इतिहास के पन्नों में राजशाही और जमींदारों की बर्बरता और क्रूरता के किस्से भरे परे हैं। लेकिन कई ऐसे अपवाद इतिहास से निकलकर सामने आते हैं तो मन कौतूहलता से भर जाता है। मधेपुरा में मिले इतिहास के एक सुनहरे साक्ष्य को बांटने से नहीं रोक पा रहा हूँ । इस महत्वपूर्ण साक्ष्य (तस्वीर में दिख रहे) को सहेजने वाले प्रशांत कुमार (अधिवक्ता, व्यवहार न्यायलय, मधेपुरा) एवं इस सदर्भ में विस्तृत सूचना उपलब्ध कराने वाले डा. भूपेन्द्र ना यादव ‘मधेपुरी’ का आभार व्यक्त करना चाहूंगा ! प्राप्त जानकारी अनुसार एकदेश्वर सिंह दरभंगा महराज के शंकरपुर स्टेट के जमींदार थे उनकी लोकप्रियता जनहित के कार्यों एव शिक्षा के प्रति उनकी प्रतिवद्धता से झलकती है। उनदिनों मधेपुरा की एकमात्र शिक्षण संस्थान ‘दी सीरीज इन्स्टीट्यूट’ (स्थापित- 1896 ई., मधेपुरा) से इन्ट्रेंस परीक्षा में प्रथम आने वाले छात्र को वे प्रतिवर्ष स्वर्ण पदक प्रदान किया करते थे। शिक्षा के प्रति उनके अनुराग को यह पदक दर्शाता है। यह पदक बाबू रासबिहारी लाल मंडल (मुरहो स्टेट) के दामाद शालीग्रामी निवासी श्री रघुनंदन प्रसाद के 1905 – 06 वर्ष की इंट्रेंस परीक्षा में प्रथम आने के उपलक्ष्य में जमींदार एकदेश्वर सिंह के द्वारा प्रदान किया गया था।
यातनाएं झेलनेवाला
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रात
पिरहाना मछलियों-सी कुतरती रही तुम्हारी यादें
और दिन भर बदनाम कुर्सियों को सुनाता रहा मैं मुक्ति-गीत
एक गिटार ने मुझे जीने का गुर सिखाया
एक आत्मा जो...