अगर आप बिहार के बारे में ज्यादा जानना चाहते हैं तो दिल्ली के प्रगति मैदान में चले आईये। यहां आपको बिहार की पिछले चार साल की विकास यात्रा की पूरी जानकारी मिलेगी। केवल यही नहीं राज्य की पिछले ९७ वर्षों की लंबी यात्रा के साथ बिहार की स्वर्णिम एतिहासिक धरोहारों सहित यहां की विभिन्न हस्त और शिल्प कलाओं से भी रूबरू हो सकेंगे।
आप बिहार के विश्व प्रसिद्ध लिट्टी चोखा या दूसरे व्यंजनों का स्वाद लेना चाहते हैं तो आपको इसके लिए कहीं और जाने की जरूरत नहीं है। इसकी व्यवस्था भी उत्सव मंडप के बाहर ही की गई है। इसकी व्यवस्था पटना में स्थित होटल मौर्य शेरेटन द्वारा की गई है। यहां आने वाले दर्शक विभिन्न वस्तुओं की खरीदारी भी कर सकते हैं। वह भी एक दम सही दामों पर। नई दिल्ली के प्रगति मैदान में सोमवार से १५ दिवसीय बिहार उत्सव शुरू हुआ है। इसका आयोजन पांच अप्रैल तक किया जाएगा। यहां के हॉल संख्या १५ में राज्य की मधुबनी कला, टिकुली कला, पुस्तक प्रदर्शनी और रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इन सबके माध्यम से प्रदेश के आर्थिक, सामाजिक और दूसरे क्षेत्रों में आए बदलावों को प्रदर्शित किया गया है।
राजधानी में आधी आबादी पूर्वांचल और बिहार की है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के बड़े शहरों में भी बिहार और पूर्वांचल के लोग भारी संख्या में रहते हैं। इन सभी लोगों के लिए अपने बिहार को और नजदीक से जानने-समझने का मौका आया है। राज्य में चल रही अक्षर आंचल योजना, मुख्यमंत्री सेतु योजना, बालिका पोशाक योजना सहित तमाम नई योजनाओं के द्वारा बिहार राज्य के विकास की कहानी दर्शायी गई है। जो लोग पिछले दो-तीन साल से बिहार नहीं गए। उन्हें निश्चित तौर पर अब बिहार बदला हुआ नजए आएगा। यहां हथकरघा और हस्तशिल्प की आकर्षक कलाकृतियां देखने को मिल रही हैं। मोतीहारी की सीप से बने आभूषण, जूट से बने आभूषण आदि यहां आने वालों को पहले ही दिन से खूब लुभा रहे हैं।
बिहार औद्योगिक क्षेत्र के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। बियाडा की प्रमुख अंशुली आर्य ने बताया कि बिहार उत्सव देखने आने वालों के लिए प्रगति मैदान के गेट संख्या ७ और १० से प्रवेश निःशुल्क रखा गया है। उन्होंने बताया कि निवेशकों के लिए बिहार में अच्छे अवसर मिल रहे हैं। उत्सव में इसकी जानकारी भी उपलब्ध रहेगी।
(नई दुनिया,दिल्ली,23.3.2010 में पूनम की रिपोर्ट)