पूर्णिया में दस दिनों तक चलने वाले पुस्तक मेले में क्षेत्र के चर्चित लेखकों एवं साहित्यकारों समागम रहा। 26 दिसम्बर 09 से 04 जनवरी 10 तक चले इस मेले में राजधानियों की चकाचैंध से हटकर प्रमंडलीय स्तर मंे पठन-पाठन और लेखकीय जीवंतता को साकार किया। आयोजकों के हिम्मत और हौसले को सलाम करने राष्ट्रीय स्तर के नामचीन बैनर यथा राजकमल, ज्ञानपीठ, वाणी, समीक्षा, लोकभारती, किताब घर, गीता प्रेस, मकतबा हाउस, रचनाकार आदि प्रकाशक इस सुदूर हिस्से में अपना आशियाना सजाया। साहित्य की तमाम विधाओं सहित इतिहास, राजनीति और सामाजिक व सामयिक प्रसंगों की पुस्तकों के प्रति पाठकों की रूझान दिखी, धार्मिक पुस्तकों का मार्केट अब भी गर्म है यह भी इस पुस्तक मेले में दिखा । क्षेत्रीय इतिहास एवं लोक साहित्य सहित कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु, चन्द्रकिशोर जायसवाल एवं हरिशंकर श्रीवास्तव ‘शलभ’ की पुस्तकों के खरीदार भी काफी थे।
‘कोसी रचना संसार’ मेले में रचनाकारों एवं साहित्यि प्रेमियों का मिलन स्थल था जहाँ कोसी एवं पूर्णिया प्रमण्डल के रचनाधर्मियों का समागम हुआ। इस ‘संसार’ के संयोजक कथाकार बच्चा यादव थे जिनके पुरजोर प्रयास से क्षेत्र के रचनाधर्मी ताकत एकजुट हुए। दस दिनों तक प्रत्येक जिला का सहित्यिक प्रतिवेदन पढ़ा गया जिसमें अररिया, कटिहार, किशनगंज, सुपौल, सहरसा,मधेपुरा एवं पूर्णिया जिले का आलेख पाठ जिले से आये प्रतिनिधियों ने किया जिनमें - हरि दिवाकर, वरुण कुमार तिवारी, अरविन्द ठाकुर, कामेश्वर पंकज, शंभु कुशाग्र एवं अरविन्द श्रीवास्तव मुख्य थे। पूर्णिया के रचनाकारों में सर्वश्री चन्द्रकिशोर जायसवाल, कलाधर (सम्पादक- कला). मदन मोहन 'मर्मज्ञ', प्रियंवद जायसवाल , डा.छोटेलाल बहरदार, डा. बी.बी कुमार, विजयनन्दन प्रसाद, डा. अजित कुमार बख्शी, भोला पण्डित प्रणयी, डा. रामनरेश भक्त, भोला नाथ आलोक एवं भवेशनाथ पाठक, डा. निरुपमा राय सहित मीडिया प्रभारी श्याम सुन्दर गुप्ता एवं मेला आयोजक - सत्यदेव प्रसाद सदृश्य साहित्यकारों एवं साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति ने साहित्यक क्षितिज पर क्षेत्र की दावेदारी को पुख्ता किया। इसके अतिरिक्त लखनऊ की प्रसिद्ध नाट्य संस्था ‘सम्यक’ के कलाकारों द्वारा मानवीय रिश्तों एवं संवेदनाओं पर आधारित चर्चित कथाकार शिवमूर्ति की कहानी ‘भरतनाट्यम’ की प्रस्तुति मेले का एक मुख्य आकर्षण रहा। इस पुस्तक मेले में डीएवी स्कूल पूर्णिया की भागीदारी स्तुत्य रही ।
अपने जिले मधेपुरा का आलेख/प्रतिवेदन पढ.ने का मौका मुझे मिला,....
ढेर सारी सुखानुभूति पूर्णिया से समेटे दस दिनों बाद अपने धर लौटा, वहाँ मैंने अपना एक स्टाल भी लगाया था, शेष पुस्तकों के साथ परिजनों के बीच हूँ.... ।
-अरविन्द श्रीवास्तव, मो. - 09431080862.
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