कोसी क्षेत्र को शेष बिहार व देश से जोड़ने वाली प्रमुख सड़क सेतु ‘डुमरी पुल’ पर वाहनों का परिचालन बंद हो जाने तथा कोसी प्रमंडलीय मुख्यालय के सहरसा जं. पर ट्रेनों की संख्या नगण्य होने से क्षेत्र के यात्री परेशान हैं। पर्व-त्योहार में यात्रियों की बढ़ी भीड़ ने मुश्किलें और भी बढ़ा दी है। स्मरण रहे कि मधेपुरा और सुपौल जिले से बाहर निकलने का एकमात्र रास्ता सहरसा हो कर गुजरता है। तीन जिलों की बड़ी आबादी के लिए 24 घंटों में मात्र दो ट्रेनें हैं जो राजधानी पटना के लिए खुलती है, सुबह 5.10 में कोसी एक्सप्रेस और दोपहर 12. 50 में इन्टरसिटी एक्स. जिनमें भेड.-बकरियों की तरह लदकर यात्री सफर तय करते हैं साथ ही ट्रेन की लेटलतीफी का आलम यह है कि मात्र 218 किलोमीटर दूर पटना पहुँचने में 8 घंटे से अधिक का वक्त लगता है, ऐसे में रोगी-मरीज व आकस्मिक दुर्धटना के शिकार व्यक्ति इलाज के अभाव में असमय दम तोड़ने को अभिशप्त होते हैं।
मधेपुरा के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता डा. भूपेन्द्र नारायण यादव ‘मधेपुरी’ ने बताया कि मधेपुरा के महान मतदाताओं की बदौलत लालू प्रसाद 2004 से 2009 तक रेलमंत्री रहकर अपनी कथित उपलब्धियों का डंका पीटते रहे, उसी मधेपुरा की जनता तरस रही है कि उन्हें कोई ऐसी ट्रेन नसीब होती जिससे यहाँ के लोग सीधे पटना पहुँच पाते। मुरलीगंज का रास्ता अब भी अवरूद्ध है, लालू के पुनः मुख्यमंत्री बनने पर रेल की तरह बिहार चमकाने की बात बिल्कुल धोखा है। कोसी क्षेत्र में रेल विकास रुके रहने से आम जनता क्षुब्ध है, आक्रोशित है।