"तेज बारिश में भींगा बदन है मेरा, ताप सूरज का मिलता नहीं, क्या करें ? जब लगी चोट गहरी तो दिल ने कहा वो प्यार का फूल खिलता नहीं क्या करें ? बंद दरवाजे सारे खुले मन के अबरंग फागुन का घुलता नहीं क्या करें?...."
गुरुवार
कविताओं में दिखे थे MLA के हत्यारे के इरादे! संदर्भ: रूपम पाठक की गजल
पूर्णिया. भाजपा से सदर विधायक राजकिशोर केशरी की हत्या करने वाली रूपम पाठक कवियत्री भी हैं। रूपम पटना विश्विद्यालय से "ग़ज़ल" विषय पर पीएचडी भी कर रही हैं। रूपम ने कई मौकों पर आयोज़नों में कविता पाठ किया है। कई आयोज़नों का संचालन भी रूपम ने किया है। रूपम कवितायेँ भी लिखती हैं। पिछले दिनों एक साहित्यिक पत्रिका में रूपम की दो कवितायेँ भी छपी थीं। एक का शीर्षक था "जब तेरा साथ नहीं"। इस कविता की कुछ पंक्तियां इस तरह हैं,
"तेज बारिश में भींगा बदन है मेरा, ताप सूरज का मिलता नहीं, क्या करें ? जब लगी चोट गहरी तो दिल ने कहा वो प्यार का फूल खिलता नहीं क्या करें ? बंद दरवाजे सारे खुले मन के अबरंग फागुन का घुलता नहीं क्या करें?...."
"तेज बारिश में भींगा बदन है मेरा, ताप सूरज का मिलता नहीं, क्या करें ? जब लगी चोट गहरी तो दिल ने कहा वो प्यार का फूल खिलता नहीं क्या करें ? बंद दरवाजे सारे खुले मन के अबरंग फागुन का घुलता नहीं क्या करें?...."
प्रस्तुतकर्ता
अरविन्द श्रीवास्तव