साहित्यिक, सांस्कृतिक तथा सामाजिक विचारों की संवाहिका त्रैमासिक पत्रिका ‘क्षणदा’ का यह 20 वा अंक मेरे हाथों में है, जो इस कोशी क्षेत्र से प्रकाशित होने वाली भारत सरकार से निबंधित इकलौती पत्रिका है। इस पत्रिका के सम्पादक प्रमुख श्री सुबोध कुमार सुधाकर हैं। जहाँ तक इसकी नियमितता का प्रश्न है, तो कुछ विलम्ब से ही सही, अंक सही सलामत निकल जाते हैं। वैसे तो लघु पत्रिकाओं का विलम्ब निकलना नियति है, फिर भी ‘क्षणदा’ पत्रिका कभी भी अपनी दुर्भाग्यपूर्ण नियति पर रोयी नहीं है, वरन् समय का ख्याल रखती हुई निरन्तर निकलती रही है। अस्तु।
‘क्षणदा’ (त्रैमासिक) का यह 20 वाँ अंक ‘‘‘तरूण-स्मृति-अंक’’ है। इसके प्रधान सम्पादक भारती भूषण, तारानन्दन तरूण का आकस्मिक निधन 22 जनवरी 2011 को हो गया। इनके आकस्मिक निधन से इस पत्रिका तो क्या, सम्पूर्ण कोशी अंचल की जो क्षति हुई, उसकी भरपाई निकट भविष्य में संभव नहीं है। अंक के प्रारम्भ में सम्पादक प्रमुख, सुबोध कुमार सुधाकर द्वारा अंकित सागर्भित सम्पादकीय है, जो स्व0 तरूण के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर भरपूर प्रकाश डालता है। उनके साहित्यिक अवदानों को उजागर करता है। उनके साहित्यिक योगदानों को रेखांकित करता है। पत्रिका के अंत में, पृष्ठ 49 से पृष्ठ 64 तक स्व. तरूण के आकस्ममिक निधन से संबंधित श्रद्धांजलियाँ हैं जो पाठकों के संवेगों को झकझोरती हैं। श्रद्धांजलि देने वालों में ‘क्षणदा के विशिष्ट सम्पादक प्रो0 (डा0) दीनानाथ शरण, सम्पादक सुरेन्द्र भारती, सम्पादक ध्रुवनारायण सिंह ‘राई’ तथा श्री मती अलका वर्मा हैं। डा0 वन्दना वीथिका एवं अन्य पटना के साहित्यकार युगल किशोर प्रसाद, समर्थ आलोचक, मनु सिंह, राज भवन सिंह तथा उ0 प्र0 की लेखिका संतोष शर्मा शान एवं दयानन्द जडि़या अवोध प्रभृति साहित्यकार प्रमुख है। इसके अतिरिक्त स्थायी स्तम्भ ‘पत्र मिले’ पूर्व की भाति रोचक है। कोशी अंचल के चर्चित कवि श्री सुबोध कुमार सुधाकर की काव्य कृति ‘चल नदिया के पार’ की समीक्षाएँ डा0 राम कुवर सिंह एवं पं0 दनर्दन प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखित समीक्षाएँ कृति की विशिष्टताओं को उजागर करती हैं। विद्वान साहित्यकार डा0 बोढ़न मेहता बिहारी का आलेख ‘चैतवार गायन की लोक परम्परा’ लोकगीतों को जीवित रखने में समर्थ है। कहानियों में ‘गुलमोहर’ (सियाराम शर्मा) ‘एक लगाया दस पाया’ (सिद्धार्थ शंकर ) तथा ‘जुदाई का दंश’ (पी0 सी0 गुप्ता) बहुत ही प्रेरक तथा संवेदनशील हैं। लघु कथाएँ भी सभी सुन्दर हैं। गीत, ग़ज़ल़ एवं कविताएँ भी इस अंक में सुन्दर तथा मधुर भावों से ओतप्रोत हैं। जसप्रीत कौर, अक्षय गोजा, नलिनीकान्त, देवी नागरानी, देवेन्द्र प्रसाद, जयकृष्ण भारती प्रभृति कवियों की कविताएं उत्तेजक तथा भावपूर्ण हैं। ‘सांस्कृतिक समाचार’ स्तम्भ में मधेपुरा एव. अररिया जिला प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा संचालित कार्यक्रम की विवरणिका स्वच्छ एवं अनुकरणीय हैं। फारविसगंज से श्री विनोद कुमार तिवारी बरावर कुछ न कुछ कार्यक्रम करते रहते हैं और उनकी सभी सूचनाएँ ‘क्षणदा’ में छपती रहती हैं। सो इस बार भी फारबिसगंज की सभी सांस्कृतिक सूचनाएँ समाहित हैं। बाद इसके ‘संक्षिप्त समीक्षाएं’ स्तम्भ में बहुत सारी पुस्तकों की समीक्षएं हैं जो लेखक एवं कवियों के उत्साह वर्द्धन कर रहे हैं।
इस अंक के सर्वांत में ‘क्षणदा’ के प्रधान सम्पादक तारानन्दन तरूण के आकस्मिक निघन से सम्बन्धित उनके प्रति विभिन्न साहित्यकारों की श्रद्धांजलियां दी गई हैं, जो पाठकों को शोकसंतप्त करने वाली हें।
‘क्षणदा’ का यह 20 वाँ ‘तरुण स्मृति अंक’ बहुत ही सुन्दर, मन-भावन तथा दिलकश बन पड़ा है। भाई सुधाकर को मेरी ओर से बहुत-बहुत बघाइयाँ.......
- डा0 जी0 पी0 शर्मा, भटौनी भवन, विद्यापति नगर, सहरसा (बिहार) मोबाइल- 9835821995.
‘क्षणदा’ (त्रैमासिक) का यह 20 वाँ अंक ‘‘‘तरूण-स्मृति-अंक’’ है। इसके प्रधान सम्पादक भारती भूषण, तारानन्दन तरूण का आकस्मिक निधन 22 जनवरी 2011 को हो गया। इनके आकस्मिक निधन से इस पत्रिका तो क्या, सम्पूर्ण कोशी अंचल की जो क्षति हुई, उसकी भरपाई निकट भविष्य में संभव नहीं है। अंक के प्रारम्भ में सम्पादक प्रमुख, सुबोध कुमार सुधाकर द्वारा अंकित सागर्भित सम्पादकीय है, जो स्व0 तरूण के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर भरपूर प्रकाश डालता है। उनके साहित्यिक अवदानों को उजागर करता है। उनके साहित्यिक योगदानों को रेखांकित करता है। पत्रिका के अंत में, पृष्ठ 49 से पृष्ठ 64 तक स्व. तरूण के आकस्ममिक निधन से संबंधित श्रद्धांजलियाँ हैं जो पाठकों के संवेगों को झकझोरती हैं। श्रद्धांजलि देने वालों में ‘क्षणदा के विशिष्ट सम्पादक प्रो0 (डा0) दीनानाथ शरण, सम्पादक सुरेन्द्र भारती, सम्पादक ध्रुवनारायण सिंह ‘राई’ तथा श्री मती अलका वर्मा हैं। डा0 वन्दना वीथिका एवं अन्य पटना के साहित्यकार युगल किशोर प्रसाद, समर्थ आलोचक, मनु सिंह, राज भवन सिंह तथा उ0 प्र0 की लेखिका संतोष शर्मा शान एवं दयानन्द जडि़या अवोध प्रभृति साहित्यकार प्रमुख है। इसके अतिरिक्त स्थायी स्तम्भ ‘पत्र मिले’ पूर्व की भाति रोचक है। कोशी अंचल के चर्चित कवि श्री सुबोध कुमार सुधाकर की काव्य कृति ‘चल नदिया के पार’ की समीक्षाएँ डा0 राम कुवर सिंह एवं पं0 दनर्दन प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखित समीक्षाएँ कृति की विशिष्टताओं को उजागर करती हैं। विद्वान साहित्यकार डा0 बोढ़न मेहता बिहारी का आलेख ‘चैतवार गायन की लोक परम्परा’ लोकगीतों को जीवित रखने में समर्थ है। कहानियों में ‘गुलमोहर’ (सियाराम शर्मा) ‘एक लगाया दस पाया’ (सिद्धार्थ शंकर ) तथा ‘जुदाई का दंश’ (पी0 सी0 गुप्ता) बहुत ही प्रेरक तथा संवेदनशील हैं। लघु कथाएँ भी सभी सुन्दर हैं। गीत, ग़ज़ल़ एवं कविताएँ भी इस अंक में सुन्दर तथा मधुर भावों से ओतप्रोत हैं। जसप्रीत कौर, अक्षय गोजा, नलिनीकान्त, देवी नागरानी, देवेन्द्र प्रसाद, जयकृष्ण भारती प्रभृति कवियों की कविताएं उत्तेजक तथा भावपूर्ण हैं। ‘सांस्कृतिक समाचार’ स्तम्भ में मधेपुरा एव. अररिया जिला प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा संचालित कार्यक्रम की विवरणिका स्वच्छ एवं अनुकरणीय हैं। फारविसगंज से श्री विनोद कुमार तिवारी बरावर कुछ न कुछ कार्यक्रम करते रहते हैं और उनकी सभी सूचनाएँ ‘क्षणदा’ में छपती रहती हैं। सो इस बार भी फारबिसगंज की सभी सांस्कृतिक सूचनाएँ समाहित हैं। बाद इसके ‘संक्षिप्त समीक्षाएं’ स्तम्भ में बहुत सारी पुस्तकों की समीक्षएं हैं जो लेखक एवं कवियों के उत्साह वर्द्धन कर रहे हैं।
इस अंक के सर्वांत में ‘क्षणदा’ के प्रधान सम्पादक तारानन्दन तरूण के आकस्मिक निघन से सम्बन्धित उनके प्रति विभिन्न साहित्यकारों की श्रद्धांजलियां दी गई हैं, जो पाठकों को शोकसंतप्त करने वाली हें।
‘क्षणदा’ का यह 20 वाँ ‘तरुण स्मृति अंक’ बहुत ही सुन्दर, मन-भावन तथा दिलकश बन पड़ा है। भाई सुधाकर को मेरी ओर से बहुत-बहुत बघाइयाँ.......
- डा0 जी0 पी0 शर्मा, भटौनी भवन, विद्यापति नगर, सहरसा (बिहार) मोबाइल- 9835821995.
समीक्षक |
सुबोध कु. सुधाकर, संपादक: क्षणदा |