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गुरुवार

शरद-नीतीश की चुनावी सभा में डा. मधेपुरी का काव्य पाठ

शरद-नीतीश की चुनावी सभा में डा. मधेपुरी का काव्य पाठ

घैलाड़ (मधेपुरा) जदयू प्रत्याशी डा.रमेन्द्र कुमार यादव ‘रवि’ के पक्ष में प्रचार करने आये बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार का विकास न तो चालीस वर्षों के शासनकाल में कांग्रेस ने ही किया है और न अपने पन्द्रह वर्षों के शासनकाल में पति-पत्नी ने हीं। उन्होंने एनडीए के पांच वर्षों के शासन काल में हुए विकास कार्यक्रमों को रेखांकित किया।
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि नीतीश कुमार अपने जीवन को सार्वजनिक बनाकर समाज के आमलोगों के लिए जीते मरते हैं। वहीं दूसरी तरफ विरोधी लोग परिवार - तंत्र को मजबूत करने में लगे हैं। उन्होंने सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं- सायकिल योजना, पोशाक योजना, दशरथ मांझी कौशल योजना, हुनर योजना... आदि की जानकारी दी तथा अपराधमुक्त के बाद भ्रष्टाचार मुक्त बिहार बनाने का वादा किया। डा. रवि के पक्ष में आयोजित इस सभा में मधेपुरा के वरिष्ट साहित्यकार डा. भूपेन्द्र नारायण यादव ‘मधेपुरी’ ने अपने ओजपूर्ण काव्यपाठ से जनसमूह में नयी चेतना का संचार किया । स्वयं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इनके काव्य पाठ को सुनकर प्रफ्फुलित दिखे। मंच पर जदयू के डा. रवि, राज्यसभा सदस्य श्री अली अनवर, विधान पार्षद विजय कुमार वर्मा एवं उप प्रमुख सियाशरण यादव तथा अन्य वक्ता उपस्थित थे।


मंगलवार

बिहार बीजेपी से पांच बागी निष्कासित


हरसा बीजेपी के विधायक संजीव कुमार झा सहित पांच बागी को बीजेपी आला कमान ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण निष्कासित कर दिया। वे हैं- अवध बिहारी सिंह, महेन्द्र मंडल, श्यामदेव पासवान, अजय झा और संजीव कुमार झा। स्मरण रहे कि संजीव कुमार झा सहरसा से बीजेपी के विधायक रहे हैं, जिन्हे इस विधानसभा चुनाव में पार्टी ने टिकट नहीं दिया; फलस्वरूप उन्होंने बागी प्रत्याशी बन अपनी उम्मीदवारी सुनिश्चित की और पार्टी प्रत्याशी आलोक रंजन के विरूद्ध चुनाव में अपनी दावेदारी पेश की सूत्रों की माने तो संजीव झा को पार्टी के वरिष्ट नेता अश्विनी चैबे का करीबी माना जाता है। जो सुशील मोदी के लिए नागवार था। 


शुक्रवार

बिहार में बीजेपी का संकट गहराया, अश्विनी चौबे का कोर कमिटी से इस्तीफा......

बिहार प्रदेश बीजेपी को एक और झटका देते हुए अश्विनी चौबे ने बीजेपी कोर कमिटी से अपना इस्तीफा दे दिया। इसके पूर्व पार्टी अध्यक्ष पद से डा. सी पी ठाकुर ने इस्तीफा देकर प्रदेश भाजपा के समक्ष पहले ही मुश्किल खड़ा कर दी थी।  प्रदेश भाजपा में उठा-पटक का यह क्लाइमेक्स चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर अपने-अपने ‘चहेते’ को टिकट नहीं मिलने से हुआ । जहाँ प्रदेश अध्यक्ष डा. सी पी ठाकुर अपने पुत्र को टिकट दिलाना चाहते थे वहीं श्री चौबे के भी कई अपने चहेते थे, टिकट बंटवारे में सुशील मोदी की ‘तानाशाही’ के खिलाफ बगावत की सुगबुगाहट टिकटों  की पहली सूची जारी होते ही शुरू हो चुकी थी, पार्टी के कई पुराने कार्यकर्ता व विधायकों को टिकट नहीं दिये जाने से नाराज वरिष्ट नेता अश्विनी चौबे ने सीधे तौर पर टिकट बंटवारे में मोदी की मनमानी, हठ तथा कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का आरोप लगाया। स्मरण हो कि कोसी क्षेत्र में सहरसा के बीजेपी विधायक संजीव कुमार झा सहित कई ऐसे नाम रहे है जिन्हें चौबे गुट का समझा जाता था उन्हें पार्टी टिकट नहीं मिलने से भी श्री चौबे का गुस्सा फूटा।
    भागलपुर से विधायक रहे अश्विनी चौबे की छवि बीजेपी के जनाधार वाले पुराने कद्दावर नेता की रही है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी में चल रहे इस घमासान से बीजेपी की लुटिया तो डूबेगी ही..... .. एनडीए की सेहत के लिए भी यह खतरे की घंटी है !