यह अंगप्रदेश के 22 कवियों की कविताओं का संकलन है। ये कवि हिन्दी काव्य-जगत में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं । संग्रह के माध्यम से संपादक चन्द्रप्रकाश जगप्रिय ने विशाल अंग क्षेत्र के कवियों की संवेदनाओं और वैचारिकता की बतौर एक चादर बुन दिया है। अंग-भूमि से ही हिन्दी कविता की नींव सरहपाद ने डाली थी। वे हिन्दी के पहले कवि थे। रामधारी सिंह दिनकर, रामेश्वर झा द्विजेन्द्र, श्यामसुन्दर घोष, मधुकर गंगाधर, और कुमार विमल आदि अंग क्षेत्र से कालजयी कृतियों के सृजनकर्ता रहे हैं। इनके ऐतिहासिक योगदान से हिन्दी साहित्य समलंकृत हुआ है। इस संग्रह में जिन बाइस कवियों को सम्मलित किया गया है वे हैं - डा. नंद किशोर, डा. कुमार विमल, डा. दिनेश्वर प्रसाद, डा. मनमोहन मिश्र, डा. सकलदेव शर्मा, विनय अश्म, हेना चक्रवर्ती, डा. विद्या रानी, डा. मृदुला शुक्ला, उत्तम पीयूष, अरविन्द श्रीवास्तव, डा. आभा पूर्वे, डा. मधुसूदन साहा, साथी सुरेश ‘सूर्य’, माधुरी जायसवाल, जनार्दन यादव, मीना शिखा, डा. मनाजिर आशिक हरगानवी, डा. अमरेन्द्र, नवीन निकुंज, दिगम्बर प्रसाद सिंह और चन्द्रप्रकाश जगप्रिय हैं।
पुस्तक अंग क्षेत्र के सामर्थ समकालीन काव्य-लेखन का आइना दिखाता है। साज-सज्जा स्तरीय है। संग्रह में लेखक का परिचय नहीं है तो क्या हुआ सम्पादक का संक्षिप्त परिचय दो पृष्ठों में अवश्य दिख जाता है।
संपादकः चन्द्रप्रकाश जगप्रिय, पुलिस उपाधीक्षक,
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पुस्तक प्राप्ति हेतु - 09939451323