gratis homepage uhr website clocks
कोसी प्रमंडल (बिहार) से प्रकाशित इस प्रथम दैनिक ई. अखबार में आपका स्वागत है,भारत एवं विश्व भर में फैले यहाँ के तमाम लोगों के लिए यहाँ की सूचना का एक सशक्त माध्यम हम बनें, यही प्रयास है हमारा, आपका सहयोग आपेक्षित है... - सम्पादक

Scrolling Text

Your pictures and fotos in a slideshow on MySpace, eBay, Facebook or your website!view all pictures of this slideshow

Related Posts with Thumbnails

रविवार

कोसी क्षेत्र की समकालीन रचनात्मकता का दस्तावेज है ‘संवदिया’





समकालीन लेखन मे कोसी क्षेत्र के रचनात्मक हस्तक्षेप का जीवंत दस्तावेज है ‘संवदिया’ का ताजा अंक। इस महत्वपूर्ण अंक में इस क्षेत्र के प्रतिनिधि समकालीन रचनाकारों का अद्भुत समागम दिखता है । कवियों - कथाकारो सहित कोसी क्षेत्र के प्रसिद्ध आलोचकों के विचार व टिप्पणियाँ भी इस अंक को दीर्घायु बनाने का कार्य कर रही है। राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने वाले कवियों में कल्लोल चक्रवर्ती, कृष्णमोहन झा सहित कई कवियों ने इस अंक में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है, क्षेत्र के कथाकारो में संजीव ठाकुर एवं संजय कुमार सिंह सदृश्य कथाकारों की उपस्थिति से यह अंक महत्वपूर्ण हो जाता है और तो और इस अंक की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह भी है कि कथा और काव्य विधा के प्रसिद्ध समीक्षक यथा डा. ज्योतिष जोशी, डा. देवशंकर नवीन, सुरेन्द्र स्निग्ध एवं चर्चित पत्रिका ‘दस्तावेज’ के संपादक डा. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी द्वारा इन रचनाकारों पर उम्मीदों से लवरेज विचार ने कोसी की रचनाधर्मिता को सार्थक कर दिया है। संवदिया के इस अंक से राष्ट्रीय क्षितिज पर कोसी की जबर्दस्त धमक सुनाई पड.ती है। अंक, संपादक देवेन्द्र कुमार देवेश (मोबाइल-09868566420) की कवायद का सार्थक फल है।  प्रस्तुत है इस अंक में प्रकाशित कल्लोल चक्रवर्ती की कविता ‘चेहरे’ की कुछ पंक्तियाँ-

....दुनिया के सारे तानाशाह इस वक्त व्यस्त हैं
वे मंदिरों और मस्जिदों में खुदा के पास बैठे हैं
वे मोचियों के पास अपने जूते
सिलाने के इंतजार में खडे हैं
वे बच्चों और बूढ़ों को सड़क पार करा रहे हैं
वे सभागार में व्याख्यान दे रहे हैं
वे हमारे बिलकुल पास खड़े हैं। 
यह कितना भयानक सत्य है
कि सारे के सारे हत्यारे 
हमारे आसपास खड़े हैं
और हमसे हमारी ही भाषा में बातें कर रहे हैं।

अपहरण पुणे में,एसएमएस बिहारीगंज से





(हिंदुस्तान,पटना,21.1.10)

शुक्रवार

दानापुर-सहरसा इन्टरसीटी एक्सप्रेस उर्फ किसकी बची है खैरियत.....

सप्ताह भर राजधानी पटना में बिता कर, हाड. कँपाती ठंढ के बीच सुबह साढे. पाँच बजे घर से, ट्रेन में बेहतर सीट के लिए दानापुर पहुँच गया, जगह आराम से मिली क्योंकि मिथिला और कोसी क्षेत्र को राजधानी से जोड़ने वाली इन्टरसीटी एक्सप्रेस सुबह 6.40 में दानापुर से प्रस्थान कर गयी। सुबह 7.20 में पटना से, पटना में इस ट्रेन पर सुनामी-सी कहर टूट पड़ी, इंच भर टसकने के लिए बगल वाले से मिन्नतें... खैर ट्रेन खुलती है बाढ. स्टेशन में कुछ राहत के बाद रूकते-रूकते ऐतिहासिक राजेन्द्र पुल, उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाला बिहार में एकमात्र रेल पुल को पार कर बरौनी जं. पहुँचना वहां पूरे घंटे भर इस इन्टरसीटी का दो खण्ड मसलन् एक पार्ट का दरभंगा और दूसरे का सहरसा की ओर.... बरौनी से आगे बढते ही मिट्टी पलीद होना प्रारम्भ- सभी कुछ भगवान भरोसे, दो चार घांटे में खगडि़या पहुंची। जहां घंटों से खड़ी भीड. इस ट्रेन का इंतजार कर रही थी, हो..हो...हो करती हुई ....
मानसी जं. के बाद धमहारा घाट नामक विश्वविख्यात, अपने पेड़ा एवं घटों ट्रेन रोकने की वजह से चर्चा मे रहे इस स्थल से रूबरू होना पड़ता है। कई बार ‘वैकम’ के बाद इन्टरसीटी खुलती है एक बड़े एहसान के साथ, आगे बढ़ते हुए करीब संध्या 5.30 बजे, पूरे ग्यारह धंटे में 228 किलो मीटर का सफर तय कर विजय मुद्रा में सहरसा स्टेशन पहुँचती है....। सहरसा आवास आकर पता चलता है कि कल 11 बजे रात में  जो बिजली गयी, अब तक नहीं आयी है....!
मित्रों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि पूरे कोसी प्रमण्डल यथा मधेपुरा, सहरसा और सुपौल को राजधानी पटना से जोड़ने वाली मात्र दो ही ट्रेन है, एक सुबह 5.15 में कोसी एक्सप्रेस तथा दूसरा यही सहरसा-दानापुर इन्टरसीटी जो रविवार छोड. शेष दिनो 12.50 दिन में खुलती है। लगभग  पचास लाख आबादी के लिए व्यवस्थापकीय निकम्मेपन का तोहफा....नक्कारखाने में कोसी क्षेत्र की, बाढ. सदृश्य कई समस्याओं को झेलती बेवस जनता की आवाज..., नक्कारखाने का मुखिया राजधानियों में बैठकर बासुरी बजा रहा है...सुनहरे स्वप्न दिखा रहा है...।

-अरविन्द श्रीवास्तव

कोसी क्षेत्र का चर्चित नाटक- डोम पहलवान




कथाकार चन्द्रकिशोर जायसवाल कृत
‘डोम पहलवान’ 
नाट्य रूपान्तर श्याम कुमार

‘डोम पहलवान’ सुप्रसिद्ध कथाकार चन्द्रकिशोर जायसवाल की चर्चित कहानी का नाट्य रूपांतर है। यह नाटक समाज में व्याप्त विषमता, व्यवस्था और राजनैतिक बड.बोलेपन पर पुरजोर प्रहार करता है। भारत के इतिहास में बार बार जाति व्यवस्था को किसी न किसी रूप में कायम करने एवं उसे यथावत बनाये रखने हेतु समाज के ठेकेदार किसी सीमा तक जा सकते हैं। इस नाटक का मुख्य पात्र ललुआ पहलवान इसे बेनकाव करता है और इस व्यवस्था के खिलाफ आवाज भी बुलन्द करता है।

प्रकाशक- रचनाकार प्रकाशन
फोन-06454 244688
मोबाइल- 09810373161

शुक्रवार

खंडग्रास सूर्यग्रहण की अवधि किस शहर में कितनी

दिल्लीः11.53-3.11 बजे,
चेन्नैः11.25-3.15 बजे,
कोलकाताः12.07-3.29 बजे,
पटनाः12.05-3.25 बजे तक
अगरतलाः12.06-3.32 बजे
हैदराबादः1129-3.15बजे,
विशाखापत्तनमः 1144-3.22 बजे
भोपालः11.41-3.14 बजे,
भुवनेश्वरः 11.57-3.26 बजे,
कानपुरः 11.55-3.18 बजे
पुणेः11.18-3.06 बजे तक
बंगलौरः11.17-3.11 बजे,
लखनऊः 11.57-3.19
चंडीगढः11.58-3.08 बजे,
इम्फालः12.44-3.33 बजे,
अहमदाबादः 11.27-3.03
दिसपुरः12.21-3.32 बजे तक
ईटानगरः 12.26-3.33

गुरुवार

हरिद्वार महाकुंभ स्नान कार्यक्रम

14 जनवरी- मकर संक्रांति पर्व स्नान
15 जनवरी- मौनी अमावस्या सूर्य ग्रहण स्नान
20 जनवरी- बसन्त पंचमी पर्व स्नान
30 जनवरी- माघ पूर्णिमा पर्व स्नान
12 फरवरी- महाशिवरात्रि पर्व शाही स्नान
15 मार्च- सोमवती अमावस्या पर्व शाही स्नान
16 मार्च- नव संवत्सर आरंभ पर्व स्नान
24 मार्च- रामनवमी पर्व स्नान
30 मार्च- चैत्र पूर्णिमा पर्व स्नान
14 अप्रैल- मेष संक्रांति बैशाखी पर्व शाही स्नान
28 अप्रैल- बैशाखी पूर्णिमा पर्व अधिमास स्नान
http://www.krraman.blogspot.com/

http://www.maithilionline.blogspot.com/

शनिवार

कोसी लोक साहित्य जट-जटिन


कोसी लोक साहित्य




जट-जटिन


कोसी लोक साहित्य की अमूल्य धरोहर है - लोकनाट्य ‘जट-जटिन’। श्री बच्चा यादव ने इसके उत्स, विकास और प्रस्तुति पर शोधपरक कार्य किया है। ‘जट-जटिन’ पूर्णतः सामाजिक यथार्थ की पृष्ठभूमि पर केन्द्रित है। यह लोकनाट्य लोक जीवन के उस स्वर्णिम सत्य का उदघाटन करता है, जिसमें जीवन में प्रेम, ममता, वात्सल्य, सौहार्द,स्नेह, त्याग, करूणा आदि से बढकर अन्य किसी का महत्व नहीं है। बच्चा यादव ने इस लोक-नाट्य को लिपिवद्ध कर कोसी अंचल की इस समृद्ध संस्कृति को सारस्वत प्रयास किया है जो स्तुत्य एवं प्रशंसनीय है।


प्रकाशक- रचनाकार प्रकाशन
पूर्णिया-साहिबाबाद
फोन-06454 244688
मोबाइल- 09810373161

बुधवार

‘पूर्णिया पुस्तक मेला’ सजा रहा दस दिनों तक पुस्तक संसार

पूर्णिया में दस दिनों तक चलने वाले पुस्तक मेले में क्षेत्र के चर्चित लेखकों एवं साहित्यकारों समागम रहा। 26 दिसम्बर 09 से 04 जनवरी 10 तक चले इस मेले में राजधानियों की चकाचैंध से हटकर प्रमंडलीय स्तर मंे पठन-पाठन और लेखकीय जीवंतता को साकार किया। आयोजकों के हिम्मत और हौसले को सलाम करने राष्ट्रीय स्तर के नामचीन बैनर यथा राजकमल, ज्ञानपीठ, वाणी, समीक्षा, लोकभारती, किताब घर, गीता प्रेस, मकतबा हाउस, रचनाकार आदि प्रकाशक इस सुदूर हिस्से में अपना आशियाना सजाया। साहित्य की तमाम विधाओं सहित इतिहास, राजनीति और सामाजिक व सामयिक प्रसंगों की पुस्तकों के प्रति पाठकों की रूझान दिखी, धार्मिक पुस्तकों का मार्केट अब भी गर्म है यह भी इस पुस्तक मेले में दिखा । क्षेत्रीय इतिहास एवं लोक साहित्य सहित कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु, चन्द्रकिशोर जायसवाल एवं हरिशंकर श्रीवास्तव ‘शलभ’ की पुस्तकों के खरीदार भी काफी थे।
‘कोसी रचना संसार’ मेले में रचनाकारों एवं साहित्यि प्रेमियों का मिलन स्थल था जहाँ कोसी एवं पूर्णिया प्रमण्डल के रचनाधर्मियों का समागम हुआ।  इस ‘संसार’ के संयोजक कथाकार बच्चा यादव थे जिनके पुरजोर प्रयास से क्षेत्र के रचनाधर्मी ताकत एकजुट हुए। दस दिनों तक प्रत्येक जिला का सहित्यिक प्रतिवेदन  पढ़ा गया जिसमें अररिया, कटिहार, किशनगंज, सुपौल, सहरसा,मधेपुरा एवं पूर्णिया जिले का आलेख पाठ जिले से आये प्रतिनिधियों ने किया जिनमें - हरि दिवाकर, वरुण कुमार तिवारी, अरविन्द ठाकुर, कामेश्वर पंकज, शंभु कुशाग्र एवं अरविन्द श्रीवास्तव मुख्य थे। पूर्णिया के रचनाकारों में सर्वश्री चन्द्रकिशोर जायसवाल, कलाधर (सम्पादक- कला). मदन मोहन 'मर्मज्ञ', प्रियंवद जायसवाल , डा.छोटेलाल बहरदार, डा. बी.बी कुमार, विजयनन्दन प्रसाद, डा. अजित कुमार बख्शी, भोला पण्डित प्रणयी, डा. रामनरेश भक्त, भोला नाथ आलोक एवं भवेशनाथ पाठक, डा. निरुपमा राय सहित मीडिया प्रभारी श्याम सुन्दर गुप्ता एवं मेला आयोजक - सत्यदेव प्रसाद  सदृश्य साहित्यकारों एवं साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति ने साहित्यक क्षितिज पर क्षेत्र की दावेदारी को पुख्ता किया। इसके अतिरिक्त लखनऊ की प्रसिद्ध नाट्य संस्था ‘सम्यक’ के कलाकारों द्वारा मानवीय रिश्तों एवं संवेदनाओं पर आधारित चर्चित कथाकार शिवमूर्ति की कहानी ‘भरतनाट्यम’ की प्रस्तुति मेले का एक मुख्य आकर्षण रहा। इस पुस्तक मेले में डीएवी स्कूल पूर्णिया की भागीदारी स्तुत्य रही ।

अपने जिले मधेपुरा का आलेख/प्रतिवेदन पढ.ने का मौका मुझे मिला,....
ढेर सारी सुखानुभूति पूर्णिया से समेटे दस दिनों बाद अपने धर लौटा, वहाँ मैंने अपना एक स्टाल भी लगाया था, शेष पुस्तकों के साथ परिजनों के बीच हूँ.... ।


-अरविन्द श्रीवास्तव, मो. - 09431080862.