tag:blogger.com,1999:blog-75359548667531130462024-02-20T18:46:45.051+05:30कोसी खबर..दैनिकअरविन्द श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/01248940700970757852noreply@blogger.comBlogger125125tag:blogger.com,1999:blog-7535954866753113046.post-13732559922241268412014-10-19T16:31:00.000+05:302014-10-21T09:52:44.279+05:30प्रतिभा का सम्मान<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h2 class="separator" style="clear: both; text-align: justify;">
<span style="font-weight: normal;"><span style="font-size: small;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgOrYsyrQdm7p7KWgOj8vgQYiKa2axKjTewJDrSNdB0_6j-pK5EqqZFeZ1GBT0-pFSAWC8nBcd1p2NhAxFnuij_Iu_63dhjB0v44PkuhnFVL67JPJAYeTNbulxviWUSvTplTvc9kLn7D-M/s1600/mp+2.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgOrYsyrQdm7p7KWgOj8vgQYiKa2axKjTewJDrSNdB0_6j-pK5EqqZFeZ1GBT0-pFSAWC8nBcd1p2NhAxFnuij_Iu_63dhjB0v44PkuhnFVL67JPJAYeTNbulxviWUSvTplTvc9kLn7D-M/s1600/mp+2.jpg" height="188" width="400" /></a></span></span></h2>
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अरविन्द श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/01248940700970757852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7535954866753113046.post-70979715650689947862012-02-27T14:40:00.000+05:302012-02-27T14:40:15.996+05:30केन्द्रीय राज्य मंत्री श्री हरीश रावत ने किया ‘अमर शहीद मुंशी साह‘ का लोकार्पण<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhhV6l1E6lpJ0kW0ti2llpB9S7WMUVGybbTqGKnVUpy2FhyphenhyphengDH0r88AfE2arcq_xYJZ9NyMLikkywPShb_W_G8-5EErAIKKEy_VipCygorXJikDN1lnNZ9OS5V5afxQV6v2Fq4m-__HYS8/s1600/katihar+news.JPG" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="212" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhhV6l1E6lpJ0kW0ti2llpB9S7WMUVGybbTqGKnVUpy2FhyphenhyphengDH0r88AfE2arcq_xYJZ9NyMLikkywPShb_W_G8-5EErAIKKEy_VipCygorXJikDN1lnNZ9OS5V5afxQV6v2Fq4m-__HYS8/s320/katihar+news.JPG" width="320" /></a></div><div style="text-align: justify;"><span style="font-size: large;">न</span>ई दिल्ली, वयोवृ़द्ध स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिक, सामाजिक कार्यकर्ता श्री नरेश पोद्दार द्वारा लिखित पुस्तक ‘अमर शहीद मुंशी साह‘ का लोकार्पण माननीय केन्द्रीय राज्य मंत्री श्री हरीश रावत, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, उद्योग और संसदीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार ने 22 फरवरी 2012 को अपने आवास पर किया। यह पुस्तक 1942 की अगस्त क्रांति में भागलपुर (बिहार) में शहीद हुए स्वतंत्रता सेनानी मुंशी साह की संक्षिप्त जीवनी प्रस्तुत करने के साथ-साथ उत्तरी बिहार में तत्कालीन स्वतंत्रता-संग्राम संबंधी गतिविधियों का तथ्यात्मक विवरण प्रस्तुत करती है। इस अवसर पर सर्वश्री सुरेश पोद्दार, कैप्टन रामफूल शर्मा, डा. कमलेश कुमार, ओमप्रकाश पोद्दार, प्रणव प्रसाद पोद्दार और पुस्तक के लेखक श्री नरेश पोद्दार उपस्थित थे।<br />
</div></div>अरविन्द श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/01248940700970757852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7535954866753113046.post-48996526121500159562012-02-09T17:32:00.000+05:302012-02-09T17:32:34.637+05:30दिल्ली के मंच पर मधेपुरा की गूंज<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgIMxQtaZLDhASxIIM0sMaKydx6hoLtlkguF0HtkRLwKfb6kKCjVVomlY2FgrZXLyWs23g8ik7hxUwHm2qLqDV2Zv1PvCHD_tJlT3j7SQkzbzZlHwLd-msY6dOvaJccDkPoF_a1F4_MUIQ/s1600/v5.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="175" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgIMxQtaZLDhASxIIM0sMaKydx6hoLtlkguF0HtkRLwKfb6kKCjVVomlY2FgrZXLyWs23g8ik7hxUwHm2qLqDV2Zv1PvCHD_tJlT3j7SQkzbzZlHwLd-msY6dOvaJccDkPoF_a1F4_MUIQ/s400/v5.jpg" width="400" /></a></div><div style="text-align: justify;"><br />
<span style="color: blue; font-size: large;">न</span>ई दिल्ली. कोसी की मिट्टी की ताकत सिर्फ बाढ़ लाने और विभीषिका तक सीमित नहीं है बल्कि इसकी मिट्टी में रचनात्मकता भी है. पिछले दिनों दिल्ली सरकार द्वारा आयोजित गणतंत्र दिवस काव्य उत्सव में कोसी की माटी के शब्द राष्ट्रीय राजधानी में गूंजे. मधेपुरा के गाँव आनंदपुरा में पले-बढे युवा कवि विनीत उत्पल राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के उस मंच से अपनी कविताओं का पाठ किया, जिस मंच पर इनके अलावा मैथिली और भोजपुरी के करीब बीस कवि मौजूद थे. उन्होंने काव्य उत्सव के खुले मंच से 'बेटी' नामक कविता पेश की जो कोसी में आई विभीषिका और मां को लेकर था.<br />
मैथिली और भोजपुरी में काव्य उत्सव का आयोजन दिल्ली सरकार की मैथिली-भोजपुरी अकादेमी ने किया था. दिल्ली के मंडी हाउस स्थित श्रीराम भारतीय कला केंद्र में आयोजित इस काव्य उत्सव का उद्घाटन दिल्ली सरकार में भाषा, महिला और बल विकास मंत्री डा. किरण वालिया ने किया था. मैथिली में कविता पाठ करने वालों में विनीत उत्पल के अलावा मानवर्धन कंठ, अग्निपुष्प, कुमार राधारमण, शेफालिका वर्मा, रामलोचन ठाकुर, विवेकानंद ठाकुर, और रवींद्र लाल दास थे, वहीं भोजपुरी में अनिल ओझा 'नीरद', कमलेश राय, परिचय दास, अविनाश, रचना योगेश, रवींद्र श्रीवास्तव जुगानी, मनोज भावुक, तारकेश्वर मिश्र राही, ज्ञानेंद्र कुमार सिंह, रमाशंकर श्रीवास्तव ने अपनी कविता पेश की.</div><div style="text-align: justify;"><i style="color: #660000;"> <b>विनीत उत्पल </b>का जन्म पूर्णिया जिले के सुखसेना ग्राम में हुआ है और उनका पैत्रिक ग्राम मधेपुरा के उदाकिशुनगंज प्रखंड के आनंदपुरा ग्राम है. उनका शुरूआती बचपन सैनिक स्कूल, तिलैया में बीता. उनकी पढाई-लिखाई मुंगेर जिले के तारापुर और रणग्राम में हुई है. उन्होंने भागलपुर स्थित मारवाड़ी कालेज में पढाई की है और तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की है. बाद में उन्होंने दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया से जनसंचार और भारतीय विद्या भवन से अंग्रेजी में पत्रकारिता की डिग्री ली. उन्होंने गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय से जनसंचार में मास्टर की डिग्री भी हासिल की है. हिंदी, अंग्रेजी और मैथिली में विपुल लेखन करने वाले विनीत की एक मैथिली कविता संग्रह 'हम पुछैत छी'' दिल्ली से प्रकाशित हुई है. उन्होंने साहित्य अकादमी से पुरस्कृत वरिष्ठ साहित्यकार उदयप्रकाश की कहानी मोहनदास का मैथिली अनुवाद भी किया है. विनीत उत्पल मारवाड़ी कालेज, भागलपुर के गणित विभाग के पूर्व अध्यक्ष और गणितज्ञ डा. वेदानन्द झा के सुपुत्र हैं. </i></div></div>अरविन्द श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/01248940700970757852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7535954866753113046.post-42735404097157507092012-01-24T18:57:00.000+05:302012-01-24T18:57:56.999+05:30सहरसा में बाल श्रमिक उन्मूलन एवं विभिन्न श्रम अधिनियमों का एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhQDxszK6H0AIFlruVlC7pk86160XjiTidrxjCOrSz8WZMmjw_t5sChnQl5To9sDF88T7O-GgEAh-8pz7Wn-YhFFwJweFfX9oZ5W0zu8R4pKuKXLbFEIh8dblrv5HyOV80CyFhGhx7eJrs/s1600/DSC00589.JPG" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhQDxszK6H0AIFlruVlC7pk86160XjiTidrxjCOrSz8WZMmjw_t5sChnQl5To9sDF88T7O-GgEAh-8pz7Wn-YhFFwJweFfX9oZ5W0zu8R4pKuKXLbFEIh8dblrv5HyOV80CyFhGhx7eJrs/s320/DSC00589.JPG" width="320" /></a></div><div style="text-align: justify;"><br />
<span style="color: blue; font-size: large;">स</span>हरसा। सहायक श्रमायुक्त कार्यालय के पार्श्व में आयोजित बाल श्रमिक उन्मूलन एवं विभिन्न श्रम अधिनियमों का एक दिवसीय कार्यशाला की अध्यक्षता कोसी अंचल के वरिष्ठ साहित्यकार हरिशंकर श्रीवास्तव ‘शलभ’ ने की कार्यक्रम में सहरसा जिले के प्रखण्ड प्रमुख एवं मुखिया बहुलांश में उपस्थित थे। कार्यक्रम का आरंभ करते हुए डा. अरविन्द श्रीवास्तव ने कवि राजेश जोशी की कविता ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ शीर्षक से की उन्होंने कहा कि बच्चों का सुबह होतेे ही काम पर जाना किसी भी राष्ट्र का पतनावस्था की ओर ले जाने का द्योतक है उन्हें खेलने, तितलियों के साथ दौड़ने तथा पाठशाला व मदरसों में पढ़ने का सुनहरा अवसर प्रदान किया जाय जिससे वे राष्ट्र का कर्णधार बन सकें। <br />
समारोह में श्रमप्रवर्तन पदाधिकारी साीता राम मंडल, श्यामल किशोर सिंह, लक्ष्मी प्रसाद, प्रफुल्ल कूमार दास एवं पूनम लता सिन्हा ने बाल श्रम उन्मूलन कानून की व्याख्या करते हुए उपस्थित प्रमुख एवं मुखिया से अपेक्षित सहयोग करने की अपील की । जिला मुखिया संध के अध्यक्ष डा. प्राण मोहन सिंह, मुखिया गजेन्द्र नारायण यादव, मुखिया जयशंकर जी ‘पप्पु’, मुखिया राजेश कुमार ‘रजनीश’ ने बाल श्रम उन्मूलन पर अपने-अपने विचार रखे। अधिवक्ता श्री जैन ने बाल श्रम पर संवैधानिक प्रावधानों की जानकारी दी। बचपन बचाओ आन्दोलन के निदेशक घूरन महतो एवं सामाजिक कार्यकर्ता संजीव कुमार सिंह ने इस क्षेत्र में हुई उपलब्धि का विवरण प्रस्तुत किया। अध्यक्ष ने सभी उपस्थित श्रोताओं से अपील की कि जिस जलपान गृह अथवा होटल में बाल श्रमिक पाये जाय वहाँ जलपान अथवा भोजन न करेने का संकल्प लें तथा उस संस्था में उपस्थित बाल मजदूरों की सूचना संवद्ध अधिकारियों को त्वरित दें। सहायक श्रमायुक्त डा. आनन्द ने धन्यवाद ज्ञापन कर कार्यशाला का समापन किया। </div></div>अरविन्द श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/01248940700970757852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7535954866753113046.post-62615974530557144052012-01-08T15:11:00.000+05:302012-01-08T15:11:25.070+05:30शिवनेश्वरी बाबू हमेशा अपने कर्मों में जीते रहेंगे - डा. रवि<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi48T4DI_ugngdOiYaIO5vhnGRDp1TGcdD5TW7OJ5QXE7yP4Wli7c2QaqW-9UzrQG5RQnQhtyymhwbyXPDxepViKpVPUvhniXT7Joq-q0DqhBZ8AL4OH7zI7P93qZ1ht0WpXgzeQ1SrFPA/s1600/DSCF0432.JPG" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="180" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi48T4DI_ugngdOiYaIO5vhnGRDp1TGcdD5TW7OJ5QXE7yP4Wli7c2QaqW-9UzrQG5RQnQhtyymhwbyXPDxepViKpVPUvhniXT7Joq-q0DqhBZ8AL4OH7zI7P93qZ1ht0WpXgzeQ1SrFPA/s320/DSCF0432.JPG" width="320" /></a></div><div style="text-align: justify;"><span style="color: cyan; font-size: large;">वि</span>धि विशेषज्ञ, साहित्यकार एवं समाजिक सरोकार में गहरी अभिरूचि रखने वाले तथा हिन्दी को न्यायालय में प्रतिष्ठापित करने वाले पूर्व लोक अभियोजक व वरीय अधिवक्ता शिवनेश्वरी प्रसाद के निधन से मर्माहत साहित्यकारों एवं अधिवक्ताओं ने कौशिकी क्षेत्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अम्बिका सभागार में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया। जिसकी अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार हरिशंकर श्रीवास्तव ‘शलभ’ ने कहा कि उनका ‘सोवियत रूस में 14 दिन’ यात्रा विषयक उल्लेखनीय ग्रंथ है तथा ‘समाजिक न्याय के द्वंद’ उनके स्वतंत्र चिंतन का प्रमाणिक दस्तावेज, श्री शलभ ने उन्हें अपना मित्र, दार्शनिक व मार्गदर्शक कहा। <br />
सम्मेलन के सचिव भूपेन्द्र नारायण यादव ‘मधेपुरी’ ने कहा कि वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी तथा दया, करुणा व ममता की मूरत थे। डा. मधेपुरी ने उन्हें साहित्य समर्पित साधक बताते हुए कहा कि न्यायालयों में हिन्दी को प्रतिष्ठापित करने वाले उस महानायक के सतत प्रयासों को मधेपुरा सदा याद करेगा। <br />
इस अवसर पर पूर्व सांसद एवं मंडल विश्वविधालय के संस्थापक कुलपति डा. रमेन्द्र कुमार यादव ‘रवि’ ने उनके जीवन वृत की विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि ‘सदा हँसने वाले दादा श्री शिवनेश्वरी प्रसाद वर्षों में नहीं बल्कि हमेशा अपने कर्मों में जीते रहेंगे। इस अवसर पर पूर्व प्रतिकुलपति डा. के. के. मंडल, कुलानुशासक डा. एच. के. मंडल, प्राचार्या शांति यादव, प्राचार्य प्रो. सच्चिदानंद, प्रो. श्यामल किशोर यादव, डा. आर. क.े पी. रमण एवं डा. रामचन्द्र प्रसाद यादव आदि ने विस्तार से शोकोदगार व्यक्त किये।<br />
श्रद्धांजलि सभा में बुद्धिजीवियों एवं छात्रों की काफी उपस्थिति रही अधिवक्ता जवाहर झा, दिलीप झा, इंदूवाला सिन्हा, दशरथ सिंह, डा. विनय चैधरी, डा. रामेश्वर प्रसाद, डा. सुरेश भूषण, उल्लास मुखर्जी, सिद्धेश्वर काश्यप, इप्टा सचिव सुभाष चन्द्र एवं तुलसी पब्लिक स्कूल के निदेशक श्यामल कुमार प्रमुख थे। कार्यक्रम का संचालन डा. मधेपुरी एवं धन्यवाद डा. आलोक कुमार ने किया।</div></div>अरविन्द श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/01248940700970757852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7535954866753113046.post-67030321048883797592011-12-27T15:16:00.001+05:302011-12-27T15:17:26.940+05:30‘सोवियत रूस में चौदह दिन’ नहीं रहे इस पुस्तक के लेखक- शिवनेश्वरी प्रसाद !<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjpS4VyeBM4cjiAjTsZoga30EXWkwgW3xYZP53cSdoVj4BxsbPDj0lWyQgEjUOIZ4Uag1EusZyDKvwTLPXFxzIlPDWlGYhR88hNFwxWRycTTAhyphenhyphenpAkZIjI90hLzKR9hlzjMK8gSZm4QP0k/s1600/ScannedImage-8.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="200" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjpS4VyeBM4cjiAjTsZoga30EXWkwgW3xYZP53cSdoVj4BxsbPDj0lWyQgEjUOIZ4Uag1EusZyDKvwTLPXFxzIlPDWlGYhR88hNFwxWRycTTAhyphenhyphenpAkZIjI90hLzKR9hlzjMK8gSZm4QP0k/s200/ScannedImage-8.jpg" width="126" /></a></div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;"><span style="color: blue; font-size: large;">म</span>धेपुरा के जाने-माने विधिवेत्ता, समाज सेवी एवं विद्वान शिवनेश्वरी प्रसाद (जन्म: 1.1.1927.) का निधन सोमवार 26.12.2011. को हो गया। वे लगभग साठ वर्षों से साहित्य, समाज, राजनीति एवं लोक कल्याण के कार्यों में सक्रिय रहे। वे ‘भारत-सोवियत सांस्कृतिक सहयोग समिति’- इस्कस के मधेपुरा इकाई के सचिव तथा प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था ‘कौशिकी क्षेत्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन’ के संरक्षक भी थे साथ ही दीर्धकाल तक मधेपुरा जिला न्यायालय में लोक अभियोजक भी रहे। उन्होंने अपनी सोवियत संध की यात्रा का विवरण अपनी पुस्तक <b>‘सोवियत रूस में चौदह दिन’ </b>में लिखा। इसके अतिरिक्त ‘सामाजिक न्याय के अंतर्द्वंद’ तथा ‘न्यायालयों में आरक्षण के उठते सवाल’ विषयक ग्रंथ की भी रचना की। </div><div style="text-align: justify;"> हिन्दी साहित्य के संवर्द्धन को ध्यान मे रखते हुए उन्होंने न्यायालय का सारा कार्य आजन्म हिन्दी में ही किया। उनके निधन से मधेपुरा ने एक महान सामाजिक एवं सांस्कृतिक शख्सियत को खो दिया। </div></div>अरविन्द श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/01248940700970757852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7535954866753113046.post-38697113206779384512011-12-17T12:34:00.000+05:302011-12-17T12:34:13.622+05:30साहित्यिक विधाओं का विपुल संसार है ‘साँवली’ - डा. उत्तिमा केशरी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjvXqoa2KKQ9yrHxWdEoNJyO97v5NU-ldMxpaJJAPLAJ5UK2OLmCgfkNBjN_P9-Ybh81XXhEvm-ybhOymNohU0cFFHySsAW237SDWb0VjJ91_UZQIE2zoOyPRFRazA9eYHvJZGWOJ46_Ew/s1600/ScannedImage-5.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="200" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjvXqoa2KKQ9yrHxWdEoNJyO97v5NU-ldMxpaJJAPLAJ5UK2OLmCgfkNBjN_P9-Ybh81XXhEvm-ybhOymNohU0cFFHySsAW237SDWb0VjJ91_UZQIE2zoOyPRFRazA9eYHvJZGWOJ46_Ew/s200/ScannedImage-5.jpg" width="153" /></a></div><div style="text-align: justify;"><span style="color: blue; font-size: large;">हि</span>न्दी की साहित्यक लघु पत्रिकाओं में ‘सांवली’ अपनी प्रतिबद्धता, वैचारिकता और सर्जनात्मक प्रभावों से जानी जाती है। महज 3 वर्ष: 6 अंकांे के बदौलत बिना किसी फतवेबाजी और विमर्श के यह पत्रिका पाठकों के मध्य अपनी जगह बहुत तेजी से बना रही है। यह पत्रिका समर्थ रचनाकारों के अतिरिक्त अपने अंचल के साथ सुदूर नए लेखकों को स्पेस दे रही है। इस पत्रिका का प्रधान संपादक जवाहर किशोर प्रसाद बेहद इमानदारी और गहरी संलग्नता के साथ अपने संपादक त्रेय के माध्यम से संपादन कर रहे हैं यह प्रधान संपादक के कुशल नेतृत्व का परिचय है। <br />
इस अंक में कहानियाँ कई हैं, उनमें - डा. सरला अग्रवाल, रमेश कुमार रमण, डा. सुवंश ठाकुर ‘अकेला’, सूर्यकांत निराला, कुमार शर्मा ‘अनिल’ अपनी संवेदनात्मक उपस्थिति दर्ज कराती है। आलेख स्तंभ में ‘मंदार-दर्शन’ , पद्मा धर्म-पत्नी थी, कोसी-शोध साहित्य संदर्भ, आधुनिक हिन्दी लेखकन के क्रमशः लेखन- संजीव रंजन, अनन्त, देवेन्द्र कुमार देवेश व अनिरूद्ध सिन्हा की उपस्थिति पाठकों को अच्छी लगेगी। कविताएँ, गीत, गज़ल की उपस्थिति भी अच्छी है। आशा विश्वास, स्नेहलता, डा. लीला रानी ‘शबनम’, डा. भूपेन्द्र नारायण यादव ‘मधेपुरी’, वासुदेव प्रसाद विधाता की कविताएँ और गज़लें बिम्बों की अन्तश्चेतनाओं की पूरी परत खोलने में पाठकों को साथ कर लेती हैं। उत्तम केशरी की अंगिका कविता की शुरूआत अच्छी है। अंचल की अन्य भाषाओं पर भी कविताएँ आनी चाहि; जैसे सूर्यापुरी, बंगला, मैथिली और उर्दू आदि। <br />
लघु कथाएँ, हास्य-व्यंग्य, आध्यात्मिक आलेख, बालदीप, दूर-दर्शन, सिनेमा स्तंभ की रचनाएँ भी पाठकों को आकर्षित करने में सक्षम है। इस अंक का महत्वपूर्ण पाठ- प्रबुद्ध लेखक इन्दुशेखर की है जिन्होंने चन्द्र किशोर जायसवाल के उपन्यास ‘पलटनिया’ पर अपनी पूरी गंभीरता और पारदर्शिता से विमर्श प्रस्तुत किया है।... सांवली का आवरण भी ‘सांवली’ की तरह मनमोहक है।</div><div style="text-align: justify;"><b><span style="color: #660000;">संपादकः</span></b> डा. सुवंश ठाकुर ‘अकेला’, सिपाही टोला, चूनापुर रोड, पूर्णिया-854301. मोबाइल- 9973264550./ 9931465695.<br />
</div></div>अरविन्द श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/01248940700970757852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7535954866753113046.post-76306061102533926882011-12-05T15:48:00.001+05:302011-12-05T15:52:09.841+05:30’कोसी की नई जमीन' बनने को तैयार !<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiVo-8MN_fqrR1A3EPKBTfiKjRXwGM-WIoy7nZ0bmI8k8aHpwXkFNT3xjcOgvPqScAnedq6aQt1Zl05iVVe_AZHZ6n6nd9RgV8AO43cNhoBJWrWOhtTrYZR_T_gwGKUjKI2FnEvQyYKauY/s1600/kosi+ki+nai+jamin.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="200" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiVo-8MN_fqrR1A3EPKBTfiKjRXwGM-WIoy7nZ0bmI8k8aHpwXkFNT3xjcOgvPqScAnedq6aQt1Zl05iVVe_AZHZ6n6nd9RgV8AO43cNhoBJWrWOhtTrYZR_T_gwGKUjKI2FnEvQyYKauY/s200/kosi+ki+nai+jamin.jpg" width="127" /></a></div><div style="text-align: justify;"><br />
<span style="color: magenta; font-size: large;">'को</span>सी की नई जमीन' का कविता खंड अब मुद्रण के लिए तैयार है। इसमें कोसी अंचल के 45 कवियों की कविताऍं संगृहीत हैं।<br />
कोसी अंचल के युवा कवियों के समक्ष अपने अंचल के पूर्वज लेखकों की रचनात्मक विरासत और प्रतिमान हैं, वहीं दूसरी ओर आंचलिकता की विशिष्ट साहित्यधारा की जन्मभूमि होने के नाते विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित उनकि लोकधर्मिता और कोसी की त्रासदी की प्रेरणा और प्रभाव है- वरिष्ट साहित्यकार विश्वनाथ प्रसाद तिवारी का यह मानना है कि आज के बाजारवाद लोकतंत्र में मिटते आदमी और चालाक सत्ता के शोषक रूप की तस्वीर भी इनमें प्रयाप्त है! <br />
<span style="color: #660000;">संग्रह में शामिल कुल 45 कवियों के नाम इस प्रकार हैं -</span><br />
<b>कटिहार</b> (13)- अनिमेष गौतम (बोकारो), आकाश कुमार (दिल्ली), कल्लोल चक्रवर्ती (दिल्ली), देवेन्द्र कुमार देवेश (दिल्ली), राकेश रोहित (कोलकाता), विभुराज चौधरी (दिल्ली), शेखर सुमन (बंगलूरु), संजीव कुमार सिंह, संजीव ठाकुर (गाजियाबाद), स्वर्णलता ‘विश्वफूल’, स्मिता झा (चाईंबासा), हरे राम सिंह, सुरेन्द्र कुमार<b> सुपौल</b> (12)- अखिल आनंद (सहरसा), अनुप्रिया (दिल्ली), कनुप्रिया (दिल्ली), किसलय ठाकुर (मुंबई), कुमार सौरभ (दिल्ली), नीरज कुमार (दिल्ली), पंकज चौधरी (मेरठ), मिथिलेश कुमार राय (सहरसा), रंजीत (रॉंची), रमण कुमार सिंह (दिल्ली), श्याम चैतन्य (गुड़गॉंव), राजेश चंद्र (दिल्ली)<b> मधेपुरा</b> (7)- अनुपम कुमार (दिल्ली), अमरदीप (पटना), अरविन्द श्रीवास्तव, उल्लास मुखर्जी, कृष्णमोहन झा (सिलचर), राजर्षि अरुण (शिमला), संजय कुमार सिंह (किशनगंज)<b> पूर्णिया</b> (7)- अरुण प्रकाश, गिरीन्द्रनाथ झा (कानपुर), रणविजय सिंह सत्यकेतु (इलाहाबाद), श्रीधर करुणानिधि (पटना), विनीत उत्पल (दिल्ली), अशोक कुमार 'आलोक', सुरेन्द्र कुमार 'सुमन'<b> सहरसा</b> (3)- अरुणाभ सौरभ (गुवाहाटी), आलोक रंजन (दिल्ली), शुभेश कर्ण (पटना)<br />
<b>अररिया</b> (3)- चेतना वर्मा (जमशेदपुर), ठाकुर शंकर कुमार, मिथिलेश आदित्य<br />
<b style="color: red;">कोसी की नई जमीन:</b> कविता खंड, संपादक: देवेन्द्र कुमार देवेश ( मोबाइल- 09868456153.), प्रकाशक - यश पब्लिकेशंस, नई दिल्ली। </div></div>अरविन्द श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/01248940700970757852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7535954866753113046.post-15644991459318525882011-11-30T20:44:00.000+05:302011-11-30T20:44:13.787+05:30खुद की पीड़ा बांटने का प्रयास है ‘एक थी गीता’<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjq5Tq3y0dnincwSXmhgThhduDGGSNDrRjxeDBRctS3LC9jipSvESBS4BI80CnBq5ut1RhOrWqCcWxQ5hBwM1a5I_RApEr5FwJg1PrXiwyOjeviLyK5bYhFpRKnxhpyzhCYHv75beoIJ08/s1600/ScannedImage-17.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="200" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjq5Tq3y0dnincwSXmhgThhduDGGSNDrRjxeDBRctS3LC9jipSvESBS4BI80CnBq5ut1RhOrWqCcWxQ5hBwM1a5I_RApEr5FwJg1PrXiwyOjeviLyK5bYhFpRKnxhpyzhCYHv75beoIJ08/s200/ScannedImage-17.jpg" width="122" /></a></div><div style="text-align: justify;"><span style="font-size: large;">‘ए</span>क थी गीता’ जवाहर किशोर प्रसाद की सरल-सहज बोलचाल की भाषा में रचितएक अत्यन्त संवेदनात्मक लघु-उपन्यास है। घनीभूत मानवीय संवेदना और करुणा के भाव से सिंचित यह उपन्यास रिश्तों की आत्मीयता को दर्शाता है। खास बात यह भी है कि इस रचना के कथा-क्रम में नायक की उपस्थिति गहरे रोमांचित करता है। ऐसा लगता है कि लेखक के पास रिश्तों के भावनात्मक चढ़ाव-उतार की समझ बूझ का एक समृद्ध अतीत है। शायद तभी नैसर्गिक प्रेम के रंगों को विरह-मिलन की कूची से कई प्रकार की प्रेम कहानियों की तस्वीरें पेश करने में इन्हें को असुविधा नहीें होती। अपने अनुभव, अनुभूतियों एवं कल्पनाओं की जीवंत रेखाओं से रचे कथानक में जो प्रतिविम्ब बनता है, वह बिल्कुल अपना-सा लगता है।<br />
<b style="color: #073763;"> - रामबहादुर कुमर (प्राचार्य) भागलपुर।</b><br />
<br />
‘एक थी गीता’ सत्य घटना पर आधारित समाज की सच्ची कहानी है, जहां कथा-नायक यदा-कदा कहानी में उपस्थित होकर अपने दार्शनिक विचारों को संप्रेषित करता है, किन्तु बार-बार वह आकर कहानी से बाहर हो जाता है, स्वयं टिक नहीं पाता है, जिससे यह पता चलता है कि वह पात्रों के बीच रहकर अपने दुःखों में शामिल होना तो चाहता है किन्तु असह्य पीड़ा को देख नहीं सकने के कारण अपने दार्शनिक पुट छोड़कर प्लाट से बाहर हो जाता है। <br />
‘एक थी गीता’ की कथा-वस्तु हमारे समाज की एक ऐसी अनकही कहानी है जो रोज-रोज घटती है हमारे सामने, किन्तु हम उन्हें अपनी जुबान पर लाने से हमेशा ही कतराते हैं।<br />
<b style="color: #351c75;"> - अशोक कुमार ‘आलोक’</b><br />
संपादक- 'अर्य संदेश', मोबाइल- 9709496944.<br />
<b><span style="color: #cc0000;">लेखक</span></b>- जवाहर किशोर प्रसाद<br />
संपर्कः माधुरी प्रकाशन, सिपाही टोला, चूनापुर रोड, पूणिया - 854301<br />
मोबाइल- 9905217237/9973264550.<br />
<br />
</div></div>अरविन्द श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/01248940700970757852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7535954866753113046.post-18528145362353641252011-11-30T20:27:00.001+05:302011-11-30T20:31:49.104+05:30अन्तःप्रेरणा की अभिव्यक्ति है कविता संग्रह ‘किसलय’<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgwhyphenhyphenq7x2Eoz0gYUdeN8ebfA8JFbFYz4mxvey_C0aO31OGY0lcykztjcewX3DcOrtKbXDHwX5de5pL7f9hRQ6_-Hqwg7k2mcXDydpzpPdK9_41_ZfxOVyoeMEYMDin1XB0ArZX7OJfsANM/s1600/ScannedImage-18.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="200" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgwhyphenhyphenq7x2Eoz0gYUdeN8ebfA8JFbFYz4mxvey_C0aO31OGY0lcykztjcewX3DcOrtKbXDHwX5de5pL7f9hRQ6_-Hqwg7k2mcXDydpzpPdK9_41_ZfxOVyoeMEYMDin1XB0ArZX7OJfsANM/s200/ScannedImage-18.jpg" width="123" /></a></div><div style="text-align: justify;"></div><div style="text-align: justify;"><span style="font-size: large;">सा</span>हित्य में अच्छी संभावनाओं का नाम है डा. सुवंश ठाकुर ‘अकेला’ है। पचास कविताओं का संग्रह ‘किसलय’ नाम को सार्थक करता है। यह महज संयोग नहीं कि वाणी-वन्दना से प्रारंभ जीवन के सत्य जो साहित्य का भी सत्य है श्मशान पर पड़ाव डालती है कविता। बीच के सफर में शिव भी है, सुन्दर भी है। <br />
कविताओं की भाषा सरल, भाव-गंभीर है।<br />
श्री अकेला के ‘दो शब्द’ ने मुझे अधिक प्रभाविता किया है कि ये अपनी हांकने वाले कवि नहीं हैं। निन्दा, स्तुति, पाठकों के विवेक पर छोड़कर ये केवल कविताएं लिखते हैं। ‘किसलय’ के बारे में किसलय की ही ये दो पंक्तियां <br />
उद्धृत कर मैं आश्वस्त हूँ कि इस छोटे-से शहर पूर्णिया का यह कवि नामवर होगा।<br />
<i> ‘किसलय की शोभा न्यारी है,<br />
हर मनुज मात्र को प्यारी है।’’</i><br />
उम्र में ‘अकेला’ से बड़ा हूँ। सो, यशस्वी होने का आशीर्वाद देता हूँ<br />
<b style="color: blue;"> - भोलानाथ आलोक, पूर्णिया</b><br />
<br />
<b>पुस्तक से कविता की बानगी-</b><br />
<i> सुकरात सरीखा जहर मिले <br />
शूली ईसा सा पा जायें<br />
हिरण्यकशिपु सा पिता मिले<br />
जाति मिले रैदास की <br />
घोर यातना मीरा जैसी<br />
हो जाऊँ कबीरा सा फक्कड़</i><br />
......<br />
.......<br />
<b style="color: magenta;">लेखक</b>- डा. सुवंश ठाकुर ‘अकेला’<br />
<b>संपर्कः</b> माधुरी प्रकाशन, सिपाही टोला, चूनापुर रोड, पूणिया - 854301<br />
मोबाइल- 9905217237 / 9973264550.</div></div>अरविन्द श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/01248940700970757852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7535954866753113046.post-21404118577346823042011-11-25T09:43:00.000+05:302011-11-25T09:43:08.071+05:30‘कोशी तीर के आलोक पुरूष’ एक खोजपूर्ण साहित्यक अवदान - सुधाकर<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiXt8YInZjv0qaCdW9fOxZEi9jBs7N4NsIWVARNsIwmd9A_8jz8K13G8QDDubpc6GSyk5ydm8qu0mB-Z-4dt5xFg4n7_jWCCUPBjcJj3ZY9QEIKCvbLSS-PeVO2o50PSbRvw9tJN8QsZgU/s1600/ScannedImage-2.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="200" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiXt8YInZjv0qaCdW9fOxZEi9jBs7N4NsIWVARNsIwmd9A_8jz8K13G8QDDubpc6GSyk5ydm8qu0mB-Z-4dt5xFg4n7_jWCCUPBjcJj3ZY9QEIKCvbLSS-PeVO2o50PSbRvw9tJN8QsZgU/s200/ScannedImage-2.jpg" width="128" /></a></div><div style="text-align: justify;"><br />
<span style="color: blue; font-size: large;">‘को</span>शी तीर के आलोक पुरूष’ कोशी के संवेदनशील, बहुचर्चित तथा स्थापित साहित्यकार, कई गवेष्णात्मक साहित्य के रचयिता एवं साहित्य के पुरोधा श्री हरिशंकर श्रीवास्तव ‘शलभ’ का सद्यः प्रकाशित ग्रन्थ है। इसके पूर्व ‘मधेपुरा के स्वाधीनता आन्दोलन का इतिहास, ‘शैवअवधारणा और सिंहेश्वर’, ‘मंत्रद्रष्टा ऋष्यशृंग’ तथा ‘कोशी अंचल की अनमोल धरोहर’ एवं ‘अंग लिपि का इतिहास’ जैसे खोजपूर्ण साहित्य अवदान, शलभजी साहित्य’जगत को दे चुके हैं। इन ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक ग्रन्थों के पश्चात ‘कोशी तीर के आलोक पुरूष ’ नामक यह अनमोल ग्रन्थ, शलभजी का समीक्षार्थ सामने है, जिसमें संत शिरोमणि परमहंस लक्ष्मीनाथ गोस्वामी, संत कवि जाॅन क्रिश्चन, पुलकित लाल दास ‘मधुर’, बलेन्द्र नारायण ठाकुर ‘विप्लव’, मो. कुदरतुल्लाह कालमी, कमलेश्वरी प्रसाद मंडल तथा कार्तिक प्र0 सिंह के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर गवेष्णात्मक एवं खोजपूर्ण प्रकाश डाला गया है। <br />
विद्वान लेखक ने अपने ‘दो शब्द’ में लिखा है कि ‘इसके अलावा भी इस क्षेत्र में ऐसे कई पुरूष-रत्न हुए हैं, जिन्हें अब तक प्रकाश में नहीं लाया जा सका है। कोशी अंचल के इतिहास एवं सांस्कृति के अनुसंधाता एवं रचनाकार के लिए यह अपराध बोध जैसा लगता है। मैंने तद्विषयक अपने पूर्व ग्रन्थ, ‘कोशी अंचल की अनमोल धरोहरें तथा प्रस्तुत ग्रन्थ ‘कोशी तीर के आलोक पुरूष’ में इससे उबरने का लघु प्रयास भर किया है। मेरा यह प्रयास कितना सफल है, सुधी पाठक ही निर्णय ले सकते हैं। इस परिपेक्ष्य में मेरा यह मानना है कि ‘कोशी तीर के आलोक पुरूष’ नामक यह ग्रन्थ ऐसे आलोक पुरूष को आलोकित तथा प्रोद्भाषित करने में सक्षम है, जिन्हें यह जमाना भुलाने की चेष्टा कर रहा है। <br />
आलोच्य ग्रन्थ बहुत ही ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक रत्नों को उजागर करने वाला है। तदर्थ , साहित्य-जगत् में ऐसे गवेष्णात्मक तथा ऐतिहासिक ग्रन्थ का अभिनन्दन होना चाहिए। <br />
पुस्तक की छपाई तथा बंधाई बहुत आकर्षक तथा नयनाभिराम है। <br />
<b style="color: blue;">लेखकः</b> श्री हरिशंकर श्रीवास्तव ‘शलभ’, अशेष मार्ग, लक्ष्मीपुर मुहल्ला, मधेपुरा (बिहार),पिन-852113<br />
<b style="color: blue;">प्रकाशक</b>- समीक्षा प्रकाशन, जे.के. मार्केट, छोटी कल्याणी, मुजफ्फरपुर (बिहार) मूल्य- 150/-रूपये<br />
<b style="color: magenta;">समीक्षकः</b> सुबोध कुमार ‘सुधाकर’ , सम्पादक, ‘क्षणदा’ (त्रैमासिक)<br />
प्रभा प्रकाशन, त्रिवेणीगंज (सुपौल) बिहार, पिन-852139<br />
</div></div>अरविन्द श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/01248940700970757852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7535954866753113046.post-8835600622576268672011-11-20T08:45:00.000+05:302011-11-20T08:45:26.357+05:30दिवंगत कवि चंचल को साहित्यकारों ने दी श्रद्धांजलि ।<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgzj7i9v2RkR0bDdDEn5oyVxj_rKvxEL_Yh1KoVIRRUSam2pru2ssLxFFlcQovoy7KGgDiSZyjwAvmQE8wsA5vu3yKPjvu_DaRJ0N26yrSuCSCtqiA1jKTZpG5mgKc4w0EMBTyvfZToYTs/s1600/DSC00454%25281%2529.JPG" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" height="150" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgzj7i9v2RkR0bDdDEn5oyVxj_rKvxEL_Yh1KoVIRRUSam2pru2ssLxFFlcQovoy7KGgDiSZyjwAvmQE8wsA5vu3yKPjvu_DaRJ0N26yrSuCSCtqiA1jKTZpG5mgKc4w0EMBTyvfZToYTs/s200/DSC00454%25281%2529.JPG" width="200" /></a></div><div style="text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjy8IVIi0d36IOI8rXN50qrMvy7m0KzZx_qrlQad_15s58lOqj5b81rfHvkKX5z0M_tO-_uTIH92_9Z19GwkKbs4zr4iKY7TMonuFGDBapHTLbnb5ZJrweivZgHGJIv7wSsXDV67qFDS0o/s1600/DSC00457%25281%2529.JPG" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"></a><b>सहरसा </b>/ 18.11.11<br />
कोसी अंचल के वयोवृद्ध कवि दिवंगत गणेश चंचल को श्रद्धांजलि अर्पित करने साहित्यकारों का एक दल डा. गोविन्द प्रसाद शर्मा के नेतृत्व में ग्राम सोहा (सोन बर्षा) आया एक भव्य समारोह में दिवंगत कवि को श्रद्धा सुमन अर्पित हुए समारोह के अध्यक्ष तथा सोहा ग्राम के साहित्यानुरागी एवं दिवंगत कवि के मित्र श्री गणेश प्रसाद सिंह ने दिवंगत कवि के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कवि चंचल जन्मजात कवि थे एवं मरने तक कविकर्म जुटे रहे। समारोह को संबोधित करते हुए मधेपुरा से आये वरिष्ठ साहित्यकार हरिशंकर श्रीवास्तव ‘शलभ’ ने कहा कि कवि चंचल की रचनाओं में गीत काव्य के वे सारे गुण थे जो उत्तर छायावाद के बाद हिन्दी कविताओं में पाये जाते हैं कवि चंचल एक सधे हुए नवगीत सहित कविता की अन्य विधाओं के सिद्धहस्त कवि थे। साहित्यकार शलभ ने उनकी काव्यकृति ‘पुष्करणी’ ‘गांधी गाथा’, ‘त्रिपर्णा’ आदि की कई कविताओं को संदर्भित करते हुए उनके काव्यगुण की चर्चा की। डा. गोविन्द प्रसाद शर्मा ने अपने साथ दिवंगत कवि के सानिध्य संबन्धी अनेक स्मरण प्रस्तुत किए। इस अवसर पर डा. अशोक कुमार वर्मा, महेन्द्र बंधु, चंद्रशेखर पौद्धार, श्रीकांत वर्मा ‘विभू’ अवधेश कुमार अवध, मुख्तार आलम, श्यामानंद लाल दास एवं मधेपुरा से आये कवि अरविन्द श्रीवास्तव ने अपनी कविताओं के द्वारा श्रद्धा सुमन अर्पित किए।<br />
</div></div>अरविन्द श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/01248940700970757852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7535954866753113046.post-14588099120922141842011-11-17T19:35:00.000+05:302011-11-17T19:35:02.835+05:30भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नई जान फूकने वाले युगद्रष्टा थे टैगोर<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="margin-left: auto; margin-right: auto; text-align: center;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjeT7pXzH_2rGSw1fAD6Bd3pehaPyBIpB3xwU2Gthk9sYBsVfIwGlcfcT-4dhoLF1PGnKIza90VFSUMRkSpTFsvO0noxyiBxCqpXjbJQq7Sc-WXDnxwFt2ESHJQ3H1MNRT20xXjUSflivA/s1600/DSCF0113.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjeT7pXzH_2rGSw1fAD6Bd3pehaPyBIpB3xwU2Gthk9sYBsVfIwGlcfcT-4dhoLF1PGnKIza90VFSUMRkSpTFsvO0noxyiBxCqpXjbJQq7Sc-WXDnxwFt2ESHJQ3H1MNRT20xXjUSflivA/s320/DSCF0113.jpg" width="320" /></a></td></tr>
<tr style="color: #351c75;"><td class="tr-caption" style="text-align: center;">विचार व्यक्त करते- डा. रामलखन सिंह यादव, अपर जिला सत्र न्यायाधीश, मधेपुरा</td></tr>
</tbody></table><div style="text-align: justify;"><span style="color: magenta; font-size: large;">वि</span>श्वकवि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने देश और विदेश के सारे साहित्य दर्शन संस्कृति आदि को आत्मसात कर अपने भीतर समेट लिए थे। साहित्य की शायद ही कोई ऐसी शाखा है जिसमें उनकी रचना न हो। ये उदगार <b>कौशिकी क्षेत्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन, मधेपुरा</b> के अम्बिका सभागार में गीतांजलि के दार्शनिक एवं मानवीय पक्ष को दर्शाते हुए मुख्य अतिथि के रूप में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश डा. रामलखन सिंह यादव ने व्यक्त किया। डा. यादव ने यह भी कहा कि विश्व के ऐसे एकमात्र कवि हैं जिसकी दो रचनाएं दो राष्ट्रों के राष्ट्रगान हैं । वह नोबेल पुरस्कार पाने वाले एशिया महादेश के प्रथम व्यक्ति थे । इसके पूर्व समारोह के अध्यक्ष हरिशंकर श्रीवास्तव ‘शलभ’ ने विषय प्रवेश करते हुए कहा कि टैगोर बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फूंकने वाले युगद्रष्टा थे। मनुष्य और ईश्वर के बीच जो चिरस्थायी संबन्ध है, वह अलग-अलग रूपों में रवीन्द्र की रचनाओं में उभर कर सामने आया है। उनकी गीतांजलि विश्व साहित्य की एक अनमोल धरोहर है तथा रवीन्द्र संगीत बंगला संगीत का अभिन्न अंग है। विशेष अतिथि के रूप में डा. देवाशीष बोस ने विस्तार से महाकवि के पारिवारिक परिवेश, व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला, सम्मेलन के सचिव डा. भूपेन्द्र नारायण यादव ‘मधेपुरी’ ने कहा कि इस महान शिक्षा शास्त्री ने वैदिक युग के नालंदा और विक्रमशिला के समान शांति निकेतन की स्थापना की । प्रकृति के अनन्य पुजारी कवींद्र रवीन्द्र ने गांधी जी को महात्मा का विशेषण दिया। इसके अतिरिक्त डा. विनय कुमार चैधरी, दशरथ प्रसाद सिंह , तुलसी पब्लिक स्कूल के निदेशक श्यामल कुमार आदि ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये। </div><div style="text-align: justify;"> कार्यक्रम का आरंभ श्रीमती मंजू घोष के रवीन्द्र संगीत से हुआ। कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में सुकवि परमेश्वरी प्रसाद मंडल ‘दिवाकर’ की स्मृति में आयोजित काव्य गोष्ठी का संचालन दशरथ प्रसाद सिंह ‘कुलिश’ ने किया डा. राम लखन सिंह यादव, डा. भूपेन्द्र मधेपुरी, डा. आलोक कुमार, डा. विनय कुमार चैधरी, संतोष सिन्हा, उल्लास मुखर्जी, श्यामल कुमार, मयंक जी, मशाल जी, प्रो. शचीन्द्र आदि कवियों ने भाग लिया। डा. आलोक कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया। </div></div>अरविन्द श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/01248940700970757852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7535954866753113046.post-69300756782593391952011-11-05T19:24:00.000+05:302011-11-05T19:24:09.420+05:30कोसी अंचल के वयोवृद्ध कवि गणेश चंचल नहीं रहे !<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi8oE2ZcZVIH8G0xlVHEtPsjn0lj954-79kVLunsTUONNFL6hvksUFRCwyKlpA3GTaVC3ksxogQEzwVwhL8e9SaaDmifrntV6i7t7cB0CFA9WoukgHAJtk6eEnkrHjs_cu1GqZPHCthyeE/s1600/ScannedImage.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi8oE2ZcZVIH8G0xlVHEtPsjn0lj954-79kVLunsTUONNFL6hvksUFRCwyKlpA3GTaVC3ksxogQEzwVwhL8e9SaaDmifrntV6i7t7cB0CFA9WoukgHAJtk6eEnkrHjs_cu1GqZPHCthyeE/s1600/ScannedImage.jpg" /></a></div><div style="text-align: justify;"><br />
<b>दिनांकः 5 नवम्बर, 2011</b><br />
<span style="font-size: large;"><span style="color: blue;">को</span></span>सी अंचल के गीतकारों में गणेश चंचल का विशिष्ट स्थान रहा है। वे गहन अनुभूति के कवि थे। इनका जन्म: 1930, ग्राम- सोहा, जिला - सहरसा में हुआ था। उन्होंने पन्द्रह वर्ष की उम्र से ही काव्य लेखन किया और दीर्घकाल तक लिखते रहे, बच्चों के लिए भी साहित्य रचा एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में सक्रिय रहे। इनकी प्रकाशित कृतियों में - स्वतंत्रता का शंखनाद (गीत संग्रह, 1945) गांधी गाथा (पद्यमय जीवनी, 1948, पुनर्मुद्रणः 2008), त्रिवेणी तरंग (कविता संग्रह, 2004), स्रोतस्विनी (कविता संग्रह, 2006), त्रिपर्णा (2010) इस चर्चित कवि-गीतकार के निधन (5 नवम्बर, 2011) से कोसी क्षेत्र के साहित्य को अपूरणीय क्षति हुई है। इनकी कविता को स्मरण करते हुए इन्हें श्रद्धा निवेदित है - <br />
<i style="color: blue;">लग रहा है आ रहा हूँ, शीघ्र तेरे पास,<br />
पूर्ण होने जा रहा है, चिर प्रतीक्षित आस,<br />
मिल रहा हर पल कि तेरा सूक्ष्मतम संकेत,<br />
जग रहा है विकल मन में, एक मृदु उल्लास।</i><br />
<b><span style="color: #660000;"> - गणेश चंचल </span></b><br />
</div></div>अरविन्द श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/01248940700970757852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7535954866753113046.post-17093327903030235962011-10-20T12:15:00.001+05:302011-10-20T12:22:12.536+05:30मधेपुरा में उल्लास से मनाया गया भारत रत्न डा. कलाम का 80वाँ जन्मदिन<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhjuc4OXKpGDfsfjsqIvgbrgPBsn-ROgdqJcwAIpi7pROrLGEwDeBmDf9WDYtOh87IlK5Y5-4Cw_sden5RqNXvifJc8Z0eR2AAqAnwDYoYFfEKiFDBe25UFZN0bvdicnse0pwvY0W4jMmQ/s1600/1.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="242" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhjuc4OXKpGDfsfjsqIvgbrgPBsn-ROgdqJcwAIpi7pROrLGEwDeBmDf9WDYtOh87IlK5Y5-4Cw_sden5RqNXvifJc8Z0eR2AAqAnwDYoYFfEKiFDBe25UFZN0bvdicnse0pwvY0W4jMmQ/s400/1.jpg" width="400" /></a></div><div style="text-align: justify;"><br />
<b style="color: blue;">मधेपुरा</b>- <br />
शून्य से शिखर तक और रामेश्वरम् से राष्ट्रपति भवन तक पहुँचने वाले ‘गांधियन मिसाइल मैन’ भारत रत्न डा. ए पी जे अब्दुल कलाम का 80 वाँ जन्मदिवश, मधेपुरा के वृंदावन परिसर में, समाजसेवी-साहित्यकार डा. भूपेन्द्र मधेपुरी द्वारा बच्चों के बीच मिठाईयाँ बाँट मनाया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि - डा. कलाम भारतीय बच्चों की बेहतरी के लिए प्रतिदिन प्रेरणा स्त्रोत का काम करते रहेंगे। डा. कलाम ने मिसाइल मैन के रूप में देश की जो निःस्वार्थ सेवा की है वह एक अनुपम उदाहरण है। डा. मधेपुरी ने कहा कि केयर फाण्डेशन के चेयरमैन डा. अरुण कुमार तिवारी लिखित डा. कलाम की जीवनवृत ‘अग्नि की उड़ान’ भारतीय बच्चों के लिए पठनीय एवं संग्रहणीय है। इस अवसर पर इप्टा के सुभाष चन्द्र एवं अवकाशप्राप्त शिक्षक रामजी रजक ने कहा कि कलाम साहब को जानने के लिए डा. मधेपुरी लिखित ‘छोटा लक्ष्य बड़ा अपराध’ तथा ‘स्वप्न, स्वप्न और स्वप्न’ की पंक्तियों के बीच से हर किसी को एकबार अवश्य गुजरना चाहिए जिसका प्रत्येक पृष्ठ कल के भारत का आईना और प्रत्येक पंक्ति नई सुबह का श्लोक।<br />
इस अवसर पर तुलसी पब्लिक स्कूल के निदेशक - श्यामल कुमार, डा. रश्मि भारती, तथ रेणु चौधरी ने डा. कलाम के जीवन पर विशेष रूप से प्रकाश डाला और उपस्थित बच्चों में सोनम कुमारी, रिया कुमारी, रीतिका कुमारी, मनीषा, योगिता, सुकृति, अमर और हिमांशु आदि ने अपने प्रिय चाचा डा. कलाम के दीर्धायु जीवन के लिए कामना की। </div></div>अरविन्द श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/01248940700970757852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7535954866753113046.post-8427819897427392132011-10-16T13:58:00.001+05:302011-10-16T23:31:01.032+05:30कोसी तीर के आलोक पुरुषों का बेशकीमती स्तवक - कोसी तीर के आलोक पुरुष !<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh4tLh7yMZxwPGAr_RpV0AxsdS9lscd3A0ZjK46HS56Vgc72dEzfCO4Cbg-bFpdb5W28V4CfnfjnYLpAPoOxMwJkZF6DhyfpdTtUBFt5vEx1pUaiHrXV3bqNlTxrOJCKGVVRxhHd9ApU_Q/s1600/ScannedImage-2.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="200" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh4tLh7yMZxwPGAr_RpV0AxsdS9lscd3A0ZjK46HS56Vgc72dEzfCO4Cbg-bFpdb5W28V4CfnfjnYLpAPoOxMwJkZF6DhyfpdTtUBFt5vEx1pUaiHrXV3bqNlTxrOJCKGVVRxhHd9ApU_Q/s200/ScannedImage-2.jpg" width="127" /></a></div><div style="text-align: justify;"><br />
<span style="color: magenta; font-size: large;">को</span>सी क्षेत्र में ऐसे अनेक महापुरुषों ने जन्म लिया, जिन्होंने राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी गरिमामयी पहचान बनायी। इसमें स्वनामधन्य रासबिहारी लाल मंडल, शिवनन्दन प्रसाद मंडल, भूपेन्द्र नारायण मंडल, विन्ध्येश्वरी प्रसाद मंडल आदि के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर अनेक शोधात्मक कार्य हुए हैं। प्रत्येक वर्ष उनकी जयन्तियाँ भी ससमारोह मनायी जाती है। इनके अलावे भी इस क्षेत्र में ऐसे कई पुरुष-रत्न हुए हैं- जिन्हें अबतक प्रकाश में नहीं लाया जा सका है। कोसी क्षेत्र के अनुसंधाता एवं रचनाकार के लिए इस ग्रन्थ में संत शिरोमणि परमहंस लक्ष्मीनाथ गोस्वामी, कोसी तीर के विदेशी मूल के कवि संत जान क्रिश्चन, कोसी तीर के महान सांस्कृतिक पुरोधा पुलकित लाल दास ‘मधुर’, कोसी तीर के ‘दिनकर’ बलेन्द्र नारायण ठाकुर ‘विप्लव’, कोसी तीर के खुदाई खिदमतगार मोहम्मद कुदरतुल्लाह काजमी, कोसी तीर के ‘गांधी’ कमलेश्वरी प्रसाद मंडल और कोसी तीर के ‘जयप्रकाश’ कार्त्तिक प्रसाद सिंह जैसे आलोक -पुरुषों के योगदान का गवेष्णात्मक अध्याय के साथ समग्र मूल्यांकन किया गया है। लेखक श्री हरिशंकर श्रीवास्तव ‘शलभ’ का मानना है कि इन महान विभूतियों की असीम आलोक-गाथा से युगों तक यह क्षेत्र प्रभासमान होता रहेगा। <br />
यह पुस्तक कोसी क्षेत्र से जुड़े सभी शोधार्थी, रचनाकर्मी एवं सचेतन नागरिकों के लिए पठनीय एवं संग्रहनीय है।<br />
पुस्तकः<b style="color: blue;"> कोसी तीर के आलोक पुरुष</b> / मूल्य- 150/ =<br />
प्रकाशक- समीक्षा प्रकाशन, दिल्ली- 92.<br />
प्राप्ति स्थान- कला कुटीर, अशेष मार्ग, <b>मधेपुरा</b>- 852113. (बिहार)<br />
मोबाइल संपर्क - 9431080862. 9472495048. </div></div>अरविन्द श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/01248940700970757852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7535954866753113046.post-88395087305166261942011-10-07T19:21:00.001+05:302011-10-07T20:57:48.988+05:30मनचलों ने मचाया उत्पात, कई जगह हुई मारपीट / नम आंखों से दी गई मां दुर्गा को विदाई<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjiuEAo9On3nXWyqa9XQFh4EgkcdiDPevqv2JpPQujx1qTg9bq12wdjVDz0zd_a4EmvYVvO2FHyyz3AMionKt7Gu4nCRMA_93XjQqiWrVmxXXOdeV5JGj55OMzl5MfagPNBmoqo6yY4a-M/s1600/durgaa+maata.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjiuEAo9On3nXWyqa9XQFh4EgkcdiDPevqv2JpPQujx1qTg9bq12wdjVDz0zd_a4EmvYVvO2FHyyz3AMionKt7Gu4nCRMA_93XjQqiWrVmxXXOdeV5JGj55OMzl5MfagPNBmoqo6yY4a-M/s1600/durgaa+maata.jpg" /></a></div><div style="text-align: justify;">सहरसा, दुर्गापूजा को लेकर प्रशासन की तमाम व्यवस्था को ठेंगा दिखाते हुए मनचलों ने जमकर उत्पात मचाया। वहीं कई जगहों पर मारपीट होने की भी सूचना है। विजया दशमी की शाम से लेकर देर रात तक पूजा-पंडालों के ईद-गिर्द मनचलों ने महिलाओं, लड़कियों के साथ छेड़खानी का प्रयास किया। यही नहीं कुछ लड़कियों के जींस को भी ब्लेड से काट डाला। लोक लज्जा के कारण पुलिस तक इसकी शिकायत भी नहीं पहुंच पाई। वहीं वीर कुंवर सिंह चौक, बंगाली बाजार, पूरब बाजार सहित कई स्थानों पर नशे में घुत्त युवावर्ग आपस में ही टकराते रहे। बंगाली बाजार में एक होटल में शराब पीकर कुछ युवाओं ने जमकर बवाल किया।</div><div style="text-align: justify;"><b style="color: #990000;">नम आंखों से दी गई मां दुर्गा को विदाई</b></div><div style="text-align: justify;">जिले में दुर्गापूजा गुरुवार को हर्षोल्लास के बीच संपन्न हुआ। पूजा पंडालों में स्थापित की गई मां दुर्गा की प्रतिमा को लोगों ने नम आंखों से विदाई दी। हालांकि कई पूजा पंडालों में अभी भी मां की प्रतिमा विराजमान है। इन पूजा पंडालों में श्रद्धालुओं के आने-जाने का सिलसिला जारी है। बुराई पर अच्छाई के जीत का पर्व विजया दशमी पर श्रद्धालुओं ने लगातार नौ दिनों तक माता की पूजा-अर्चना कर सुख, शांति एवं समृद्धि की कामना की इस मौके मंगलवार से गुरुवार तक विभिन्न जगहों पर मेला एवं संगीत संध्या का भी आयोजन किया गया था। विजया दशमी के मौके पर पूर्वाचल दुर्गा मंदिर के सौजन्य से सहरसा कॉलेज में रावण वध किया गया। दशमी के दिन गुरुवार पड़ जाने के कारण प्रतिमा विसर्जित नहीं की गई। शुक्रवार को अहले सुबह से ही पुलिस की कड़ी चौकसी के बीच गाजे-बाजे के साथ प्रतिमा को विभिन्न तालाबों में विसर्जित कर दिया गया।</div><div style="text-align: justify;"><b style="color: #990000;">शक्तिपीठ में गायत्री महामंत्र के साथ संपन्न हुआ अनुष्ठान</b></div><div style="text-align: justify;"> गायत्री शक्तिपीठ में विगत नौ दिनों से चली आ रही नवरात्रा का अनुष्ठान यज्ञ-हवन के साथ संपन्न हुआ। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए शक्तिपीठ में 20 अतिरिक्त हवनकुंड स्थापित किए गए थे। (दैनिक जागरण)</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div></div>अरविन्द श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/01248940700970757852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7535954866753113046.post-38333681715225533662011-09-28T20:28:00.000+05:302011-09-28T20:28:15.841+05:30गांवों में घुसा कोसी का पानी, रेल परिचालन ठप होने का खतरा<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEja4-3C9GqGnzQy4LGvQwUh9uCrtAusqRSnQb6PymiZ5a7BlS8g0Q8J5Cg9f2BRTaojtiZ1_yFvbSLbyRYmwb8pK9sNehcPk6OEWBcLkeXB-wD_XqsXC1e4WdewtpcG3gO8TfRiMcyJ9pc/s1600/kosi.jpeg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEja4-3C9GqGnzQy4LGvQwUh9uCrtAusqRSnQb6PymiZ5a7BlS8g0Q8J5Cg9f2BRTaojtiZ1_yFvbSLbyRYmwb8pK9sNehcPk6OEWBcLkeXB-wD_XqsXC1e4WdewtpcG3gO8TfRiMcyJ9pc/s1600/kosi.jpeg" /></a></div><div style="text-align: justify;"><br />
<span style="color: blue; font-size: large;">को</span>सी अंचल में एक बार फिर से तांडवी कोसी उग्र हो उठी है। जहां दो दर्जन से अधिक गांवों में पानी फैल गया है वहीं सहरसा-मानसी के बीच रेल पटरी पर पानी का दबाव से रेल परिचालन पर भी खतरा मंडराने लगा है। दबाव स्थल पर बोल्डर क्रेटिंग का कार्य जारी है। फिलहाल, पूर्व मध्य रेलवे के सहरसा-मानसी रेलखंड के फनगो हाल्ट के समीप रेल लाइन पर पानी का दबाव बना हुआ है। दबाव को राकने के लिए बोल्डर क्रेटिंग का कार्य चल रहा है। वैसे पानी का दबाव बढऩे के बाद उक्त रेलखंड के बीच ट्रेनों का परिचालन प्रभावित होने लगी है। फिलहाल कोसी क्षेत्र का सड़क मार्ग से राजधानी पटना का सीधा संपर्क बी.पी मंडल सेतु (डुमरी पुल) क्षतिग्रस्त हो जाने से अवरुद्ध है..रेल परिचालन बंद होने के खतरे से कोसी क्षेत्र के लोग कंपित हैं.</div></div>अरविन्द श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/01248940700970757852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7535954866753113046.post-31827655935267894052011-09-26T21:32:00.000+05:302011-09-26T21:32:01.258+05:30पूर्व विधायक समेत आधा दर्जन नेता जद यू में शामिल<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhM4LbAkIEQvCRhUTmOEDiamTOpsOU5SpYT90AKHu9adfKVJjIgMSkkZMulFvKfZXPKP8GYHgNDnkwzD1ij5h4hyReRerGg_wAjunqm8_dhj-ejJYms027nT4RQ66_8cICdqQ4oCgfgSKw/s1600/%25E0%25A4%25B6%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A6+%25E0%25A4%25AF%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A6%25E0%25A4%25B5+%25E0%25A5%25A8.jpeg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhM4LbAkIEQvCRhUTmOEDiamTOpsOU5SpYT90AKHu9adfKVJjIgMSkkZMulFvKfZXPKP8GYHgNDnkwzD1ij5h4hyReRerGg_wAjunqm8_dhj-ejJYms027nT4RQ66_8cICdqQ4oCgfgSKw/s1600/%25E0%25A4%25B6%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A6+%25E0%25A4%25AF%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A6%25E0%25A4%25B5+%25E0%25A5%25A8.jpeg" /></a></div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;"> </div><div class="content" style="text-align: justify;"><div style="text-align: justify;"> </div><div class="field field-type-filefield field-field-image1" style="text-align: justify;"> <div class="field-items"> <div class="field-item" style="float: right; margin-left: 5px; width: 255px;"> </div><span style="color: magenta; font-size: large;">म</span>धेपुरा : सत्ता रूपी छतरी के नीचे अन्य दलों से जुड़े नेताओं का भी जमघट होने लगा है. शुक्रवार एवं शनिवार को राजद सहित अन्य दलों से जुड़े आधा दर्जन नेताओं ने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव के समक्ष जदयू की सदस्यता ग्रहण की.<br />
राजद के पूर्व विधायक एवं रेलवे यात्री सेवा समिति के अध्यक्ष परमेश्वरी प्रसाद निराला, राजद नेता प्रदीप यादव, जिला परिषद की वर्तमान अध्यक्षा मिलन देवी, उनके पति राजद प्रत्याशी रहे शियाराम यादव, कुमारखंड के उप प्रमुख पार्वती देवी, विसनपुर बाजार के मुखिया अनमोल यादव आदि ने जद यू की सदस्यता ग्रहण की. इसी तरह पूर्व सांसद पप्पू यादव समर्थक मानिकपुर पंचायत के मुखिया भवेश यादव ने सैकड़ों समर्थकों के साथ शरद यादव के समक्ष जदयू की सदस्यता ग्रहण की. शरद यादव ने फ़ूल की माला पहनाकर नेताओं का स्वागत किया.- प्रभात खबर<br />
</div></div></div></div>अरविन्द श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/01248940700970757852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7535954866753113046.post-48506679873971651132011-09-24T17:06:00.000+05:302011-09-24T17:06:41.434+05:30सांसद शरद यादव ने ली डा. मधेपुरी की खैरियत, दी शभकामनाएं।<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh4RXebeP_ECbHZeLgYRLRYokc1kCsOXRhmCotd1PDJ73MiAaZhQZkQLNqfvCcQ1XtKFYMXPH02qIq8brhdwy1-URkDo1xsNKm-4s2aeZTwjVmuUn_j7k9NTl6DcPmFkTS3b8DZ_qWLu1o/s1600/shard+yadav.jpeg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" height="150" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh4RXebeP_ECbHZeLgYRLRYokc1kCsOXRhmCotd1PDJ73MiAaZhQZkQLNqfvCcQ1XtKFYMXPH02qIq8brhdwy1-URkDo1xsNKm-4s2aeZTwjVmuUn_j7k9NTl6DcPmFkTS3b8DZ_qWLu1o/s200/shard+yadav.jpeg" width="200" /></a></div><div style="text-align: justify;"><span style="color: magenta; font-size: large;">म</span>धेपुरा के सांसद एवं जदयू अध्यक्ष श्री शरद यादव ने अपने विगत चुनाव में पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता डा. भूपेन्द्र नारायण यादव ‘मधेपुरी’ के आवास पर पहुंच कर उनकी तबियत की जानकारी ली और डा. मधेपुरी के लिए स्वास्थ्य कामना की। स्मरणीय है कि डा. मधेपुरी श्री शरद यादव के चुनाव प्रभारी रहे थे तथा उन्होंने अपने हृदय का दो बार बाई पास सर्जरी भी कराया है। श्री शरद यादव अपने संसदीय क्षेत्र भ्रमण के दौरान उनके आवास ‘वृंदावन’ में पहुँचकर उन्हें अपनी शुभकामनाएं दी। उनके साथ बिहार सरकार के विधि एवं योजनामंत्री श्री नरेन्द्र नारायण यादव, विधान पार्षद श्री विजय कुमार वर्मा एवं विधायक श्री रमेश ऋषिदेव सहित पार्टी कार्यकर्ताओं का लंबा काफिला था। </div></div>अरविन्द श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/01248940700970757852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7535954866753113046.post-75130464741350349732011-09-16T11:01:00.002+05:302011-09-16T11:10:42.567+05:30हौसले से उड़ान... कोसी इलाके से एक और साहित्यिक आगाज़ - ’अर्य सन्देश’ का नया अंक<div style="text-align: justify;"><a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiuUl6WcYYOwxRQRGuXQOlGnyB3ICQ1wotyMD2KXiEC0EI4NOWdECzyzMxNPXM-wudxAMv7iaNtdbQByvIoIcYl5nhAhjzS2ug5-qw19pxDlsdgVJNAmFjgNhCA6Bu2axn4u1i_vrDneQI/s1600/ScannedImage-3.jpg"><img style="float: left; margin: 0pt 10px 10px 0pt; cursor: pointer; width: 132px; height: 167px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiuUl6WcYYOwxRQRGuXQOlGnyB3ICQ1wotyMD2KXiEC0EI4NOWdECzyzMxNPXM-wudxAMv7iaNtdbQByvIoIcYl5nhAhjzS2ug5-qw19pxDlsdgVJNAmFjgNhCA6Bu2axn4u1i_vrDneQI/s200/ScannedImage-3.jpg" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5652826005854173490" border="0" /></a><br /><br /><span style="font-weight: bold;">इ</span>स अंक में- जयश्री राय, कुमार विश्वबंधु, ज्योति किरण, रंजना जायसवाल, आशा प्रभात,डा. अमरदीप, देवांशु पाल, राकेश कु. सिंह, साथ ही <span style="font-weight: bold;">’</span><span style="font-weight: bold;">उपन्यास</span><span style="font-weight: bold;"> </span><span style="font-weight: bold;">और</span><span style="font-weight: bold;"> </span><span style="font-weight: bold;">हमारा</span><span style="font-weight: bold;"> </span><span style="font-weight: bold;">समय</span><span style="font-weight: bold;">’</span> पर डा. संजीव कुमार, पंकज विष्ट, आशुतोष कुमार एवं अशोक <span>वाजपेयी</span> ... . बनफूल और जिंदर की कहानियां भी ...<br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(0, 0, 153);">’अर्य सन्देश’</span> संपादक- अशोक कुमार ’आलोक’, सम्पर्क:-आश्रयिणी, मिशन रोड, पूर्णिया- 854301. बिहार.पृ.- 150, राशि- 30/- मोबाइल- 09709496944.<br /></div>अरविन्द श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/01248940700970757852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7535954866753113046.post-8822558282359085442011-09-07T14:00:00.003+05:302011-09-08T19:12:56.101+05:30महामहिम राष्ट्रपति ने किया सम्मानित मधेपुरा की बेटी अर्चना को ।<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: justify;"><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi3mrinE1TkFgxo985N8p2vO4wShF17A8j4QAjSObhVQtAdcM_3N14ObYFgXWA9tDmFe3vzkw1SuxtP3sZjnGdW5-Y-LW9nCNBDB8yFg6shTta9by4ikhI1nVQEhIHPu4pY6b3unifj01o/s1600/archana.png" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi3mrinE1TkFgxo985N8p2vO4wShF17A8j4QAjSObhVQtAdcM_3N14ObYFgXWA9tDmFe3vzkw1SuxtP3sZjnGdW5-Y-LW9nCNBDB8yFg6shTta9by4ikhI1nVQEhIHPu4pY6b3unifj01o/s320/archana.png" width="320" /></a></div><br />
<b style="color: blue;">5</b> सितम्बर, शिक्षक दिवस पर नई दिल्ली के विज्ञान भवन में महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के कर कमलों द्वारा मधेपुरा, जयप्रकाश नगर, की बेटी श्रीमती अर्चना, सहायक शिक्षका, मध्यविधालय उफरैल, पूर्णिया को 2010 के रष्ट्रीय शिक्षक सम्मान से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर भारत के मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल एवं राज्यमंत्री सहित कई हस्तियां उपस्थित थे। सम्मान स्वरूप प्रशस्ति पत्र, रजत पदक के अलावे 25 हजार रु. का ड्राफ्ट भी दिया गया।<br />
श्रीमती अर्चना के पिता श्री रामजी रजक एवं माता श्रीमती शकुंतला देवी भी मधेपुरा के अवकाश प्राप्त शिक्षक हैं। अर्चना भी सर्वप्रथम जगजीवन आश्रम मध्य विधालय मधेपुरा से शिक्षण कार्य आरंभ की थी। अर्चना के पति श्री इंद्रदेव रजक पूर्णिया आकाशवाणी में वरीय उद्घोषक के पद पर पदस्थापित हैं। ज्ञातव्य हो कि श्रीमती अर्चना को विगत वर्ष राज्य शिक्षा पुरस्कार के रूप में माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 15 हजार चेक व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया था। इसके अतिरिक्त पूर्णिया जिले के शिक्षा विभाग एवं प्रशासन द्वारा भिन्न-भिन्न अवसरों पर भी अर्चना पुरस्कृत होती रही है। </div></div>अरविन्द श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/01248940700970757852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7535954866753113046.post-20775431083647778422011-08-31T14:13:00.000+05:302011-08-31T14:13:20.931+05:30बी.पी. मंडल राजकीय जयन्ती समारोह 2011 पर जारी स्मारिका ।<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhPWZHL3umqxl-xDRTozJJCo2QQthLhrOd-jNN_gphW6eF5tDxOvTtM39ErNiQ9KE-p3u14rfj_cF3DC8u65GdR_svB2lN0U55GcTqtAPDSqZDfUb4xNuPvRwpN5tiw_n6unRyIt9S_Ats/s1600/ScannedImage-10.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="200" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhPWZHL3umqxl-xDRTozJJCo2QQthLhrOd-jNN_gphW6eF5tDxOvTtM39ErNiQ9KE-p3u14rfj_cF3DC8u65GdR_svB2lN0U55GcTqtAPDSqZDfUb4xNuPvRwpN5tiw_n6unRyIt9S_Ats/s200/ScannedImage-10.jpg" width="151" /></a></div><div style="text-align: justify;"><b style="color: blue;">सा</b>माजिक क्रांति के अग्रदूत एवं मंडल आयोग के प्रणेता विन्ध्येश्वरी प्रसाद मंडल के जन्म दिवस ( 25 अगस्त ) को बिहार सरकार द्वारा राजकीय समारोह के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर मधेपुरा में जारी स्मारिका के ताजे अंक में मंडल जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का मूल्यांकन किया गया है। डा. सुरेश कुमार ‘भूषण’ का आलेख- विराट व्यक्तित्व के स्वामीःबी.पी. मंडल, डा. आलोक कुमार का पिछड़ा वर्गः विकास , मुद्दे और समस्याएं, शचीन्द्र का मंडल जी की चाह, डा. रामचन्द्र प्रसाद यादव का आरक्षण के विरोध का ‘आरक्षण’ और डा. अरुण कुमार मंडल का तू है बेमिसाल जैसे महत्वपूर्ण आलेखों से युक्त इस स्मारिका में डा. भूपेन्द्र ना.यादव ‘मधेपुरी’ का आलेख ‘बी.पी. मंडल: निडर, निर्भीक एवं निर्भय व्यक्तित्व के स्वामी में मंडल जी के व्यक्तित्व का समग्र एवं कृतित्व का क्रमवद्ध मूल्यांकन है - सांसारिक सच है कि - जो डरा सो मरा। बी.पी. मंडल कभी नहीं मरेंगे, इसलिए कि वे कभी नहीं डरे। <span style="font-size: x-small;">(डा. मधेपुरी) </span><br />
<b style="color: blue;">मंडल कमीशन के प्रणेता एवं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री बी.पी मंडल जी का राजनीतिक सफर</b><span style="color: blue;">-</span><br />
सदस्य बिहार विधानसभा - 1952 - 1957, 1962 - 1967, 1972 - 1975.<br />
सदस्य बिहार विधान परिषद् -1968.<br />
सदस्य लोकसभा - 1967-1968<br />
मंत्री, बिहार: 1967-1968<br />
मुख्यमंत्री, बिहार:01.02.1968-18.03.1968.<br />
सदस्य लोकसभा - 1977-1980.<br />
अध्यक्षः द्वितीय पिछड़ा वर्ग आयोग: 01.01.1979 - 31.12.1980<br />
उपाध्यक्षः बिहार राज्य नागरिक परिषद् 1980-1982 (मृत्यु पर्यन्त)<br />
<span style="color: #990000;">बी.पी. मंडल राजकीय जयन्ती समारोह स्मारिका-2011.</span><br />
<b style="color: blue;">संपादकः</b> श्यामल किशोर यादव, डा. भूपेन्द्र ना. यादव ‘मधेपुरी’, डा. शांति यादव (मधेपुरा, बिहार)<br />
संपर्क: मोबाइल- 9431091815. 9431254655. 9473191355.<br />
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</div></div>अरविन्द श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/01248940700970757852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7535954866753113046.post-56075694355916545082011-08-14T14:22:00.001+05:302011-08-14T14:24:51.135+05:30भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन में कोसी अंचल के नौ शहीद !! कलम, आज उनकी जय बोल !<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEirnGEvLBXOtUWBlpH_U50V7V899hExT3ViqhpELFWifNW0Sp31ZsM1UFfWmwgrfxgFV_HbxjkTQeK8JtxU1zW-0GM-jZShNCDZkBIW-1__i1qf4XUq010X1WZWoXeYZpLKvOC5jSv-qHE/s1600/%25E0%25A5%25A7%25E0%25A5%25AB+%25E0%25A4%2585%25E0%25A4%2597%25E0%25A4%25B8%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25A4+%25E0%25A5%25A8.jpeg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="143" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEirnGEvLBXOtUWBlpH_U50V7V899hExT3ViqhpELFWifNW0Sp31ZsM1UFfWmwgrfxgFV_HbxjkTQeK8JtxU1zW-0GM-jZShNCDZkBIW-1__i1qf4XUq010X1WZWoXeYZpLKvOC5jSv-qHE/s200/%25E0%25A5%25A7%25E0%25A5%25AB+%25E0%25A4%2585%25E0%25A4%2597%25E0%25A4%25B8%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25A4+%25E0%25A5%25A8.jpeg" width="200" /></a></div><div style="text-align: justify;"><b><span style="color: red;">भा</span></b>रतीय स्वाधीनता आन्दोलन में ब्रिटश सरकार द्वारा किये गये दमन के फ़लस्वरुप सम्पूर्ण बिहार में 134 व्यक्ति शहीद हो गये – जिनमें नौ शहीद कोसी अंचल के थे –<br />
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1 शहीद बच्चा मंडल – पिता – जागो मंडल, डपरखा, जिला – सुपौल<br />
2 शहीद चुल्हाई यादव, पिता – फ़ूलचन्द यादव, मनहरा सुखासन, जिला – मधेपुरा<br />
3 शहीद धीरो राय, पिता – गुदड़ राय, एकाड़, जिला – सहरसा<br />
4 शहीद बाजा साह, पिता – बहारी साह, किसुनगंज, जिला – मधेपुरा<br />
5 शहीद पुलकित कामत, पिता – ठीठर कामत, बनगांव, जिला – सहरसा<br />
6 शहीद हरिकान्त झा, पिता – जनार्दन झा, बनगांव, जिला- सहरसा<br />
7 शहीद कालेश्वर मंडल, पिता– रामी मंडल, गढिया बलहा (सहरसा )<br />
8 शहीद भोला ठाकुर, पिता – बबुआ ठाकुर, चेनपुर (सहरसा )<br />
9 शहीद केदारनाथ तिवारी, पिता –विश्वनाथ तेवारी, नरियार (सहरसा )<br />
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<span style="color: blue;">- कलम,<span style="color: blue;"> आज उनकी जय बोल !</span></span></div></div>अरविन्द श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/01248940700970757852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7535954866753113046.post-67904939805908741892011-07-29T11:38:00.000+05:302011-07-29T11:38:02.075+05:30कोसी पर केन्द्रित महत्पूर्ण पुस्तक- अंग प्रदेश की महानदी कोशी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj_0GALj75LNPBqk498C5fF0m1mU6P6B5ONkUAPThKPw4UlZ6GN8WeVqioecyJG0ryglit1KXjYop4LtkEO-V00unG4cYFhw4rH9gDHNgM6W9ZIeH4iLBg6nVVEPaN6lUJspfV9dPq0jTo/s1600/ScannedImage-3.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="200" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj_0GALj75LNPBqk498C5fF0m1mU6P6B5ONkUAPThKPw4UlZ6GN8WeVqioecyJG0ryglit1KXjYop4LtkEO-V00unG4cYFhw4rH9gDHNgM6W9ZIeH4iLBg6nVVEPaN6lUJspfV9dPq0jTo/s200/ScannedImage-3.jpg" width="128" /></a></div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;"><b style="color: #cc0000;">को</b>सी लोककथाओं की माँ है, इनमें कई लोककथाएँ तो सीधे कोसी से जन्म और इनके उन्मत्त रूप से जुड़ी हुई है। कोसी अपने उत्स से चाहे जिस पर्वतीय प्रदेश से जुड़ी हुई हो, लेकिन कोसी, अगर कोसी के रूप में सही-सही कहीं जानी जाती है, तो अंगुत्तराप यानी उत्तर अंग में प्रवेश से ही। और उत्तर अंग में प्रवेश के साथ ही कोसी लोककथाओं से जुड़ जाती है....<i>.पुस्तक से</i>।<br />
<b>पुस्तकः</b> अंग प्रदेश की महानदी कोशी / मूल्य - 150/00<br />
<b>लेखकः</b> चन्द्रप्रकाश जगप्रिय<br />
<b>प्रकाशकः</b> निराली दुनिया पब्लिकेशन्स<br />
नई दिल्ली-2., फोन- 011 23276094, मो.- 09811270387.<br />
</div></div>अरविन्द श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/01248940700970757852noreply@blogger.com