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रविवार

लालू और नीतीश नहीं मनाएंगे होली


पटना। देश भर की तरह बिहार में भी लोग रंगों के त्योहार होली मनाने की अंतिम तैयारियों में लगे हैं लेकिन हर साल आकर्षण का केंद्र रहने वाली लालू प्रसाद यादव की ‘कपड़ा-फाड़ होली’ और मुख्यमंत्री निवास की होली इस साल देखने को नहीं मिलेगी। 
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के एक नेता ने शनिवार को बताया कि इस वर्ष पूर्व रेल मंत्री एवं राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और उनकी पत्नी एवं पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर होली नहीं मनाई जाएगी। इस सूचना के बाद आसपास के लोग मायूस हो गए हैं। स्थानीय लोग उनके आवास पर पहुंचकर सभी भेदभाव मिटाकर विशेष उत्साह से कपड़ाफाड़ होली खेलते थे और इस दौरान फागुन के गीत गाये जाते थे। इस होली में खुद लालू प्रसाद भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे हैं। नेता का कहना है कि लालू प्रसाद के बड़े भाई मुकुन्द राय की पत्नी मरछिया देवी का निधन जनवरी माह में हो गया था इस कारण यह परिवार इस वर्ष होली नहीं खेलेगा। इधर, लालू प्रसाद के घोर विरोधी नीतीश कुमार भी इस वर्ष होली नहीं मनाएंगे। एक अणे मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास पर इस वर्ष होली नहीं मनाई जाएगी। मुख्यमंत्री आवास के एक पदाधिकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी अपनी माता के निधन के कारण होली नहीं मनाएंगे। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री की माता परमेश्वरी देवी की मौत एक जनवरी को हो गई थी। वे काफी लंबे समय से बीमार थीं। अधिकारी के अनुसार इससे पहले नीतीश कुमार के कार्यकाल में मुख्यमंत्री आवास में लालू प्रसाद की शैली के विपरीत होली मनाई जाती रही है। यहां केवल सूखे रंग और अबीर-गुलाल की होली होती थी परंतु इस वर्ष यहां होली नहीं होगी।-अमर उजाला

बुधवार

समय से संवाद करता ‘संवदिया’ का ताजा अंक


संवदिया का ताजा अंक पत्रिका से जुड़े रचनाकारों का सार्थक इंतसाब और अदम्य जिजीविषा का संयुक्त मिशन है, जिसने कोसी प्रांगण में फैले विपुल साहित्यिक संपदा को तकरीम के साथ उड़ान भरने का मौका दिया। संपादक अनिता पंडित बकौल मार्केज ‘एक प्रसिद्ध लेखक को, प्रसिद्धि से लगातार खुद की रक्षा करनी पड़ती है’। अंदर दबी संपादन-कला-कौशलता के साथ, संपादक को पाठकों के हित में और अधिक मुखर होना पड़ा। इंटरनेट पर संवदिया का अपना ब्लाग और अभी-अभी साहित्य की चर्चित पत्रिका ‘परिकथा’ (जनवरी-फरवरी, 11) में इसकी चर्चा से स्पष्ट होता है कि छोटे जगह से प्रकाशित संवदिया का फलक कितना विशाल है। संवदिया के ताजे अंक में डा. वरुण कुमार तिवारी का आलेख- नागार्जुन के काव्य में मिथिला का लोकजीवन, कर्नल अजित दत्त का- रेणु की कहानियों पर फिल्में तो पठनीय है ही, साथ में फनीश्वरनाथ रेणु के पत्र मधुकर गंगाधर के नाम के अन्तर्गत रेणु जी के चार दुर्लभ पत्र अक्षरशः प्रकाशित हैं। कहानियों में अरुण अभिषेक, रहबान अली राकेश, इंदिरा डांगी और प्रभात दुबे की कहानियाँ उल्लेखनीय हैं । अंक में गद्य के साथ कविताओं की युगलबंदी ने संवदिया को और अधिक रोचक बना दिया है। श्यामल , धर्मदेव तिवारी, लीलारानी शबनम आदि की कविताएँ भी अंक को सार्थक बनाने से नहीं चूकती।
संपादक: अनीता पंडित
संवदिया प्रकाशन, जयप्रकाश नगर, वार्ड नं.- 7
अररिया-854311. बिहार, मोबाइल - 09931223187.

मंगलवार

कोसी क्षेत्र की समग्र तस्वीर प्रस्तुत करती स्मारिका ‘कोसी दर्पण’


सहरसा प्रमण्डलीय मुख्यालय में वर्ष 2002 से प्रत्येक वर्ष मनाये जाने वाला ‘कोसी महोत्सव’ कोसी अंचल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत तथा उसकी विशिष्ठता से सामान्य जन को परिचित कराने में सक्षम है। इस वर्ष 20-21 फरवरी को यह अयोजन समारोह मनाया गया। इस अवसर पर प्रकाशित स्मारिका ‘कोसी दर्पण’ में ‘ कोसी जगत में खेल का इतिहास’ - धर्मेन्द्र कुमार सिंह नयन, ‘कोसी के पर्यटन मानचित्र पर अवस्थित दर्शनीय स्थल’  (संकलित) समृद्ध अतीत का वाहक सु-पाओल यानी सुपौल’ - अरविन्द ठाकुर, ‘इतिहास के आईने में मधेपुरा’- हरिशंकर श्रीवास्तव ‘शलभ’ ‘कोसी में महात्मा बुद्ध का भ्रमण मार्ग’- मुक्तेश्वर मुकेश, ‘आधुनिक युग में सांस्कृतिक एवं साहित्यिक दायित्व’- डा. रेणु सिंह, ‘अमर रचनाकार राजकमल चैधरी’- रणविजय  झा, ‘रेणु के कथा साहित्य में ग्रामीण लोक संस्कृति’- मोहन प्रसाद, ‘लोक देवः बाबा बिसु’- अंजनी कुमार शर्मा, ‘कोसी अंचल में मत्स्य-उद्योग की संभावना’- डां विनय कुमार चैधरी, ‘साहित्य में मधेपुरा का योगदान’- डा. अरविन्द श्रीवास्तव आदि आलेखों के साथ सुभाष चन्द्र झा की गज़ल  के साथ अन्यान्य आलेख एवं कविताएँ हैं। कोसी क्षेत्र की समग्र तस्वीर प्रस्तुत करने में यह स्मारिका सक्षम है।
‘कोसी दपर्ण’
प्रधान संपादकः देवराज देव, भा.प्र.से.
जिला पदाधिकारी, सहरसा.
http://saharsa.bih.nic.in