दिनांकः 5 नवम्बर, 2011
कोसी अंचल के गीतकारों में गणेश चंचल का विशिष्ट स्थान रहा है। वे गहन अनुभूति के कवि थे। इनका जन्म: 1930, ग्राम- सोहा, जिला - सहरसा में हुआ था। उन्होंने पन्द्रह वर्ष की उम्र से ही काव्य लेखन किया और दीर्घकाल तक लिखते रहे, बच्चों के लिए भी साहित्य रचा एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में सक्रिय रहे। इनकी प्रकाशित कृतियों में - स्वतंत्रता का शंखनाद (गीत संग्रह, 1945) गांधी गाथा (पद्यमय जीवनी, 1948, पुनर्मुद्रणः 2008), त्रिवेणी तरंग (कविता संग्रह, 2004), स्रोतस्विनी (कविता संग्रह, 2006), त्रिपर्णा (2010) इस चर्चित कवि-गीतकार के निधन (5 नवम्बर, 2011) से कोसी क्षेत्र के साहित्य को अपूरणीय क्षति हुई है। इनकी कविता को स्मरण करते हुए इन्हें श्रद्धा निवेदित है -
लग रहा है आ रहा हूँ, शीघ्र तेरे पास,
पूर्ण होने जा रहा है, चिर प्रतीक्षित आस,
मिल रहा हर पल कि तेरा सूक्ष्मतम संकेत,
जग रहा है विकल मन में, एक मृदु उल्लास।
- गणेश चंचल