साहित्य में अच्छी संभावनाओं का नाम है डा. सुवंश ठाकुर ‘अकेला’ है। पचास कविताओं का संग्रह ‘किसलय’ नाम को सार्थक करता है। यह महज संयोग नहीं कि वाणी-वन्दना से प्रारंभ जीवन के सत्य जो साहित्य का भी सत्य है श्मशान पर पड़ाव डालती है कविता। बीच के सफर में शिव भी है, सुन्दर भी है।
कविताओं की भाषा सरल, भाव-गंभीर है।
श्री अकेला के ‘दो शब्द’ ने मुझे अधिक प्रभाविता किया है कि ये अपनी हांकने वाले कवि नहीं हैं। निन्दा, स्तुति, पाठकों के विवेक पर छोड़कर ये केवल कविताएं लिखते हैं। ‘किसलय’ के बारे में किसलय की ही ये दो पंक्तियां
उद्धृत कर मैं आश्वस्त हूँ कि इस छोटे-से शहर पूर्णिया का यह कवि नामवर होगा।
‘किसलय की शोभा न्यारी है,
हर मनुज मात्र को प्यारी है।’’
उम्र में ‘अकेला’ से बड़ा हूँ। सो, यशस्वी होने का आशीर्वाद देता हूँ
- भोलानाथ आलोक, पूर्णिया
पुस्तक से कविता की बानगी-
सुकरात सरीखा जहर मिले
शूली ईसा सा पा जायें
हिरण्यकशिपु सा पिता मिले
जाति मिले रैदास की
घोर यातना मीरा जैसी
हो जाऊँ कबीरा सा फक्कड़
......
.......
लेखक- डा. सुवंश ठाकुर ‘अकेला’
संपर्कः माधुरी प्रकाशन, सिपाही टोला, चूनापुर रोड, पूणिया - 854301
मोबाइल- 9905217237 / 9973264550.
कविताओं की भाषा सरल, भाव-गंभीर है।
श्री अकेला के ‘दो शब्द’ ने मुझे अधिक प्रभाविता किया है कि ये अपनी हांकने वाले कवि नहीं हैं। निन्दा, स्तुति, पाठकों के विवेक पर छोड़कर ये केवल कविताएं लिखते हैं। ‘किसलय’ के बारे में किसलय की ही ये दो पंक्तियां
उद्धृत कर मैं आश्वस्त हूँ कि इस छोटे-से शहर पूर्णिया का यह कवि नामवर होगा।
‘किसलय की शोभा न्यारी है,
हर मनुज मात्र को प्यारी है।’’
उम्र में ‘अकेला’ से बड़ा हूँ। सो, यशस्वी होने का आशीर्वाद देता हूँ
- भोलानाथ आलोक, पूर्णिया
पुस्तक से कविता की बानगी-
सुकरात सरीखा जहर मिले
शूली ईसा सा पा जायें
हिरण्यकशिपु सा पिता मिले
जाति मिले रैदास की
घोर यातना मीरा जैसी
हो जाऊँ कबीरा सा फक्कड़
......
.......
लेखक- डा. सुवंश ठाकुर ‘अकेला’
संपर्कः माधुरी प्रकाशन, सिपाही टोला, चूनापुर रोड, पूणिया - 854301
मोबाइल- 9905217237 / 9973264550.