरू हुआ है। इसका आयोजन पांच अप्रैल तक किया जाएगा। यहां के हॉल संख्या १५ में राज्य की मधुबनी कला, टिकुली कला, पुस्तक प्रदर्शनी और रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इन सबके माध्यम से प्रदेश के आर्थिक, सामाजिक और दूसरे क्षेत्रों में आए बदलावों को प्रदर्शित किया गया है।

राजधानी में आधी आबादी पूर्वांचल और बिहार की है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के बड़े शहरों में भी बिहार और पूर्वांचल के लोग भारी संख्या में रहते हैं। इन सभी लोगों के लिए अपने बिहार को और नजदीक से जानने-समझने का मौका आया है। राज्य में चल रही अक्षर आंचल योजना, मुख्यमंत्री सेतु योजना, बालिका पोशाक योजना सहित तमाम नई योजनाओं के द्वारा बिहार राज्य के विकास की कहानी दर्शायी गई है। जो लोग पिछले दो-तीन साल से बिहार नहीं गए। उन्हें निश्चित तौर पर अब बिहार बदला हुआ नजए आएगा। यहां हथकरघा और हस्तशिल्प की आकर्षक कलाकृतियां देखने को मिल रही हैं। मोतीहारी की सीप से बने आभूषण, जूट से बने आभूषण आदि यहां आने वालों को पहले ही दिन से खूब लुभा रहे हैं।

बिहार औद्योगिक क्षेत्र के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। बियाडा की प्रमुख अंशुली आर्य ने बताया कि बिहार उत्सव देखने आने वालों के लिए प्रगति मैदान के गेट संख्या ७ और १० से प्रवेश निःशुल्क रखा गया है। उन्होंने बताया कि निवेशकों के लिए बिहार में अच्छे अवसर मिल रहे हैं। उत्सव में इसकी जानकारी भी उपलब्ध रहेगी।
(नई दुनिया,दिल्ली,23.3.2010 में पूनम की रिपोर्ट)

शुक्रवार

नकल न करने देने पर मधेपुरा मे बवाल


















(हिंदुस्तान,पटना,19.3.2010)
प्रस्तुतकर्ता का फिल्म विषयक ब्लॉगः www.filmcrossword.blogspot.com

मंगलवार

तीसरी कसम मे गुलाबबाग की यादें

भारतीय संस्कृति की उत्सवधर्मिता का चटक रंग मेले के रूप में बिहार भी बिखरा पड़ा है। इन रंगों ने जीवन को तो गति दी ही, हाट और मेले से जुड़ी अर्थव्यवस्था ने बिहार के अभ्युदय को भी बल प्रदान किया। मेलों के इस देस में हर ओर जीवन-संस्कृति के कोरस गाये जाते हैं। अंग प्रदेश का विषहरी गीत, कोसी के हिस्से में गाया जाने वाला भगैत, मध्य बिहार की कजरी, मिथिला का समा चकेबा, सब जीवन गीत ही तो हैं। बिहार में मेलों की परंपरा अति प्राचीन है। कहते हैं कि गया के पितृपक्ष मेले का इतिहास वैदिक काल से जुड़ा है। श्रावणी मेला की ऐतिहासिकता स्वयंसिद्ध है। पूर्णिया के गुलाबबाग मेले की यादें तो तीसरी कसम फिल्म में स्थिर चित्र के रूप में संजोयी गयी है। बांका का मंदार मेला, अंग प्रदेश की समृद्ध संस्कृति का आज भी वाहक है। मधेपुरा के सिंहेश्र्वर स्थान मेले का जुड़ाव रामायण काल से है। सोनपुर के पशु मेले की ख्याति अब वैश्विक है। कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर गंगा और गंडक तट पर लगने वाले इस मेले से बिहार की बड़ी पहचान है।
तीसरी कसम में पूर्णिया के गुलाबबाग मेले की यादें जिन लोगों ने फिल्म देखी होगी, उनकी स्मृति में जरूर बनी होंगी। आंचलिक उपन्यासकार फणीश्र्वर नाथ रेणु की कृति पर बनी इस फिल्म में इसका फिल्मांकन है। गुलाबबाग मेले का उत्स अब 100 साल पूरा कर चुका है। कभी पीसी लाल ने इसकी शुरुआत पूर्णिया सिटी में की थी। मेले का प्रचार-प्रसार इतना अधिक हुआ कि भीड़ काफी बढ़ने लगी और जगह कम पड़ने लगी। इसके बाद इसे गुलाबबाग में लगाया जाने लगा। प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह में लगने वाले इस मेले में विभिन्न प्रजाति के पशु-पक्षी की खरीद-बिक्री होती थी। लेकिन अब यह क्रम थोड़ा कमजोर हुआ है। इस मेले में नौटंकी कंपनियां, थियेटर, जादू के खेल का हर साल जादू छाया रहता था। बिहार ही नहीं, नेपाल व पश्चिम बंगाल के लोग भी एक माह तक लगने वाले इस जमघट का आनंद उठाने यहां पहुंचते थे। सोनपुर मेले की बराबरी का यह उत्सव अब पूर्णिया पूर्व प्रखंड प्रशासन की पहल पर हाल तक आयोजित होता रहा है। लोगों को उम्मीद है कि यह और भी सुविधासंपन्न होकर संव‌र्द्धित होगा। बिहार में जिस प्रकार पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हो रही है, उससे गुलाबबाग के लोगों का भी हौसला बढ़ा है और कोशिश जारी है कि यह मेला अपने पुराने गौरव को फिर से हासिल करे।
(दैनिक जागरण,मुजफ्फरपुर संस्करण,16.3.2010)
प्रस्तुतकर्ता का ब्लॉग: www.krraman.blogspot.com

रविवार

‘पटना कलम’ बिहार के सांस्कृतिक परिदृश्य का साक्षी




पटना कलम’ वर्ष 2 अंक 6 एवं 7 जनवरी -फरवरी 2010 के दो अंक मनोहारी ही नहीं, बिहार की समृद्धि के सूचना-भंडार भी हैं। जनवरी अंक में कुचीपुड़ी नृत्य में गजग्राह के दृश्य का मंचन , गायक पं. वेंकटेश का निनाद उत्सव में भागीदारी, लोक नृत्यों की राज्यस्तरीय प्रतियोगिता तथा युवाओं को शास्त्रीय संगीत का पाठ सहित इसी अंक में मुख्यमंत्री की राजगीर यात्रा -आत्मगौरव की तलाश का सम्पूर्ण  सचित्र  विवरण बिहार की सांस्कृतिक समृद्धि की सूचक है।
इसी प्रकार फरवरी 2010 का अंक भी कम उपयोगी नहीं है। अंक में 15 वां राष्ट्रीय युवा उत्सव में बिहार का जलवा, 19 वाँ पटना थियेटर फेस्टिवल , मंच पर उमराव जान, पटना में पंकज उदास, हरि उप्पल को पद्मश्री आदि रपट पढ. कर बिहार के लोगों का गर्वोन्नत हो जाना स्वभाविक है। इसी अंक में गणतन्त्र की धरती वैशाली  में मुख्यमंत्री की यात्रा एवं कार्यक्रम की लम्बी रपट पढ़ कर महसूस किया जा सकता है कि सरकार पुरातात्विक स्थलों के संरक्षण एवं उनके उत्तरोत्तर विकास के लिए कितनी सचेष्ट है।
  पटना कलम
प्रधान संपादक
विवेक कुमार सिंह
सलाहकार संपादक
विनोद अनुपम

बुधवार

बूंद का सागर में तव्दील होने की कहानी का नाम है ‘कविता कोसी’




‘कविता कोसी’शॄंखला की पाँचवी कड़ी अभी प्रकाशित हुई है। इस खंड में सात वरिष्ठ रचनाकारों की रचनाएँ प्रकाशित की गयी है। - तेजनारायण ‘तेज’, सुकदेव नारायण, गणेश चंचल, भुवनेश्वर प्रसाद गुरमैता, छेदी पंडित, महेश्वर प्रसाद सिंह और मधुकर गंगाधर की प्रतिनिधि कविताएँ प्रस्तुत की गयी है। इन रचनाकारों के वस्तुनिष्ठ परिचय और छयाचित्र पुस्तक के अन्त में ‘परिचय परिशिष्ठ’ के अन्तर्गत दिए गये हैं। इन रचनाकारों पर डा. कामेश्वर पंकज द्वारा समालोचनात्मक आलेख भी आरंभ मे दिये गये हैं।
‘कविता कोसी’ की इस श्रॄंखला को सजाते-सँवारते पांचवे मुकाम पर लाने का सारस्वत प्रयास किया है देवेन्द्र कुमार देवेश (उपसंपादकः साहित्य अकादमी, नई दिल्ली) ने, इस  श्रॄंखला को प्रस्तुत करते हुए देवेश जी ने अपने जोश और जुनून को जिस लक्ष्य तक पहुँचाया है वह सर्वथा स्तुत्य है। पूर्व के चार खंडों में कोसी अंचल की साहित्यिक विरासत का आकलन करते हुए वे चैंतीस रचनाकारों से सम्बन्धित सूचनाएँ और उन्नीस रचनाकारों की काव्य रचना की बानगी प्रस्तुत कर चुके हैं , इन कवियों में सुरेन्द्र स्निग्ध, उत्तिमा केशरी, शांति यादव, मंजुश्री वात्सायन, कल्लोल चक्रवर्ती, वरुण कुमार तिवारी, हरिशंकर श्रीवास्तव ‘शलभ’, जोगेश्वर जख्मी, हरि दिवाकर, भूपेन्द्र नारायण यादव ‘मधेपुरी’ लीलारानी शवनम, नीरद जनवेणु, सुबोध कुमार ‘सुधाकर’ सहित अन्य कवि संकलित हैं।
‘कविता कोसी’ के सभी खंडों में - कोसी नदी, कोसी अंचल की भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक पहचान को रेखांकित करने के साथ-साथ साहित्यिक विरासत को पुरजोर ताकत से प्रस्तुत किया है। पंचम खंड की तमाम कविताएँ पगडंडियों से महानगर तक की यात्रा करती है।
अपनी अदम्य जिजीविषा की बदौलत डा. देवेश ने कोसी की कोमल-कठोर अनुभूतियों का वृहतर संकलन ‘कविता कोसी’ श्रॄंखला के रूप मे पेश किया है वह पठनीय एवं सौ फीसदी संग्रहणीय है, विशेषकर विश्व भर में फैले यहाँ की बड़ी आबादी के लिए।

प्रकाशक- अनिता पंडित, गाजियाबाद, उ.प्र. मोबाइल- ०९८६८४५६१५३   

रविवार

होली विशेष- चढते फगुनवा


होली की शुभकामनाओं सहित आरा, भोजपुर से गायत्री सहाय जी द्वारा दूरभाष पर लिखाया गया यह विशेष गीत ’कोसी खबर के पाठकों के लिए-



 बगिया भइल कचनार
 ऐ गोइयां चढ़ते फगुनवा
चम्पा भी खिले, चमेली भी खिले 
खिल गइल केदली गुलाब
ऐ गोइयां.....

झड़के पवनवा सतावेला मदनवा 
अखिया भइले रतनार
                                                                                    
  ऐ गोइयां........

- गायत्री सहाय. संकट मोचन नगर, आरा, मोबाइल-09431070355.

मंगलमय होली...!

शुक्रवार

एक बेहतरीन खलनायक का दुखद अंत...




थर्ड आई वर्ल्ड न्यूज़ से साभार
१९ फरवरी 2010
एक बेहतरीन खलनायक का असमय दुखद अंत हो गया। जी हां बात कर रहे हैं जाने मान चरित्र अभिनेता निर्मल पांडे की। यह उनके अभिनय का कमाल है कि लोग उन्हें गरियाते रहते थे। किसी भी चरित्र को निर्मल उसमें जान फूंक देते थे। यही कारण था कि वे पर्दे पर जिस चरिकत्र को जीवंत रूप देते थे दर्शक उनके अभिनय को जमकर प्रशंसा करते थे।

किसी खलनायक की अभिनय को दर्शक देखकर उसे जितना गरियाते हैं, उस अभिनेता की उतनी सफलता मानी जाती है। 48 वर्षीय निर्मल पांडे का निधन दिल का दौरा पड़ने से हो गया। निधन उनका उस समय रास्ते में हुआ जब लोग उन्हें अंधेरी स्थित एक अस्पताल में भर्ती कराने ले जा रहे थे। निर्मल ने अनेक फिल्मों में जीवंत अभिनय करके एक सफल अभिनेता की छवि बनायी। गॉडमदर, ट्रेन टू पाकिस्तान, इस रात की सुबह नहीं, दायरा, और बैंडिट क्वीन में गजब की अभिनय की थी। निर्मल ने अभिनय की कला देश की सबसे प्रतिष्ठित संस्था दिल्ली स्थित राष्ट्रीय नाट्य अकादमी से सीखी थी।

अपने अभिनय से उन्होंने देश विदेश में भी खूब नाम कमाया। दायरा फिल्म के लिए उन्हें फ्रांस में फिल्म महोत्सव में पुरस्कृत किया गया। 1994 में शेखर कपूर की फिल्म बैंडिट क्वीन में विक्रम मल्लाह की भूमिका करके खूब वाहवाही लूटी। वर्ष 1996 में दायरा फिल्म में एक हिजडे की भूमिका आज भी लोगों की जेहन में है।

गुरुवार

20 को बाबा रामदेव मधेपुरा एवं 21 फरवरी को गायिका कविता कृष्णमूर्ति सहरसा में





कोसी क्षेत्र में दो नामचीन हस्तियों के आगमन की धोषणा से लोगों में उत्साह  का नजारा दिख रहा है। योगगुरू बाबा रामदेव जी महराज के 20 फरवरी को मधेपुरा आगमन की तैयारी परवान पर है जगह-जगह तोरण द्वार बनाये जा रहे हैं और लोगों में खुशी का माहौल दिख रहा है। उत्साह का नजारा सहरसा में ‘कोसी महोत्सव’ को लेकर भी दिख रहा है जहाँ अन्य कार्यक्रम के अलावे पार्श्व गायिका कविता कृष्णमूर्ति अपना जलवा बिखेरेंगी, प्यार झुकता नहीं, मि. इंडिया, देवदास सदृश्य फिल्मों में गये इनके गीत कोसी क्षेत्र के लोग बिल्कुल सामने गायिका की मुख से  सुन सकेंगे।

मंगलवार

डाक्यूमेंट्री फिल्म ‘जय बाबा सिंहेश्वरनाथ’ प्रदर्शित





कोसी क्षेत्र के प्रसिद्ध शैव तीर्थ स्थल सिंहेश्वर स्थान पर आधारित हिन्दी डाक्यूमेंट्री फिल्म ‘जय बाबा सिंहेश्वरनाथ’ को प्रदर्शित किया गया। इस फिल्म में ऋष्य श्रृंग द्वारा स्थापित शिवलिंङ का सम्पूर्ण इतिहास दिया गया है। गीतकार श्री निरंजनसेन द्वारा लिखित चार भजनों को सोनोटेक स्टूडियो जबलपुर में रेकार्डिंग किया गया है। गायक श्री शरद मल्लिक ने अपनी भावपूर्ण स्वर में बाबा सिंहेश्वर की महिमा को प्रभावशाली ढंग से बखान किया है। फिल्म की शूटिंग मधेपुरा जिला के सिंहेश्वर एवं कटिहार जिले के कुछ हिस्से में की गयी है। गानों का फिल्मांकन मध्यप्रदेश के सुरम्य स्थलों पर जबलपुर सहित कई शहरों में किया गया है। फिल्म में कैमरा संचालन श्री रवि मल्लिक ने किया है। फिल्म के निर्माता, निर्देशक डा. अनिल कुमार( मोबाइल-08002038520) ने बताया कि- उक्त डाक्यूमेंट्री फिल्म से देश के अन्य भाग के लोग भगवान महादेव के इस पावन तीर्थ स्थल की जानकारी मिलेगी एवं कोशी क्षेत्र का यह उपेक्षित शिवधाम राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाएगा। कोसी क्षेत्र में इस फिल्म की व्यापक चर्चा है।

सोमवार

ऐतिहासिक सिंहेश्वर मेले का शुभारम्भ




ऐतिहासिक सिंहेश्वर मेले का उदघाटन करते हुए मधेपुरा के जिला पदाधिकारी श्री वीरेन्द्र प्र. यादव ने कहा कि यह मेला एक धरोहर है, हमारी सभ्यता और संस्कृति को जीवंत रखने का। उद्धाटन के अवसर पर उन्होंने सिंहेश्वर मंदिर से संबन्धित वेबसाइट का भी शुभारम्भ किया एवं मंदिर से संबन्धित डाक्यूमेंट्री फिल्म को  वेबसाइट में डालने की बात कही। उक्त अवसर पर पुलिस अधीक्षक संजय कुमार सिंह ने कहा कि मेले की सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह चाक चौबंद है एवं 600 पुलिस कर्मियों को मेला स्थल पर सुरक्षा व्यवस्था हेतु तैनात किया गया है। मधेपुरा के अनुमंडल पदाधिकारी श्री गोपाल मीणा के आह्वान पर सिंहेश्वर के प्रसिद्ध समाजसेवी नित्यानंद सिंह ने यह धोषणा किया कि ‘शिवगंगा तालाब’ के दोनो ओर विराट धर्मशाला का निर्माण करायेंगे जिसके लिए वित्त की व्यवस्था उनके भाई अमरीका निवासी श्री अद्यानन्द सिंह करेंगे। वर्ष 2010 का यह मेला पूरे धूमधाम से प्रारम्भ हुआ। इस बार तीन थिएटर, सर्कस सहित विभिन्न विभागों के अपने-अपने स्टाल लगे हैं। कृषि एवं मत्स्य विभाग की प्रदर्शनी पर विशेष भीड. दिख रही है।
-अनिल कुमार

गुरुवार

कोसी क्षेत्र में मैथिली मेगा सीरियल ‘चौबटिया’ का शूटिंग सम्पन्न

संस्कृति फिल्म के बैनर तले बन रही मैथिली का मेगा सीरियल ‘चौबटिया’ का 27 दिनों का शूटिंग कार्यक्रम सहरसा में सम्पन्न हुआ। सहरसा जिले के किसलय कृष्ण इस सीरियल के कथा-पटकथा लेखक एवं निर्देशक हैं। महुआ चैनल पर सम्भवतः मार्च के प्रथम सप्ताह से 52 एपिसोडों का यह सीरियल दिखाया जाना प्रारम्भ होगा। मैथिली-हिन्दी के कवि अरविन्द ठाकुर, सुपौल (09431091548) ने बताया कि उन्होंने इस सीरियल में मंत्री गिरधारी प्रसाद का महत्वपूर्ण रोल किया है। सहरसा के विधायक संजीव झा इसमें विरोधी दल के नेता पाण्डेय जी की भूमिका में हैं। बनगांव एवं सहरसा जिला मुख्यालय के विभिन्न स्थलों पर पिछले एक सप्ताह से शूटिंग हुई। निर्माता निरंजन पांडे, एपिसोड निर्देशक कुमार आशीष और कैमरामैन भूषण यादव हैं। निर्देशक के अनुसार अभी तक 13 एपिसोड की शूटिंग पूरी की जा चुकी है।
यह सीरियल मैथिली की महत्वाकांक्षी योजना है क्यों कि पिछले दिनों दूरदर्शन पर दिखाये गये मैथिली सीरियल के बाद यह दूसरा सीरियल है और मैथिली भाषा के संवर्द्धन हेतु यह प्रशंसनीय कार्य है।

सोमवार

कोसी में समाजवाद का परचम लहराने वाले भूपेन्द्र नारायण मंडल, जिनकी आज है जयन्ती-



कोसी की धरती पर समाजवादी विचारधारा का जन्म बीसवीं सदी के पाँचवे दशक के मध्य में हो चुका था। काँग्रेस समाजवादी पार्टी के संयोजक जयप्रकाश नारायण तथा मुखर प्रवक्ता डा. राममनोहर लोहिया ने कोसी क्षेत्र में कई जनसभाओं को सम्बोधित किया था, जिसने यहाँ के जनमानस को समाजवादी विचारधारा को समझने के अनेक अवसर प्राप्त हुए। 1945 ई’. में भूपेन्द्र नारायण मंडल की अध्यक्षता में भागलपुर जिला काँग्रेस समाजवादी दल का गठन किया गया। शीध्र ही इस क्षेत्र के बुद्धिजीवी, किसान,मजदूर सारे लोग इस दल की ओर आकृष्ट होने लगे। किसी न किसी रूप में यह विचार धारा यहाँ आजतक प्रवाहित है। समाजवाद भूपेन्द्र नारायण मंडल के जीवन का एक महान आदर्शोन्मुख संकल्प था। उन्होंने बैलगाड़ी से सम्पूर्ण क्षेत्र में घूम-घूम कर गहन जनसम्पर्क किया और गाँव-गाँव में समाजवाद के ध्वज को फहराया। वे शील, सादगी और विनम्रता की प्रतिमूर्ति थे। मधेपुरा में स्थापित भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविधालय उनके यशस्वी जीवन की गौरवोज्जवल गाथा का प्रतीक है। भूपेन्द्र नारायण मंडल जीवित नहीं हैं, किन्तु उनका समाजवाद किसी न किसी रूप में इस धरती पर स्थापित है। 
कोसी के इस महान सपूत को आज 1 फरवरी, उनके जन्मदिन पर  कोसी खबर परिवार की ओर से सादर प्रणाम निवेदित है। 

रविवार

कोसी क्षेत्र की समकालीन रचनात्मकता का दस्तावेज है ‘संवदिया’





समकालीन लेखन मे कोसी क्षेत्र के रचनात्मक हस्तक्षेप का जीवंत दस्तावेज है ‘संवदिया’ का ताजा अंक। इस महत्वपूर्ण अंक में इस क्षेत्र के प्रतिनिधि समकालीन रचनाकारों का अद्भुत समागम दिखता है । कवियों - कथाकारो सहित कोसी क्षेत्र के प्रसिद्ध आलोचकों के विचार व टिप्पणियाँ भी इस अंक को दीर्घायु बनाने का कार्य कर रही है। राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने वाले कवियों में कल्लोल चक्रवर्ती, कृष्णमोहन झा सहित कई कवियों ने इस अंक में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है, क्षेत्र के कथाकारो में संजीव ठाकुर एवं संजय कुमार सिंह सदृश्य कथाकारों की उपस्थिति से यह अंक महत्वपूर्ण हो जाता है और तो और इस अंक की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह भी है कि कथा और काव्य विधा के प्रसिद्ध समीक्षक यथा डा. ज्योतिष जोशी, डा. देवशंकर नवीन, सुरेन्द्र स्निग्ध एवं चर्चित पत्रिका ‘दस्तावेज’ के संपादक डा. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी द्वारा इन रचनाकारों पर उम्मीदों से लवरेज विचार ने कोसी की रचनाधर्मिता को सार्थक कर दिया है। संवदिया के इस अंक से राष्ट्रीय क्षितिज पर कोसी की जबर्दस्त धमक सुनाई पड.ती है। अंक, संपादक देवेन्द्र कुमार देवेश (मोबाइल-09868566420) की कवायद का सार्थक फल है।  प्रस्तुत है इस अंक में प्रकाशित कल्लोल चक्रवर्ती की कविता ‘चेहरे’ की कुछ पंक्तियाँ-

....दुनिया के सारे तानाशाह इस वक्त व्यस्त हैं
वे मंदिरों और मस्जिदों में खुदा के पास बैठे हैं
वे मोचियों के पास अपने जूते
सिलाने के इंतजार में खडे हैं
वे बच्चों और बूढ़ों को सड़क पार करा रहे हैं
वे सभागार में व्याख्यान दे रहे हैं
वे हमारे बिलकुल पास खड़े हैं। 
यह कितना भयानक सत्य है
कि सारे के सारे हत्यारे 
हमारे आसपास खड़े हैं
और हमसे हमारी ही भाषा में बातें कर रहे हैं।

अपहरण पुणे में,एसएमएस बिहारीगंज से





(हिंदुस्तान,पटना,21.1.10)

शुक्रवार

दानापुर-सहरसा इन्टरसीटी एक्सप्रेस उर्फ किसकी बची है खैरियत.....

सप्ताह भर राजधानी पटना में बिता कर, हाड. कँपाती ठंढ के बीच सुबह साढे. पाँच बजे घर से, ट्रेन में बेहतर सीट के लिए दानापुर पहुँच गया, जगह आराम से मिली क्योंकि मिथिला और कोसी क्षेत्र को राजधानी से जोड़ने वाली इन्टरसीटी एक्सप्रेस सुबह 6.40 में दानापुर से प्रस्थान कर गयी। सुबह 7.20 में पटना से, पटना में इस ट्रेन पर सुनामी-सी कहर टूट पड़ी, इंच भर टसकने के लिए बगल वाले से मिन्नतें... खैर ट्रेन खुलती है बाढ. स्टेशन में कुछ राहत के बाद रूकते-रूकते ऐतिहासिक राजेन्द्र पुल, उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाला बिहार में एकमात्र रेल पुल को पार कर बरौनी जं. पहुँचना वहां पूरे घंटे भर इस इन्टरसीटी का दो खण्ड मसलन् एक पार्ट का दरभंगा और दूसरे का सहरसा की ओर.... बरौनी से आगे बढते ही मिट्टी पलीद होना प्रारम्भ- सभी कुछ भगवान भरोसे, दो चार घांटे में खगडि़या पहुंची। जहां घंटों से खड़ी भीड. इस ट्रेन का इंतजार कर रही थी, हो..हो...हो करती हुई ....
मानसी जं. के बाद धमहारा घाट नामक विश्वविख्यात, अपने पेड़ा एवं घटों ट्रेन रोकने की वजह से चर्चा मे रहे इस स्थल से रूबरू होना पड़ता है। कई बार ‘वैकम’ के बाद इन्टरसीटी खुलती है एक बड़े एहसान के साथ, आगे बढ़ते हुए करीब संध्या 5.30 बजे, पूरे ग्यारह धंटे में 228 किलो मीटर का सफर तय कर विजय मुद्रा में सहरसा स्टेशन पहुँचती है....। सहरसा आवास आकर पता चलता है कि कल 11 बजे रात में  जो बिजली गयी, अब तक नहीं आयी है....!
मित्रों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि पूरे कोसी प्रमण्डल यथा मधेपुरा, सहरसा और सुपौल को राजधानी पटना से जोड़ने वाली मात्र दो ही ट्रेन है, एक सुबह 5.15 में कोसी एक्सप्रेस तथा दूसरा यही सहरसा-दानापुर इन्टरसीटी जो रविवार छोड. शेष दिनो 12.50 दिन में खुलती है। लगभग  पचास लाख आबादी के लिए व्यवस्थापकीय निकम्मेपन का तोहफा....नक्कारखाने में कोसी क्षेत्र की, बाढ. सदृश्य कई समस्याओं को झेलती बेवस जनता की आवाज..., नक्कारखाने का मुखिया राजधानियों में बैठकर बासुरी बजा रहा है...सुनहरे स्वप्न दिखा रहा है...।

-अरविन्द श्रीवास्तव

कोसी क्षेत्र का चर्चित नाटक- डोम पहलवान




कथाकार चन्द्रकिशोर जायसवाल कृत
‘डोम पहलवान’ 
नाट्य रूपान्तर श्याम कुमार

‘डोम पहलवान’ सुप्रसिद्ध कथाकार चन्द्रकिशोर जायसवाल की चर्चित कहानी का नाट्य रूपांतर है। यह नाटक समाज में व्याप्त विषमता, व्यवस्था और राजनैतिक बड.बोलेपन पर पुरजोर प्रहार करता है। भारत के इतिहास में बार बार जाति व्यवस्था को किसी न किसी रूप में कायम करने एवं उसे यथावत बनाये रखने हेतु समाज के ठेकेदार किसी सीमा तक जा सकते हैं। इस नाटक का मुख्य पात्र ललुआ पहलवान इसे बेनकाव करता है और इस व्यवस्था के खिलाफ आवाज भी बुलन्द करता है।

प्रकाशक- रचनाकार प्रकाशन
फोन-06454 244688
मोबाइल- 09810373161

शुक्रवार

खंडग्रास सूर्यग्रहण की अवधि किस शहर में कितनी

दिल्लीः11.53-3.11 बजे,
चेन्नैः11.25-3.15 बजे,
कोलकाताः12.07-3.29 बजे,
पटनाः12.05-3.25 बजे तक
अगरतलाः12.06-3.32 बजे
हैदराबादः1129-3.15बजे,
विशाखापत्तनमः 1144-3.22 बजे
भोपालः11.41-3.14 बजे,
भुवनेश्वरः 11.57-3.26 बजे,
कानपुरः 11.55-3.18 बजे
पुणेः11.18-3.06 बजे तक
बंगलौरः11.17-3.11 बजे,
लखनऊः 11.57-3.19
चंडीगढः11.58-3.08 बजे,
इम्फालः12.44-3.33 बजे,
अहमदाबादः 11.27-3.03
दिसपुरः12.21-3.32 बजे तक
ईटानगरः 12.26-3.33

गुरुवार

हरिद्वार महाकुंभ स्नान कार्यक्रम

14 जनवरी- मकर संक्रांति पर्व स्नान
15 जनवरी- मौनी अमावस्या सूर्य ग्रहण स्नान
20 जनवरी- बसन्त पंचमी पर्व स्नान
30 जनवरी- माघ पूर्णिमा पर्व स्नान
12 फरवरी- महाशिवरात्रि पर्व शाही स्नान
15 मार्च- सोमवती अमावस्या पर्व शाही स्नान
16 मार्च- नव संवत्सर आरंभ पर्व स्नान
24 मार्च- रामनवमी पर्व स्नान
30 मार्च- चैत्र पूर्णिमा पर्व स्नान
14 अप्रैल- मेष संक्रांति बैशाखी पर्व शाही स्नान
28 अप्रैल- बैशाखी पूर्णिमा पर्व अधिमास स्नान
http://www.krraman.blogspot.com/

http://www.maithilionline.blogspot.com/

शनिवार

कोसी लोक साहित्य जट-जटिन


कोसी लोक साहित्य




जट-जटिन


कोसी लोक साहित्य की अमूल्य धरोहर है - लोकनाट्य ‘जट-जटिन’। श्री बच्चा यादव ने इसके उत्स, विकास और प्रस्तुति पर शोधपरक कार्य किया है। ‘जट-जटिन’ पूर्णतः सामाजिक यथार्थ की पृष्ठभूमि पर केन्द्रित है। यह लोकनाट्य लोक जीवन के उस स्वर्णिम सत्य का उदघाटन करता है, जिसमें जीवन में प्रेम, ममता, वात्सल्य, सौहार्द,स्नेह, त्याग, करूणा आदि से बढकर अन्य किसी का महत्व नहीं है। बच्चा यादव ने इस लोक-नाट्य को लिपिवद्ध कर कोसी अंचल की इस समृद्ध संस्कृति को सारस्वत प्रयास किया है जो स्तुत्य एवं प्रशंसनीय है।


प्रकाशक- रचनाकार प्रकाशन
पूर्णिया-साहिबाबाद
फोन-06454 244688
मोबाइल- 09810373161

बुधवार

‘पूर्णिया पुस्तक मेला’ सजा रहा दस दिनों तक पुस्तक संसार

पूर्णिया में दस दिनों तक चलने वाले पुस्तक मेले में क्षेत्र के चर्चित लेखकों एवं साहित्यकारों समागम रहा। 26 दिसम्बर 09 से 04 जनवरी 10 तक चले इस मेले में राजधानियों की चकाचैंध से हटकर प्रमंडलीय स्तर मंे पठन-पाठन और लेखकीय जीवंतता को साकार किया। आयोजकों के हिम्मत और हौसले को सलाम करने राष्ट्रीय स्तर के नामचीन बैनर यथा राजकमल, ज्ञानपीठ, वाणी, समीक्षा, लोकभारती, किताब घर, गीता प्रेस, मकतबा हाउस, रचनाकार आदि प्रकाशक इस सुदूर हिस्से में अपना आशियाना सजाया। साहित्य की तमाम विधाओं सहित इतिहास, राजनीति और सामाजिक व सामयिक प्रसंगों की पुस्तकों के प्रति पाठकों की रूझान दिखी, धार्मिक पुस्तकों का मार्केट अब भी गर्म है यह भी इस पुस्तक मेले में दिखा । क्षेत्रीय इतिहास एवं लोक साहित्य सहित कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु, चन्द्रकिशोर जायसवाल एवं हरिशंकर श्रीवास्तव ‘शलभ’ की पुस्तकों के खरीदार भी काफी थे।
‘कोसी रचना संसार’ मेले में रचनाकारों एवं साहित्यि प्रेमियों का मिलन स्थल था जहाँ कोसी एवं पूर्णिया प्रमण्डल के रचनाधर्मियों का समागम हुआ।  इस ‘संसार’ के संयोजक कथाकार बच्चा यादव थे जिनके पुरजोर प्रयास से क्षेत्र के रचनाधर्मी ताकत एकजुट हुए। दस दिनों तक प्रत्येक जिला का सहित्यिक प्रतिवेदन  पढ़ा गया जिसमें अररिया, कटिहार, किशनगंज, सुपौल, सहरसा,मधेपुरा एवं पूर्णिया जिले का आलेख पाठ जिले से आये प्रतिनिधियों ने किया जिनमें - हरि दिवाकर, वरुण कुमार तिवारी, अरविन्द ठाकुर, कामेश्वर पंकज, शंभु कुशाग्र एवं अरविन्द श्रीवास्तव मुख्य थे। पूर्णिया के रचनाकारों में सर्वश्री चन्द्रकिशोर जायसवाल, कलाधर (सम्पादक- कला). मदन मोहन 'मर्मज्ञ', प्रियंवद जायसवाल , डा.छोटेलाल बहरदार, डा. बी.बी कुमार, विजयनन्दन प्रसाद, डा. अजित कुमार बख्शी, भोला पण्डित प्रणयी, डा. रामनरेश भक्त, भोला नाथ आलोक एवं भवेशनाथ पाठक, डा. निरुपमा राय सहित मीडिया प्रभारी श्याम सुन्दर गुप्ता एवं मेला आयोजक - सत्यदेव प्रसाद  सदृश्य साहित्यकारों एवं साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति ने साहित्यक क्षितिज पर क्षेत्र की दावेदारी को पुख्ता किया। इसके अतिरिक्त लखनऊ की प्रसिद्ध नाट्य संस्था ‘सम्यक’ के कलाकारों द्वारा मानवीय रिश्तों एवं संवेदनाओं पर आधारित चर्चित कथाकार शिवमूर्ति की कहानी ‘भरतनाट्यम’ की प्रस्तुति मेले का एक मुख्य आकर्षण रहा। इस पुस्तक मेले में डीएवी स्कूल पूर्णिया की भागीदारी स्तुत्य रही ।

अपने जिले मधेपुरा का आलेख/प्रतिवेदन पढ.ने का मौका मुझे मिला,....
ढेर सारी सुखानुभूति पूर्णिया से समेटे दस दिनों बाद अपने धर लौटा, वहाँ मैंने अपना एक स्टाल भी लगाया था, शेष पुस्तकों के साथ परिजनों के बीच हूँ.... ।


-अरविन्द श्रीवास्तव, मो. - 09431080862.